-लेखांकन और वित्त में कृत्रिम बुद्धिमत्ता,आय प्रबंधन मुद्दे,डिजिटल अर्थव्यवस्था पर हुई चर्चा
-संस्कृतिक संध्या का हुआ आयोजन अन्तरराष्ट्रीय गायक कलाकार भुट्टे खान मांगनियार ने बिखेरा लोेक संगीत का जादू
– पधारो म्हारे देश, निम्बुडा, काल बेलिया डांस निम्बुडा एवं
-दमा दम मस्त कलंदर सुफी कव्वाली पर श्रोता हुए मंत्रमुग्ध
उदयपुर 12 अक्टूबर। भारतीय लेखांकन परिषद उदयपुर शाखा एवं राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित दो दिवसीय ऑल इंडिया अकाउंटिंग कॉन्फ्रेंस एंड इंटरनेशनल सेमिनार के पहले दिन अलग अलग विषयों पर आधारित विभिन्न तकनीकी सत्रों का आयोजन हुआ जिसमें एआई, लेखांकन, वित्त, अंतरराष्ट्रीय कराधान व शिक्षा पर विस्तृत चर्चा हुई। जिनमें देशभर के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों, प्रोफेसरों और विशेषज्ञों ने अपने विचार एवं शोधपत्र प्रस्तुत किए।
सांस्कतिक संध्याॅ का हुआ आयोजन: देश विदेश से आये प्रतिभागियों के लिए शाम को रंगारंग कार्यक्रमांे और लोकगीतों से सरोबार संस्कृतिक संध्या का भी आयोजन किया गया। जिसमें प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय राजस्थानी लोक गीत कलाकार भुट्टे खान ने अपनी समृद्ध लोक गायन की श्रृंखला में विभिन्न लोकगीतों से सभा में उपस्थित जनों का मनमोहा। शेली श्रीवास्तव ने ओडीसी नृत्य की प्रस्तुति दी।
इससे पूर्व सभी लोक गीतकारों का स्वागत परिचय कराते हुए कुलपति प्रो. कर्नल शिव सिंह सारंगदेवोत, प्रो. प्रतापसिंह चैहान, प्रो. केएस ठाकुर ने सभी लोक गीत कलाकारों का उपरणा, स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया। प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि संगीत ,संस्कृति और विरासत किसी भी राष्ट्र की आत्मा होती है तथा जिस प्रकार व्यक्ति बिना नाक कान और वाणी के गूंगा बहरा प्रभावहीन होता है उसी प्रकार कोई भी देश अपनी संस्कृति के बिना अधूरा होता है। लोक कलाकार बुटट्े खान मंगनियार की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि ये उच्च कोटि के कलाकार है और लोक कथाओं के एक समर्पित प्रवर्तक भी हैं आप देश-विदेश में लगभग 45 देश में अपने गायन की प्रतिभा से सभाजनों का मन मोह चुके हैं।
कार्यक्रम में बुटट्े खान मंगनियार मांगनियार ने राजस्थानी लोक गीत जिसमें गोरबंद, छाप तिलक सब छीनी, लड़ली लुमा झुमा, घूमर ,लाल कचहरी जुगलबंदी एवं अंत में राजस्थानी प्रसिद्ध लोकगीत निंबुडा, कालबेरिया नृत्य एवं दमादममस्त कलंदर की प्रस्तुति दे सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इन विषयों पर हुई चर्चा
तकनीकी सत्र “लेखांकन और वित्त में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका” विषय पर चर्चा हुई।
इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. एस. पी. अग्रवाल (एमेरिटस प्रोफेसर, साउथ एशिया यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली) ने की, सह-अध्यक्ष प्रो. अशोक अग्रवाल (पूर्व विभागाध्यक्ष, एबीएसटी, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर) रहे।मुख्य वक्ता प्रो. हेमेन्द्र डांगी (दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स, दिल्ली विश्वविद्यालय) रहे।सत्र का संचालन डॉ. शिल्पा वार्डिया (सहायक प्रोफेसर, एबीएसटी विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर) ने किया।
रैपोटियर के रूप में डॉ. मुकेश कुमार वर्मा (राजस्थान विश्वविद्यालय) व सुश्री पायल बडाला (मीरा गर्ल्स कॉलेज, उदयपुर) रहीं।
“लेखांकन और वित्त में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका” विषय पर आयोजित हुए दूसरे सत्र की
अध्यक्षता प्रो. अनिल कोठारी (प्राचार्य, गुरु नानक गर्ल्स कॉलेज, उदयपुर) ने की, जबकि सह-अध्यक्ष प्रो. के. ए. गोयल (जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर) रहे।मुख्य वक्ता प्रो. हनुमान प्रसाद (निदेशक, इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, एमएलएसयू, उदयपुर) थे।डॉ. पुष्पकांत शकद्वीपी (एसोसिएट प्रोफेसर, पैसिफिक इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, उदयपुर) ने समन्वयक की भूमिका निभाई।रैपोटियर डॉ. मधु मुर्डिया (जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ) व डॉ. शिल्पा कंठालिया (फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, जेआरएनआरवी, उदयपुर) रहीं। “आय प्रबंधन मुद्दे और चुनौतियाँ” विषयक तीसरे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रो. एस. के. सिंह (जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर) तथा सह-अध्यक्ष प्रो. राचप्पा शेट्टे (आईआईएम, कोझिकोड) रहे।मुख्य वक्ता प्रो. उदयलाल पालीवाल (निरमा यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद) रहे, जबकि समन्वय प्रो. आशीष कुमार सना (कलकत्ता विश्वविद्यालय) ने किया।
रैपोटियर डॉ. रुपाली सैनी (डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर) एवं डॉ. अनुप कुमावत (राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर) रहे।
“डिजिटल अर्थव्यवस्था के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय कराधान” पर विमर्श हुआ।
अध्यक्ष प्रो. के. एरेसी (पूर्व प्रोफेसर, बेंगलुरु विश्वविद्यालय) और सह-अध्यक्ष प्रो. सुनील कुमार (आईजीएनओयू, नई दिल्ली) रहे।मुख्य वक्ता सीए अभिषेक नागोरी (पार्टनर, जेएलएन यूएस एंड कंपनी, वडोदरा) थे।सत्र का संयोजन डॉ. हिना खान (जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ) ने किया।रैपोटियर डॉ. मंगूराम (जेएनवीयू, जोधपुर) व डॉ. दुर्गा सिंह (गवर्नमेंट कॉलेज, खेरवाड़ा) रहीं। अंतिम सत्र में “लेखांकन शिक्षा पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी” पर चर्चा हुई।
अध्यक्ष प्रो. वी. अप्पा राव (उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद, पूर्व अध्यक्ष रहे, सह-अध्यक्ष प्रो. प्रणम धर (पश्चिम बंगाल राज्य विश्वविद्यालय, कोलकाता) थे।
मुख्य वक्ता प्रो. के. वी. आचलपति (पूर्व डीन, उस्मानिया विश्वविद्यालय) रहे।संचालन डॉ. पारस जैन (विभागाध्यक्ष, अर्थशास्त्र, जेआरएनआरवी, उदयपुर) ने किया।रैपोटियर डॉ. अभिक कुमार मुखर्जी (बर्धमान विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल) व डॉ. मोहित जैन (राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर) रहे। इन सत्रों में विशेषज्ञों ने लेखांकन, वित्त, कराधान और शिक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की संभावनाओं और नैतिक आयामों पर गहन चर्चा की।