उदयपुर, 30 अगस्त। जीवन में जहाँ कठिनाइयाँ कदम रोक देती हैं, वहीं सेवा और सहयोग से नए सपने जन्म लेते हैं। नारायण सेवा संस्थान ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि “प्रेम और समर्पण से कोई सपना अधूरा नहीं रहता।” शनिवार को लियों का गुड़ा स्थित सेवा महातीर्थ में संस्थान का 44वां नि:शुल्क दिव्यांग एवं निर्धन सामूहिक विवाह समारोह गणपति पूजन और मंगल वंदना के साथ शुरू हुआ। दो दिन चलने वाले इस आयोजन में 51 जोड़े (25 दिव्यांग और 26 सकलांग) परिणय सूत्र में बंधेंगे।



सेवा से संवरते सपने : संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा – “जिन्होंने निःशक्तता और निर्धनता को अपनी नियति मान लिया था, कल वे जीवन साथी संग सात फेरे लेने जा रहे हैं। यह भामाशाहों और समाज के सहयोग का परिणाम है, और हमारे लिए गर्व का क्षण।”
अब तक संस्थान के माध्यम से हुए 43 सामूहिक विवाहों में 2459 जोड़ें अपना परिवार बसा चुके हैं। इनमें से कई जोड़े इस बार अपने बच्चों के साथ आकर नवविवाहितों को आशीर्वाद दे रहे हैं।

खुशियों से सजा महातीर्थ : महिला संगीत की रंगारंग प्रस्तुतियों ने शाम को और भी यादगार बना दिया। दूल्हा-दुल्हनों ने भी गीतों और ठुमकों के साथ अपने नए जीवन की शुरुआत का उत्साह जताया। परिजनों ने अपने-अपने अंचल के पारंपरिक विवाह गीत गाए और समवेत स्वर में आनंद बाँटा। इस समारोह में राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार से आए जोड़े भी शामिल हैं, जिससे यह आयोजन एक राष्ट्रीय उत्सव का रूप लेता है।
जहाँ सेवा है, वहीं सच्चा उत्सव है ” संस्थान संस्थापक कैलाश ‘मानव’ और कमला देवी ने सभी जोड़ों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि “जीवन में सबसे बड़ा धन, प्रेम और साथ है। यही साथ हर मुश्किल को आसान बना देता है।” वास्तव में, यह समारोह केवल विवाह का नहीं, बल्कि आशाओं, सपनों और नए जीवन की शुरुआत का उत्सव है – जहाँ हर मुस्कान गवाही देती है कि “सेवा से बढ़कर कोई धर्म नहीं।”
