व्यक्ति का दृष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए : आचार्य महाश्रमण

– आचार्य महाश्रमण की मेवाड़ यात्रा समापन की ओर
– 5 दिसम्बर को दिवेर मे मंगल भावना समारोह में होगा दायित्व हस्तांतरण
– 4 दिसंबर को लाम्बोडी में प्रवास करेंगे आचार्य महाश्रमण

उदयपुर, 3 दिसम्बर। तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्य महाश्रमण  अपनी धवल वाहिनी के साथ श्रद्धा, भक्ति, त्याग, शौर्य, और बलिदान की वीर वसुंधरा  मेवाड़ में अहिंसा यात्रा के माध्यम से नशामुक्ति , नैतिकता और सद्भावना का संदेश देते हुए विभिन्न क्षेत्रों का विचरण करते हुए धर्म प्रभावना कर रहे है। आचार्य संघ की मेवाड़ यात्रा अब समापन की ओर है। श्री मेवाड़ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कांफ्रेंस के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि  आचार्य महाश्रमण 3 दिसम्बर को केलवा से विहार किया और पड़ासली पधारे। सांयकाल को वहां से पुन: विहार कर संबोधी होते हुए धानीन पधारे जहां रात्रि प्रवास हुआ। धानीन में ख्यालीलाल तातेड, मदनलाल तातेड सहित अनेक श्रावक श्राविकाये मौजूद रहे।
– मंगल भावना समारोह और दायित्व हस्तांतरण कार्यक्रम 5 को
फत्तावत ने बताया कि आचार्य महाश्रमण की एक माह की मेवाड़ यात्रा का समापन आगामी 5 दिसम्बर को महाराणा प्रताप की विजय स्थली दिवेर में होने जा रहा है, जहां पर मंगल भावना समारोह और दायित्व हस्तांतरण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।  श्री मेवाड़ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कांफ्रेंस द्वारा दायित्व रूपी ध्वज आचार्य महाश्रमण मर्यादा महोत्सव समिति छोटी खाटू को हस्तांतरित किया जाएगा। मंगल भावना समारोह में विश्व हिंदू परिषद के अखिल भारतीय संयुक्त महासचिव स्वामी विज्ञानानंद, मेवाड़ राजघराने के डॉ लक्ष्यराज सिंह मेवाड़, भीम विधायक हरि सिंह रावत, सहाड़ा विधायक लादुलाल पितलिया अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे। मेवाड़ के विभिन्न क्षेत्रों के श्रद्धालुओं ने मार्ग में अलग अलग स्थानों पर आचार्य महाश्रमण के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। मेवाड़ यात्रा के दौरान विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों और हस्तियों का आचार्य महाश्रमण के दर्शन हेतु आने का क्रम बना हुआ है।
बुधवार को आचार्य महाश्रमण ने विहार के बाद पड़ासली में उपस्थित श्रावक श्राविकाओं और जन समुदाय को अमृत देशना देते हुए फरमाया कि आगम में कहा गया है कि दुनिया में अलग अलग दृष्टिकोण और भूमिका वाले व्यक्ति होते है। कुछ व्यक्ति मिथ्या दृष्टिकोण वाले होते है। और कुछ व्यक्ति सम्यक दृष्टिकोण वाले होते हैं। दोनों दृष्टिकोण वाले व्यक्ति एक ही काम को अलग अलग तरीके से करते है। दोनों तरह के व्यक्तियों के काम करने में अंतर आ सकता है और उसके परिणाम में भी अंतर आता है। आचार्य भिक्षु का एक सिद्धांत है मिथ्यात्वी की करनी। मिथ्यात्व वाले व्यक्ति के कर्म अगर धर्म रूपी है तो भी वह मोक्षगामी नहीं बन सकता है। मोक्षगामी के लिए सम्यकत्वि होना आवश्यक है। धर्म की करणी शुद्ध भावो से की जाए तो उसका लाभ अवश्य मिलता है।  आज के कार्यक्रम में तेरापंथी सभा पड़ासली के अनिल बडाला, तेरापंथ महिला मंडल अनीता बडाला, सभा के पूर्व अध्यक्ष गुणसागर धीग ने आचार्य महाश्रमण के पड़ासली पदार्पण पर अपने भावो की अभिव्यक्ति दी, वही  महिला मंडल की बहिनों ने  स्वागत गीत प्रस्तुत किया। अंत में उपस्थित जन समुदाय को मंगल पाठ का श्रवण करवाया गया।

By Udaipurviews

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