पेशन, परफोर्मेंस, पॉजिटिविटी सफलता का आधार – कैप्टन योगेन्द्र यादव
स्व में है असीम और अनंत उर्जा – कैप्टन योगेन्द्र यादव
कर्तव्यों और दायित्वों के निर्वहन में निहित है राष्ट्र भक्ति- प्रो.सारंगदेवोत
देश बनता है वीरों के शौर्य और वीरांगनाओं के पराक्रम से – गुणवंत कोठारी
उदयपुर 6 सितंबर / किसी भी देश का निर्माण उसके शहीदों के रक्त से लिखी वो सुनहरी इबारत है जो उस देश की शांति, सौहार्द और विकास की आधारशिला है। देश की प्रगति में युवाओं की भूमिका बहुत ही अहम है। ऐसे में युवाओं का तन और मन दोनों से स्वस्थ होना आवश्यक है। मन मस्तिष्क के भीतर के द्वन्द्व से बाहर निकल कर अपने मूलतत्व की ओर लौटने पर ही हम स्वयं और उसमें समाहित असीम और अनंत उर्जा को महसूस कर पाएंगे । यही उर्जा हमें उस पेशन, परफोर्मेंस और पॉजिटिविटी की ओर ले जाती है, जहां कुछ भी असंभव नहीं है। स्वयं से मिलने का यह भारतीय दर्शन हमारी सभ्यता और संस्कृति का वो पहलू है, जिसने सम्पूर्ण विश्व को जीना सीखाया है। अनुशासन के साथ अपने सपनों को आध्यात्मिकता से जोड़ देने पर साधारण मनुष्य भी वो कर गुजरता है जो उसे असधारण बना देता है। ये विचार कारगिल युद्व के दौरान अपने अदम्य साहस और शौर्य का परिचय देते हुए महज 19 साल की उम्र में परमवीर चक्र से नवाजे गए कैप्टन योगेन्द्र सिंह यादव ने शुक्रवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय एवं आईएमसीटीईएफ उदयपुर चेप्टर के संयुक्त तत्वावधान में एग्रीकल्चर महाविद्यालय के सभागार में आयोजित हुए सम्मान समारोह में व्यक्त किए।
कैप्टन यादव ने कारगिल युद्व और भारतीय सेना के वीरांे की शोर्यगाथा के द्वारा विद्यार्थियों को जीवन के लिए लक्ष्य निर्धारित करने और उसमें सफल होने के भारतीय दर्शन आधारित विचारों से परिचित करवाया । साथ ही प्रकृति ,पर्यावरण, आध्यात्म और अनुशासन व समय प्रबंधन के महत्व को भी बताया।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत ने कहा कि भारत विविधता से भरा देश है जहां की सांस्कृतिक विरासत इतनी विस्तृत और व्यापक है कि विपरीत परिस्थितियों में भी इसके गौरव की आभा चहुंओर फैली रहती है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम के कारण हम सभी अपना जीवन शांति से व्यतीत कर पा रहे हैं। देश के प्रति अपने प्रेम को अपने कार्यों के द्वारा प्रदर्शित कर सकते हैं। कर्म को पूजा मानकर यदि हम अपने कार्याें को करेंगे तो हर काम देशप्रेम में परिणीत हो जाएगा । कर्तव्यों और दायित्वों को समय पर निभाकर, नवीन चेतना जाग्रत कर राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका का निर्वहन कर सकते हैं। युवाओं को अपने – अपने क्षेत्रों में विशिष्ट कार्य करके देश की प्रगति में हिस्सेदार बन कर देश सेवा करनी चाहिये।
आईएमसीटीईएफ प्रमुख गुणवन्त कोठारी ने कहा कि भारतीय संस्कारों, संस्कृति और विचारों ने विश्व को आध्यात्मिकता का वास्तविक ज्ञान करवाया है। वर्तमान में विश्व कई सामाजिक,सांस्कृतिक मूल्य आधारित और पर्यावरणीय समस्याओं से जूझ रहा है। जिसका समाधान भारतीय ज्ञान परंपरा में निहित है। इस ज्ञान परंपरा और इससे जुड़ी बातों को वर्तमान पीढ़ी तक पहंुचा कर ही हम उस राष्ट्र का निर्माण कर पाएंगे जो न केवल अपने मूल्यांे से सुसज्जित होगा वरन विश्व के पथप्रदर्शक की योग्यताओं से भी युक्त होगा। राष्ट्र प्रेम पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मेवाड़ का इतिहास वीरों को इतिहास है और वीरों के शौर्य और वीरांगनाओं के पराक्रम से देश का निर्माण होता है। इसके प्रति अपने कर्तव्यों और दायित्वों को ईमानदारी से निभाते हुए प्रकृति व मूल्यांे में भाव आधारित संबध बना कर जीवन जीने की बात कही। कोठारी ने कहा कि आईएमसीटीईएफ का उददेश्य वर्तमान पीढ़ी को भारतीय संस्कारों के बीजारोपण और दर्शन से जोड़ने के लिए देश भर में इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
कार्यक्रम के दौरान अतिथियों ने भारतीय सेना के सर्वोच्च सैन्य सम्मान से नवाजे गए सभी शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया। समारोह में डॉ. हितेष गंधर्व और डा.ॅ शिवांगी ने देश प्रेम से ओमप्रोत गीतों की प्रस्तुति दी।
निजी सचिव केके कुमावत ने बताया कि कार्यक्रम में आईएमसीटीईएफ उदयपुर चैप्टर की संयोजक रानू सिंघवी, रजिस्ट्रार डॉ. तरूण श्रीमाली , प्रो. जीवन सिंह खरकवाल, प्रो. सरोज गर्ग, प्रो. मंजू मांडोत, प्रो. गजेन्द्र माथुर, प्रो. आईजे माथुर, डॉ. अवनीश नागर, डॉ शैलेन्द्र मेहता , डॉ. मलय पानेरी, डॉ. धर्मेन्द्र राजोरा, डॉ.रचना राठौड़, डॉ. बलिदान जैन, डॉ. अमी राठौड़, डॉ. सुनीता मुर्डिया, डॉ. नीरू राठौड़, डॉ. एसबी नागर, डॉ. भूरालाल श्रीमाली, डॉ. सपना श्रीमाली, डॉ अपर्णा श्रीवास्तव, डॉ. संतोष लांबा, डॉ. हिम्मत सिंह, डॉ. जयसिंह जोधा, डॉ. रोहित कुमावत, डॉ. यज्ञ आमेटा, डॉ. तिलकेश आमेटा, डॉ. इंदु आचार्य, डॉ. शीतल चुग, डॉ. महेन्द्र वर्मा सहित विद्यापीठ के सभी विभागों के डीन डायरेक्टर्स, प्राध्यापकों सहित विद्यार्थी और शहर के गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
धन्यवाद रजिस्ट्रार डॉ. तरूण श्रीमाली ने दिया जबकि संचालन डा.ॅ रचना राठौड़ ने किया।
राष्ट्र बनता है शहीदों के रक्त से खींची गई लकीरांे से – कैप्टन योगेन्द्र यादव
