उदयपुर 3 नवम्बर। सामाजिक समरसता, समानुभूति और सेवा का अद्भुत उदाहरण उनके घर दिया जले अभियान है। बालकों में समरसता का पैगाम भाषण से नहीं ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से ही दिया जा सकता है। उक्त विचार आलोक संस्थान, आलोक इंटरेक्ट क्लब द्वारा आयोजित उनके घर भी दिया जले अभियान में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए और अभियान के संयोजक डॉ प्रदीप कुमावत ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहे।
‘उनके घर भी दिया जले’ अभियान के अंतर्गत इस वर्ष छोटी दिवाली के अवसर पर तीन दिवसीय कार्यक्रमों की श्रृंखला का शुभारंभ हुआ। यह अभियान पिछले 37 वर्षों से डॉ. प्रदीप कुमावत के निर्देशन में अनवरत चल रहा है।
इस वर्ष अभियान का आयोजन राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, काडाफला (ग्राम पंचायत सिंघटवाड़ा) में किया गया। कार्यक्रम का आयोजन आलोक इंटरैक्ट क्लब, आलोक समाज सेवा प्रकोष्ठ तथा अखिल भारतीय नव वर्ष समारोह समिति के संयुक्त तत्वावधान में हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. प्रदीप कुमावत ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में रोटरी क्लब के पूर्व प्रांतपाल निर्मल सिंघवी, विशिष्ट अतिथि पीईईओ देवीलाल मीणा, पूर्व भाजपा मंडल अध्यक्ष जयसमंद फतेहसिंह सिसोदिया, पूर्व सरपंच गौतम लाल मीणा, प्रधानाध्यापक जगदीश मीणा, जनक सिंह रावत उपस्थित थे।
स्वागत भाषण विद्यालय के प्रधानाध्यापक जगदीश मीणा ने दिया। संचालन विद्यालय के अध्यापक धीरज कुमार आमेटा ने किया।
इस अवसर पर आलोक इंटरैक्ट क्लब के विद्यार्थियों ने वनवासी बालकों के साथ बैठकर भोजन किया और उन्हें अपने हाथों से मिठाई खिलाई। इस भावनात्मक दृश्य ने सामाजिक समरसता और भाईचारे का अनुपम संदेश दिया। बच्चों को दीपावली पर्व पर उपहार, खाद्य सामग्री, कंबल, टिफिन बॉक्स और अन्य उपयोगी वस्तुएं वितरित की गईं।
मुख्य अतिथि निर्मल सिंघवी ने कहा कि “यह अभियान केवल उपहार वितरण नहीं, बल्कि देने की संस्कृति और संवेदना के बीज बोने वाला अभियान है। डॉ. प्रदीप कुमावत और आलोक संस्थान वर्षों से समाज में सेवा और संस्कार का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं।”
स्थानीय विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने कहा कि इस सुदूर अंचल में बहुत कम लोग भामाशाह बनकर आते हैं, परंतु डॉ. प्रदीप कुमावत के नेतृत्व में ‘उनके घर भी दिया जले’ अभियान ने बार-बार यह साबित किया है कि संवेदना की रोशनी सीमाओं से परे होती है।
कार्यक्रम के दौरान रोटरी इंटरनेशनल वॉश अभियान के तहत डॉ. कुमावत ने विद्यार्थियों को “5 स्टेप हैंडवॉश तकनीक” सिखाई। उन्होंने बच्चों को समझाया कि हाथों की स्वच्छता किस प्रकार बीमारियों से बचाव का सरल और प्रभावी उपाय है। उन्होंने स्वयं डेमो देकर बच्चों को सही ढंग से हाथ धोना सिखाया।
उन्होंने कहा कि “ग्रामीण और वनवासी क्षेत्रों में हाथ न धोने की आदत से अनेक संक्रमण फैलते हैं। यदि हम अपने हाथों से ही स्वच्छता को संस्कार बना लें, तो आधी बीमारियाँ यूँ ही समाप्त हो जाएँ।”
इस अवसर पर आलोक के जयपाल सिंह रावत, मनमोहन भटनागर, राजेश भारती सहित इंटरैक्ट क्लब के कई पदाधिकारी उपस्थित रहे।
दिनभर शहर के और ग्रामीण बच्चों ने साथ मिलकर खेल, संवाद और सहयोग के पल साझा किए। लौटकर उन्होंने अपने विद्यालय में बताया कि “ वनवासी क्षेत्र के ये बच्चे कठिन परिस्थितियों में भी शिक्षा और स्वच्छता को बनाए रखने का अद्भुत साहस दिखाते हैं। कई किलोमीटर पैदल चलकर विद्यालय पहुँचते हैं, फिर भी उनके चेहरों पर मुस्कान रहती है।”
डॉ. प्रदीप कुमावत के ‘उनके घर भी दिया जले’ अभियान ने एक बार फिर यह सन्देश दिया कि दीपावली की असली रोशनी तब फैलती है जब किसी और का घर भी उजाला पा ले।
छोटी दीवाली पर वनवासी क्षेत्र में ‘उनके घर भी दिया जले’ अभियान — बच्चों के चेहरों पर खिला उल्लास
