चित्तौड़गढ़ में रहस्यमयी शक्तियों से परिपूर्ण स्वयंभू कामाख्या मंदिर में अंबुबाची महोत्सव, भक्तों की उमड़ेगी भीड़

ओमपाल सीलन
उदयपुर: चित्तौड़गढ़-कोटा मार्ग स्थित माँ कामाख्या बद्रीनाथ योग मंदिर में इन दिनों अंबुबाची महोत्सव श्रद्धा और भक्ति के साथ धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह मंदिर स्वयंभू माना जाता है और मां बगलामुखी तथा मां कामाख्या की दिव्य शक्ति से जुड़ा हुआ है। ऐसी मान्यता है कि यहां की गई सच्चे मन से आराधना और यज्ञ से सभी मनोकामनाएं चमत्कारिक रूप से पूर्ण होती हैं।

मंदिर के पीठाधीश्वर और मेवाड़ धर्म प्रमुख श्री श्री रोहित गोपाल सूत जी महाराज ने बताया कि अंबुबाची पर्व मां कामाख्या के मासिक धर्म चक्र को दर्शाता है, जिसे तांत्रिक परंपरा से जोड़कर देखा जाता है। इस दौरान मंदिर के कपाट तीन दिनों के लिए बंद रहते हैं और मां की शक्ति विश्राम अवस्था में मानी जाती है। इस अवधि को ‘रजस्वला काल’ कहा जाता है, जो 26 जून को समाप्त होगा। इसके बाद भव्य विधि-विधान के साथ मंदिर के कपाट खोले जाएंगे।

कपाट खुलते ही वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच मंदिर की विशेष सफाई कर मां कामाख्या को दिव्य औषधियों और पवित्र जल से स्नान कराया जाएगा। यज्ञ, पूजन और आरती के जरिए मां को प्रसन्न कर श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण करने का आशीर्वाद मांगा जाएगा।

महाराज जी के अनुसार, यह उत्सव न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह प्रकृति की एक अद्भुत प्रक्रिया—मासिक धर्म—को सम्मान देने का भी प्रतीक है। पुराने समय में जब यह पर्व आता था, तब खेतों में काम भी रोक दिया जाता था।

हर वर्ष की तरह इस बार भी देशभर से श्रद्धालु इस पर्व में शामिल हो रहे हैं और मां भगवती का आशीर्वाद पाने के लिए मंदिर पहुंच रहे हैं। श्रद्धालुओं को विश्वास है कि जो भी नियमपूर्वक इस पर्व में भाग लेता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

By Udaipurviews

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