नवलखा महल में हुए कार्यक्रम में लघु नाटक “समरसता का प्रकाश” मंचित
उदयपुर, 11 अक्टूबर। यह अंग्रेजों की दास्तान का समय था। देश में असमानता, अस्पृश्यता, भेदभाव का बोलबाला था। ऐसे समय में स्वामी दयानंद सरस्वती समाज में फैली जड़ता को मिटाने का प्रयास करते हैं आर्य समाज की स्थापना कर देश में एक नई क्रांति की लहर पैदा करते हैं। देखते ही देखते समाज में समानता का भाव संचारित होने लगता है। यह दृश्य था स्वामी दयानंद सरस्वती पर आधारित लघु नाटक “समरसता का प्रकाश” के मंचन का। अखिल भारतीय साहित्य परिषद की ओर से वाल्मीकि जयंती के उपलक्ष में गुलाब बाग स्थित नवलखा महल में आयोजित प्रतिभा सम्मान समारोह के दौरान इस नाटक का मंचन हुआ।
परिषद की उदयपुर महानगर इकाई अध्यक्ष आशा पांडे ओझा ने बताया कि कार्यक्रम अध्यक्षता श्रीमद् दयानंद सत्यार्थ प्रकाश न्यास अध्यक्ष अशोक आर्य ने की। मुख्य अतिथि सर्व सम्प्रदाय संत संस्थान के संस्थापक इंद्रदेव दास एवं विशिष्ट अतिथि के तौर पर जिला क्रिकेट संघ उपाध्यक्ष विनोद कुमार राठौड़, एमएलएसयू के इतिहास के सहायक आचार्य डॉ मनीष श्रीमाली व कृष्णा कुमारी पानरवा उपस्थित रहे। मुख्य वक्ता के रूप में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अशोक आर्य ने ज्ञान एवं संस्कारों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान समय में इन्हें परिष्कृत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार गंगोत्री पर गंगा स्वच्छ एवं निर्मल होती है और आगे चलकर उसमें कई प्रकार के अपशिष्ट का समावेश हो जाता है। ठीक इसी प्रकार वैदिक काल में उपलब्ध निर्मल ज्ञान समय के साथ विभिन्न मत मत्तांतरों के प्रभाव में आकर आज कलुषित हो गया है। इसे पुनः परिष्कृत करने हेतु महर्षि दयानंद सरस्वती के मार्ग पर चलते हुए वेदों की ओर लौटना होगा। मुख्य अतिथि ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि का जीवन इस बात का साक्षी है कि व्यक्ति ज्ञान के माध्यम से महान बन सकता है चाहे वह किसी भी कुल में क्यों ना जन्मा हो। विशिष्ट अतिथियों ने अपने उद्बोधन में वर्तमान युग में सामाजिक समरसता पर जोर देते हुए इसे आज की आवश्यकता बताया। कार्यक्रम के दौरान आशीष सिसोदिया, विजय मारू, शकुंतला पालीवाल, डॉ मनीष सक्सेना, संजय गुप्ता देवेश, डॉ कामिनी व्यास रावल, डॉ सरस्वती जोशी, लक्ष्मी लाल खटीक, संगीता गुजराती, ललित पारेख, लोकेश पारेख, डॉ नम्रता जैन, चंद्रकांता बंसल, दीपा पंत, ममता पानेरी, निर्मला शर्मा, हिमांशु, स्वाति शकुंत, प्रकाश तातेड़, सुभाष अग्रवाल मीनाक्षी पंवार, गौरीकांत शर्मा सहित अन्य उपस्थित रहे। संचालन उद्घोषिका चंचल शर्मा ने किया।
इन प्रतिभाओं का हुआ सम्मान
विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा के साथ नई ऊंचाइयां छूने वाली प्रतिभाओं नवीन छापरवाल, भव्यता चौहान, कनिष्का चौहान, भावना राठौड़, नरेंद्र चनाल, शौर्य पंवार, नेहा कोहली, दिव्या पंवार, रितु लोढ़ा, अमित व्यास, प्रवर खंडेलवाल, मानस जैन, प्रद्युम्न चौहान, सुखदेव सिंह राव, शुभिका कुंवर को सम्मानित किया गया।