—महिला समाज सोसायटी की सामाजिक पहल
उदयपुर, 12 नवम्बर। पारिवारिक मूल्यों की विरासत और पारस्परिक एकता की प्रेरक मिसाल प्रस्तुत करते हुए महिला समाज सोसायटी की ओर से मंगलवार देर शाम को द पार्क क्लासिक होटल में आयोजित दीपावली मिलन समारोह इस वर्ष विशेष रूप से स्मरणीय बन गया। कार्यक्रम की विशेषता ‘संयुक्त सुदृढ़ परिवार’ सम्मान का शुभारंभ रहा। इसके तहत चार पीढ़ियों को एक सूत्र में पिरोये रखने के पुनीत संस्कार का निर्वहन करने वाली श्रीमती पुष्पा कोठारी और उनकी चार पीढ़ियों का सम्मान किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत सुर और श्रद्धा की मधुर लहरों से हुई, जब श्रीमती मीनू कुम्भट ने प्रार्थना के माध्यम से सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया। संस्था की अध्यक्ष श्रीमती माया कुम्भट ने अपने स्वागत उद्बोधन में संयुक्त परिवार की महत्ता का सार प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह केवल सम्मान नहीं, यह केवल मान नहीं, यह एक संदेश है कि संयुक्त परिवार की कितनी महत्ता है। यहां ‘मैं’ नहीं, ‘हम’ का भाव प्रतिष्ठित होना चाहिए। संयुक्त परिवार ही संस्कारों की नींव है। उन्होंने कहा कि इस दीपावली से महिला समाज सोसायटी ने यह नई पहल की है। संयुक्त परिवार की परंपरा, जो आधुनिक जीवनशैली में विलुप्त होती प्रतीत हो रही है, उसे पुनर्जीवित करने की यह पहल समाज के लिए नई प्रेरणा है। चार पीढ़ियों का एक साथ सम्मानित होना यह स्पष्ट करता है कि संस्कारों की जड़ें तब तक जीवित रहती हैं, जब तक परिवार अपनी भावनात्मक डोर को मजबूती से थामे रहता है।
सचिव कौशल्या रूंगटा ने बताया कि ‘संयुक्त सुदृढ़ परिवार’ सम्मान के तहत श्रीमती पुष्पा कोठारी परिवार को ताज, उपरणा, शॉल और तियारा की गरिमामयी सज्जा के साथ, नारियल भेंट और शंखनाद द्वारा परिवार का स्वागत किया गया। प्रशस्ति पत्र प्रदान कर पूरे परिवार के योगदान को आदरपूर्वक स्मरण किया गया। परिवार के ममता, नितिन, रोनित, कियारा कोठारी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि श्रीमती हेमलता नाहटा ने दो प्रेरक उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि कैसे पारिवारिक एकजुटता, अपनापन और संस्कार जीवन को स्थिर, सुंदर और सफल बनाते हैं। मुख्य अतिथि श्रीमती अरुणा शर्मा (डी.आई.सी. से सेवानिवृत्त) ने महिला समाज की आगामी योजनाओं और सामाजिक गतिविधियों की रूपरेखा बताते हुए महिलाओं की भागीदारी को समाज परिवर्तन का आधार बताया।
कार्यक्रम के समापन पर वीणा गौड़ द्वारा संयुक्त परिवार पर प्रस्तुत की गई हृदयस्पर्शी कविता ने समारोह की भावना को और संजीवित कर दिया। कविता के शब्दों ने लोगों को स्मरण कराया कि परिवार केवल लोग नहीं होते, अपितु अपनापन, जिम्मेदारी और संस्कारों की अनवरत परंपरा होती है।
कार्यक्रम का संचालन श्रीमती चंद्रकांता मेहता ने किया। इस अवसर पर डॉ. शालिनी भार्गव, मीनाक्षी लोढ़ा, स्वाति भार्गव, शकुंतला घोष, उषा अग्रवाल एवं उषा व्यास आदि ने संगठन की शक्ति, एकता और महिला नेतृत्व की भूमिका को रेखांकित किया।
