उदयपुर, 15 अक्टूबर। इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज, उदयपुर चौप्टर के कन्वीनर एवं धरोहर विशेषज्ञ गौरव सिंघवी ने डेनमार्क के आरहूस शहर में आयोजित सिटीब्लूज़ नेचर-बेस्ड सॉल्यूशन्स अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन  में बतौर गेस्ट स्पीकर भाग लिया।
इस सम्मेलन में उन्होंने अपने शोध-पत्र “कल्चरल हेरिटेज एज ए विताल पिलर फॉर सक्सेसफुल डवलपमेंट ऑफ नेचर एण्ड बेस्ड सॉलयुसनः इनसाइट्स फ्रॉम इंडिया टू डेनमार्क”के माध्यम से यह बताया कि भारत में धरोहर केवल अतीत का हिस्सा नहीं, बल्कि एक जीवंत और गतिशील संसाधन है, जो हमें सस्टेनेबल भविष्य की दिशा दिखा सकता है।
सिंघवी ने कहा, “जब पर्यावरण विशेषज्ञ, आर्किटेक्ट्स, इंजीनियर्स, टाउन प्लानर्स और हेरिटेज विशेषज्ञ एक साथ बैठते हैं, तब हम सिर्फ नदी या पेड़ नहीं बचाते, बल्कि समाज में विश्वास, पहचान और संतुलन भी पुनर्स्थापित करते हैं।”
उदयपुर का परंपरागत ज्ञानः आधुनिक समाधान की नींव
उदयपुर का जल प्रबंधन तंत्र- तालाब, जोहड़, बावड़ियाँ सैकड़ों वर्ष पहले बनाए गए ऐसे स्वदेशी नेचर-बेस्ड सॉल्यूशन्स हैं जिन्होंने वर्षाजल संचयन, बाढ़ नियंत्रण और भूजल रिचार्ज का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। सिंघवी का मानना है कि इन पारंपरिक प्रणालियों को “अतीत की निशानी” नहीं बल्कि “जीवंत ढांचा” मानकर पुनर्स्थापित किया जाना चाहिए। आयड़ नदी या गुमानिया वाला नाला जैसे प्रोजेक्ट इस दिशा में प्रेरणास्रोत बन सकते हैं, जहाँ पारिस्थितिक पुनर्जीवन और ऐतिहासिक सौंदर्य दोनों का संरक्षण साथ-साथ हो।
समुदाय की भागीदारीरू विरासत से जुड़ाव की शक्ति
नेचर-बेस्ड सॉल्यूशन्स तभी सफल होते हैं जब स्थानीय समुदाय उनका हिस्सा बने। उदयपुर की सांस्कृतिक विरासत ऐसे अनेक कथानक और परंपराएँ प्रस्तुत करती है जो लोगों को अपने प्राकृतिक संसाधनों से भावनात्मक रूप से जोड़ सकती हैं। त्योहारों, स्टोरी-वॉक्स, स्कूल प्रोग्राम्स और लोककथाओं के माध्यम से नागरिकों को अपनी झीलों और बावड़ियों से जोड़ना ही स्थायी संरक्षण का सबसे बड़ा मंत्र है।
आरहूस से सीखः समाज और प्रकृति का संगम
सम्मेलन के दौरान श्री सिंघवी ने आरहूस शहर के जल और हरित क्षेत्रों के पुनर्जीवन के उदाहरण देखे  जहाँ 300 हेक्टेयर कृषि भूमि को पुनः प्राकृतिक जंगल और जलक्षेत्रों में बदला गया। उन्होंने कहा कि यह दर्शाता है कि समुदाय की भागीदारी किसी भी छइै प्रोजेक्ट की आत्मा होती है।
नीति और अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण
यह पहल यूनेस्को के हिस्टोरिक अर्बन लैंडस्केप दृष्टिकोण और संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स  से भी मेल खाती है। विशेषकर सस्टेनेबल सिटीज एंड कम्युनिटीज 11 और क्लाइमेट एक्शन 13 से। भारत में स्मार्ट सिटीज मिशन भी यही बताता है कि आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और सांस्कृतिक पहचान एक-दूसरे के पूरक हैं। उदयपुर इस मॉडल को अपनाकर भारत के ऐतिहासिक शहरों के लिए एक मिसाल बन सकता है।
निष्कर्षः धरोहर और प्रकृति का साझा भविष्य
सिंघवी का संदेश स्पष्ट है “धरोहर को शामिल करना अतीत की ओर देखना नहीं है, बल्कि भविष्य की दिशा में आगे बढ़ना है।”
गौरव सिंघवी का योगदानः धरोहर को सस्टेनेबल डिजाइन से जोड़ने की पहल
 
    
 
                                 
                                 
                                 
                                