उदयपुर, 15 सितम्बर। सोमवार को दोपहर बाद 12:15 बजे अनुसंधान निदेशालय के सम्मेलन कक्ष, एन्टोमोलॉजिकल रिसर्च एसोसिएशन तथा महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के राजस्थान कृषि महाविद्यालय का कीटविज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय सम्मेलन “बदलते कृषि परिदृश्य में सतत पादप संरक्षण की प्रगति” विषय पर में पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया । इस वार्ता में डॉ मनोज महला अधिष्ठाता राजस्थान कृषि महाविद्यालय ने विभिन्न प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हाउस से पधारे मेरे मित्रो और मीडिया प्रतिनिधियों संवाददाताओं का स्वागत किया। माननीय कुलगुरू डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने कृषि में सतत पौध संरक्षण सम्मेलन के महत्वपूर्ण उद्देश्यों और परिणामों की जानकारी दी। डॉ. कर्नाटक ने बताया कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जो लगभग 18% जीडीपी में योगदान देती है और 45% से अधिक जनसंख्या को आजीविका प्रदान करती है। डॉ. कर्नाटक ने कहा कि कुल उत्पादन का लगभग 13.7 प्रतिशत केवल कीटों और नाशीजीवों के आक्रमण से नष्ट हो गया। घटती कृषि योग्य भूमि और युवाओं में कृषि के प्रति निरन्तर कम होते रुझान के बीच 1.27 अरब लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना देश के कृषि बड़ी चुनौती है। आज कृषि अनेक प्रकार की जटिल चुनौतियों का सामना कर रही है।
जलवायु परिवर्तन का गहरा प्रभाव, कीटों का पुनः उभरना, आक्रामक प्रजातियों का तेजी से फैलना तथा कीटनाशकों के अनावश्यक उपयोग को लेकर बढ़ती चिंताएँ- ये सभी न केवल फसल उत्पादकता को प्रभावित कर रहे हैं बल्कि पारिस्थितिक संतुलन और मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरे का कारण बन रहे हैं। ऐसे समय में पर्यावरण-सुरक्षित, नवाचारी और सतत पादप संरक्षण रणनीतियों की खोज पहले से कहीं अधिक आवश्यक हो गई है।
यह सम्मेलन अत्यंत प्रासंगिक विषयों पर केंद्रित है – इनमें जैव-प्रणाली विज्ञान एवं आक्रामक प्रजातियों का अध्ययन, जलवायु परिवर्तन का प्रभाव, उभरते कीट रुझान, जैव-कीट प्रबंधन तथा एकीकृत कीट प्रबंधन के दृष्टिकोण, कीटों की जैव-परिस्थितिकी और फसल हानि का आकलन, नैनो अणुओं एवं जैव प्रौद्योगिकीय उपकरणों का उपयोग, कीट, रोग एवं खरपतवार प्रबंधन में IoT और बायो-इन्फॉर्मेटिक्स की भूमिका तथा पादप संरक्षण में उद्यमिता और नीतिगत ढाँचे शामिल हैं। ये सभी विषय आज की कृषि के सामने खड़ी चुनौतियों को प्रत्यक्ष रूप से संबोधित करते हैं। यह आवश्यक है कि हम वैज्ञानिक नवाचारों को पारिस्थितिकीय स्थिरता के साथ जोड़कर ऐसे व्यावहारिक समाधान विकसित करें, जो किसानों तक सरलता से पहुँच सकें और उन्हें लाभान्वित कर सकें। मुझे विश्वास है कि इस सम्मेलन की गहन चर्चाएँ और विचार-विमर्श न केवल कीट प्रबंधन के लिए प्रभावी रणनीतियाँ प्रस्तुत करेंगे, बल्कि पर्यावरण अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देने और भारतीय कृषि को अधिक लचीला तथा सहनशील बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे। ये सभी विषय आज की कृषि के सामने खड़ी चुनौतियों को प्रत्यक्ष रूप से संबोधित करते हैं। यह आवश्यक है कि हम वैज्ञानिक नवाचारों को पारिस्थितिकीय स्थिरता के साथ जोड़कर ऐसे व्यावहारिक समाधान विकसित करें, जो किसानों तक सरलता से पहुँच सकें और उन्हें लाभान्वित कर सकें। मुझे विश्वास है कि इस सम्मेलन की गहन चर्चाएँ और विचार-विमर्श न केवल कीट प्रबंधन के लिए प्रभावी रणनीतियाँ प्रस्तुत करेंगे, बल्कि पर्यावरण अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देने और भारतीय कृषि को अधिक लचीला तथा सहनशील बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे।
डॉ महला ने बताया कि इस राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में माननीय श्री भागीरथ चौधरी, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री, भारत सरकार, विशिष्ट अतिथि के रूप में माननीय डॉ. एम.एल. जाट (सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग, महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद), माननीय डॉ. किरोड़ीलाल मीणा (कृषि एवं बागवानी मंत्री, राजस्थान सरकार), डॉ. मन्ना लाल रावत (सांसद, उदयपुर लोकसभा) उपस्थित रहेंगे। अंत में, डॉ. हेमंत स्वामी ने सभी मीडिया प्रतिनिधियों का धन्यवाद प्रस्ताव रखा।
राष्ट्रीय सम्मेलन “बदलते कृषि परिदृश्य में सतत पादप संरक्षण की प्रगति” विषय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस
