आत्मा के उन्नति और निर्मलता से जीवन उत्थान संभव : आचार्य महाश्रमण

– आचार्य महाश्रमण की धवल वाहिनी का मार्ग में जगह-जगह हो रहा है स्वागत
– स्वामीनारायण विश्व मंगल गुरुकुल के बच्चों को दिया सफलता का मंत्र

उदयपुर, 8 नवम्बर। तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्य महाश्रमण अपनी धवल वाहिनी के साथ लम्बे-लम्बे डग भरते हुए मेवाड़ की ओर अपने चरण बढ़ा रहे है। जैसे-जैसे आचार्य संग के श्री मेवाड़ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कांफ्रेंस के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि 8 नवम्बर को प्रात: जैन तीर्थ स्थल लब्धि धाम से लगभग 13 किलोमीटर का विहार कर ताजपुरा स्वामीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग पहुंचे। आचार्य संघ के विहार के दौरान मार्ग में जगह- जगह श्रावक-श्राविकाओं द्वारा स्वागत किया जा रहा है। आचार्य महाश्रमण अपनी धवल वाहिनी के साथ अगला पड़ाव 9 नवम्बर को अवर ऑन हाई स्कूल प्रांतिज में होगा।
इस दौरान ताजपुरा स्वामीनारायण विश्व मंगल गुरुकुल में आयोजित संत सम्मेलन में आचार्य महाश्रमण ने उपस्थित विद्यार्थियों को प्रेरणा देते हुए कहा कि मनुष्य के जीवन में चार तत्वों का होना आवश्यक है। ज्ञान, दर्शन, चारित्र व तप, ज्ञान से पदार्थों को मनुष्य जानता है। दर्शन से श्रद्धा करता है, चारित्र से परम के आगमन को रोकता है और तप से आत्मा की शोधन करता है। विद्यार्थियों को आध्यात्मिकता का ज्ञान देना भी आवश्यक है। अहिंसा, ईमानदारी, सदसंस्कारों व आध्यात्मिकता से विद्यार्थियों का सर्वांगिण विकास किया जा सकता है। आज के समय में संस्कार युक्त शिक्षा बहुत आवश्यक है। संतों से संतों का मिलना परम सुखकारी होता है। धर्म के साथ -साथ ज्ञान का भी आदान-प्रदान होता है। साधु तो तीर्थ के समान होते है, साधुओं के दर्शन करने से भी पाप कारी प्रवर्तिया नष्ट हो सकती है। मनुष्य जीवन में सद्भावना, नशा मुक्ति, नैतिकता, धार्मिक चैतना रहे तो मानव जीवन गृहस्थ में रहते हुए भी सफल हो सकता है।
इस अवसर पर स्वामीनारायण सम्प्रदाय के प्रेम स्वरूप स्वामी महाराज ने स्वामीनारायण विश्व मंगल गुरुकुल परिसर में आचार्य महाश्रमण का स्वागत करते हुए अपनी बात में कहां कि जैन सम्प्रदाय व स्वामी नारायण सम्प्रदाय एक लिंक पर जुड़ा हुआ है वह है अहिंसा। मनुष्य को हिंसात्मक प्रवृति से यथा संभव बचना चाहिए। अंत में उपस्थित श्रावक समाज को मंगल पाठ का श्रवण करवाया।
स्वामीनारायण विश्व मंगल गुरुकुल ताजपुर के प्रेम स्वरूप स्वामी महाराज, अनूप स्वामी महाराज, सत्यम स्वरूप स्वामी महाराज, प्रियदर्शन स्वामी महाराज, घनश्याम स्वामी, परिसर के मेनेजिंग डायरेक्टर भाविक गजल, रविन्द्र माली, वनराज का साहित्य समर्पण, उपरणा व स्मृति चिन्ह द्वारा गौतम बापना, सूरजमल इंटोदिया, देवेन्द्र मेहता, महेन्द्र बोहरा, विक्रम पगारिया, सुनील मूणोत, विनोद माण्डोत, सुन्दरलाल हिरण, सुरेश चन्द्र दक द्वारा अभिनंदन किया गया।
मार्ग सेवा में किशनलाल डागलिया, राजकुमार फत्तावत, भूपेन्द्र चोरडिया, कमलेश कच्छारा, सूर्यप्रकाश मेहता, आमेट तेरापंथ समाज के लाभचंद हिंगड, महेन्द्र बोहरा, देवेन्द्र मेहता, सुन्दरलाल हिरण, धूलचंद हिरण, शांतिलाल छाजेड़, जवाहर डांगी, जतन देवी बम्ब, संतोष देवी हिरण, उमा देवी हिरण, भंवर देवी छाजेड़ व मंजू देवी मादरेचा, सुरेश चोरडिया, राजेश खाब्या, सुनील कोठारी आदि आचार्य संघ की मार्ग सेवा में सहभागी रहे।

By Udaipurviews

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