बाल पहेली व कुण्डली की पुस्तक विमोचन
जयपुर। वंदेमातरम गीत के विभाजन को स्वीकार कर भारत विभाजन की नींव रख दी गई थी, देश का विभाजन बाद में हुआ उससे पहले विचारों में विभाजन हो गया था परंतु विभाजन के जितने जिम्मेदार गांधी थे उतने ही जिम्मेदार अंग्रेज , तत्कालीन राजनैतिक नेतृत्व एवं उस समय का समाज भी था। भारत विभाजन की पृष्ठभूमि में अंग्रेजों द्वारा स्थापित तीन संस्थाएं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, मुस्लिम लीग एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भी थी
पिछले पाँच छः दशकों में भारत विभाजन के विषय पर पर्याप्त साहित्य एवं सभी विधाओं में सृजित हुआ है प्रमुख रूप से इसके तीन प्रकार हैं एक विभाजन की पृष्ठभूमि पर आधारित दूसरा विभाजन के दर्द एवं पीड़ा पर आधारित एवं तीसरा विस्थापितों की सुरक्षा, सेवा व अविभाजित भारत की संभावनाओं पर ,आज आवश्यकता है इस साहित्य को फिर से देखा जाए ,चर्चा की जाए है।
उक्त बातचीत अखिल भारतीय साहित्य परिषद के सह संगठन मंत्री मनोज कुमार ने साहित्य परिषद जयपुर ईकाई द्वारा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस एवं सोशल साइंसेज के सभागार में आयोजित परिचर्चा में कही
अखण्ड भारत स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में ‘‘भारत विभाजन की विभीषिका पर निर्मित साहित्य परिचर्चा’’ एवं श्री विष्णु शर्मा ‘‘हरिहर’’ की दो पुस्तकों ‘‘बोल री चिड़िया रानी’’ एवं ‘‘अच्छे लगते फूल’’ के विमोचन आवसर था
आगे मनोज कुमार ने बताया कि विभाजन के साहित्य पर चर्चा रखने का उद्देश्य
विभाजन की त्रासदी का स्मरण करने के साथ-साथ यह है इस साहित्य को नई पीढ़ी के लिए फिर से उनकी भाषा में आज के संदर्भों सहित नए कलेवर में लिखा जाए
कार्यक्रम का शुभारंभ साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष एवं साहित्य परिक्रमा के संपादक इंदु शेखर एवं कोटा के प्रसिद्ध बाल साहित्यकार विष्णु हरिहर ने माँ शारदा एवं माँ भारत के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर किया।
कार्यक्रम का संयोजन विकास तिवाड़ी द्वारा किया गया
विभाजन विभीषिका पर आधारित 8 पुस्तकों पर परिचर्चा
कार्यक्रम के प्रारंभ में भारत विभाजन की कारण मीमांसा व विभीषिका पर 8 पुस्तकों पर एक विषय केन्द्रित साहित्यिक चर्चा की गई।
डॉ ईश्वर बैरागी ने माणिक वाजपेयी व श्रीधर पराड़कर द्वारा लिखित ‘‘ज्योति जला निज प्राण की’’ पुस्तक पर बात करते हुए बताया कि इस पुस्तक में एक बार भी शरणार्थी शब्द का उपयोग नहीं हुआ है उसके स्थान पर विस्थापित शब्द काम में लिया गया है
केशव शर्मा नं लेखक प्रशांत पोल द्वारा लिखित एवं प्रभात प्रकाशन की ‘‘वे पंद्रह दिन’’ पुस्तक पर चर्चा की, डॉ इंदुशेखर तत्पुरूष ने डॉ राम मनोहर लोहिया द्वारा लिखित ‘‘भारत विभाजन के गुनहगार’’ एवं प्रो. ए एन बाली द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘ विभाजन विभीषिका ….. जो बताना जरूरी है’’ पर प्रकाश डाला एवं
साहित्यकार सत्यनारायण शर्मा ने हो वे शेषाद्रि द्वारा लिखित ‘‘….और देश बंट गया’’ एवं गुरूदत्त द्वारा लिखित ‘‘देश की हत्या’’ उपन्यास, विष्णु शर्मा ‘हरिहर’ ने कृष्णानंद सागर द्वारा लिखित ‘‘भारत विभाजन के कुछ अज्ञात तथ्य’’,
एवं डॉ विपिन चंद्र ने सदानंद सप्रे की अर्चना प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तक अखंड भारत पर अपनी बात रखी
इस दौरान उपस्थित साहित्यकार एवं साहित्य अनुरागियों द्वारा विभाजन विषय पर निर्मित अनेक पुस्तकों एवं उनके लेखकों व प्रकाशकों के नाम के साथ उनके बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई
विष्णु शर्मा ‘हरिहर’ लिखित बाल साहित्य का विमोचन
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में श्री विष्णु शर्मा ‘हरिहर की दो पुस्तकों ‘‘बोल री चिड़िया रानी’’ एवं ‘‘अच्छे लगते फूल’’ पुस्तक का विमोचन अ भा साहित्य परिषद के सह संगठन मंत्री मनोज कुमार एवं साहित्य परिक्रमा के सम्पादक डॉ इंदुशेखर तत्पुरूष द्वारा किया गया। यह दोनों पुस्तक बाल साहित्य हैं जिसमं पहली पुस्तक बोल री चिड़िया रानी बाल कुण्डलियों का संग्रह है वहीं दूसरी पुस्तक अच्छे लगते फूल पुस्तक रोला बाला पहेली संग्रह है। उन्होंने अपने संबोधन में अपनी इन दोनों ही पुस्तकों के विषय वस्तु के बारे में जानकारी दी।
इस अवसर पर अल्का सक्सेना, संतोष यादव, रमा सिंह , लक्ष्मण सिंह , मुरारी, जितेन्द्र ,केशव , डॉ ओमप्रकाश ,संजय, डॉ ममता, डॉ हरवीर सिंह, पुरूषोत्तम ,
डॉ विपिनचंद्र , डा अमित ,डॉ शुचि ,याजवेन्द्र एवं केन्द्रीय विश्व विद्यालय के शोधार्थियों सहित अनेक साहित्यकार एवं साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।