इतिहास मानवीय इतिहास को बनाना महत्वपूर्ण: डॉक्टर मयंक

उदयपुर 17 सितंबर । इतिहास एवं संस्कृति विभाग, जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय में आज ”इतिहास के बदलते आयाम एंव संभावनाएं एवं चुनौतियां” विषयक पर एक विस्तार भाषण का आयोजन हुआ । इस विस्तार भाषण के मुख्य वक्ता प्रोफेसर मयंक कुमार, सहआचार्य, इतिहास विभाग, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय नई दिल्ली थे।
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष डॉक्टर हेमेंद्र चैधरी ने किया। मुख्य वक्ता डॉ मयंक ने कहा कि इतिहास एक लंबी एवं जटिल यात्रा है, जो समय के साथ बदलती रहती है, पहले इतिहास में सिर्फ राजाओ, युद्धो और महापुरुषों तक अर्थात राजनीतिक इतिहास तक सीमित था, परंतु इसमें बदलते आयाम ने इतिहास को और भी समावेशी और बहु-आयामी बना दिया है। इस परिवर्तन में कहीं संभावनाएं एवं चुनौतियां हैं। अब इतिहास मात्र राजनीतिक इतिहास नहीं रहा है, अभिलेखीय स्रोत, मौखिक स्रोत, समाचार पत्र, मध्यकालीन पुरातात्विक स्रोत आदि ऐसे प्रमाण मौजूद हैं, जिसमें हम समाज एवं आम व्यक्ति के सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, प्रशासनिक इतिहास को समझ सकते है।
आपने अंतर अनुशासनिक दृष्टिकोण पर जोर डालते हुए कहा सरकार ने नई शिक्षा नीति 2020 में सभी विषयों को अध्ययन-अध्यापन पर विशेष जोर दिया है, इतिहास अब अलग विषय नहीं है, यह समाजशास्त्र, मानव विज्ञान, अर्थशास्त्र और यह तक की पर्यावरण विज्ञान विषयो से भी जुड़ा हुआ है। वर्तमान में डिजिटल युग का जमाना है, यह तकनीक इतिहास के शोध में एक नया दौर लेकर आयी है, परिणाम स्वरुप छात्रों और शोधार्थियों के लिए इतिहास और भी आसान और रोचक बन चुका है।
डॉक्टर मयंक ने कहा कि इतिहास को शोध परक बनाने के लिए संभावना है तो चुनौतियां भी बहुत है, तत्कालीन समयानुसार प्रमाणों के आधार पर इतिहास का लेखन किया गया है, वहीं वर्तमान में मिले नए स्रोतों को समझने एवं इतिहास को पुर्न लेखन की बड़ी चुनौती हैं, साथ ही संपूर्ण परिपेक्ष्य में नजरिया बदलने तथा संपूर्ण मानवीय इतिहास लिखने भी बड़ी चुनौती हैं। अतः इतिहास की बदलती प्रकृति को व्यापक दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है, इस आवश्यकता की पूर्ति बौद्धिक ईमानदारी, आलोचनात्मक मूल्यांकन एवं मानवीय इतिहास की जटिलताओं की गहरी समझ ही पूरी कर सकती हैं।
अध्यक्षीय उद्बोधन अधिष्ठाता प्रोफेसर मलय पानेरी ने दिया आपने भी अंतर विषयको के संबंधो पर शोध पर जोर दिया है। विस्तार भाषण कार्यक्रम में डॉक्टर विवेक भटनागर, डॉक्टर धर्मेंद्र राजोरा, डॉक्टर ममता पुरबिया, मदन मोहन, चैन शंकर, दीपक बोर्दिया, डॉ बिंदिया पवार, राजकुमार खराङी, पायल लोहार, डॉक्टर पंकज रावल, पंकज वया , डाॅ शाहिद कुरेशी, डॉक्टर मोनिका सारंगदेवत, डॉक्टर ममता पानेरी, डॉक्टर कुसुम लता, डॉक्टर लवली ,डॉक्टर चित्रा, डॉक्टर आरती, डॉक्टर पायल, डॉ. नारायण राव, डॉक्टर सी. एल. भगोरा,
डॉ नरदेव ,आदि अनेक अकादमिक सदस्य और शोधार्थी उपस्थित थे।
कर्यक्रम का संचालन डॉ ममता पुरबिया न किया एंव धन्यवाद डॉ बिंदिया पवार ने दिया।
By Udaipurviews

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