-सांसद डॉ रावत द्वारा दी गई जानकारी के बाद केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने दिए आदेश
-पर्यटन मंत्रालय, पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारी, सांसद उदयपुर एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि व झाबुआ शिवगंगा मिशन के प्रतिनिधि शामिल होंगे
उदयपुर। मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किये जाने को लेकर सांसद डॉ मन्नालाल रावत लगातार प्रयासरत है और इस संबंध में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के साथ भी बैठक कर इस मुद्दे को फिर से उठाया है।
सांसद डॉ रावत ने बताया कि मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित को लेकर केंद्रीय मंत्री ने भी गंभीरता दिखाई है और जल्द ही एक बैठक बुलाने के आदेश दिये हैं, जिसमें पर्यटन मंत्रालय, पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारी, सांसद उदयपुर एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि तथा झाबुआ शिवगंगा मिशन के प्रतिनिधि सम्मिलित होंगे। इस पहल से मानगढ़ धाम राष्ट्रीय स्मारक बनने की मांग और तेजी से आगे बढ़ रही है।
सांसद डॉ रावत ने लोकसभा में नियम 377 एवं शून्य काल के दौरान उठाये गये इस मुद्दे का उल्लेख करते हुए केंद्रीय मंत्री को बताया कि देश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जनजातीय समुदायों ने भी असंख्य बलिदान दिए हैं। इनमें गोविंद गुरु तथा मानगढ़ धाम पर घटित नरसंहार एक अत्यंत महत्वपूर्ण और स्वर्णाक्षरों में लिखे जाने योग्य घटना है, जो जलियांवाला बाग की घटना से भी कहीं अधिक वीभत्स व हृदयविदारक मानी जाती है। इस नरसंहार ने ब्रिटिश शासन की क्रूरता के विरुद्ध गुजरात, राजस्थान तथा मध्यप्रदेश क्षेत्र में स्वतंत्रता संग्राम की ज्वाला को और भी अधिक प्रज्वलित किया था। इतिहासकारों के अनुसार, इस नरसंहार में 1500 से अधिक जनजाति आंदोलनकारी ब्रिटिश सेना की गोलीबारी में शहीद हुए थे।
दक्षिणी राजस्थान के जनजाति समुदाय लंबे समय से मानगढ़ धाम को उनके ऐतिहासिक एवं राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक स्थल के रूप में राष्ट्रीय धरोहर के रूप में चिन्हित, संरक्षित एवं विकसित किए जाने की मांग कर रहे हैं।
सांसद डॉ रावत ने बताया कि लोकसभा में इस मुद्दे को उनके द्वारा उठाने बाद जानकारी दी गई कि इस स्थान पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम को कोई प्राचीन अवशेष अथवा पुरावशेष या किसी प्रकार की ऐसी संरचनाएं प्राप्त नहीं हुई है, जिनके आधार पर इस स्थान को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया जा सके।
जबकि इसके विपरीत मानगढ़ धाम पर आदिवासी समुदाय द्वारा स्वाधीनता के लिए किए गए संग्राम और बलिदान को दृष्टिगत रखते हुए. राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा उक्त स्थल को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में मान्यता देने के संबंध में सिफारिश की गई है। आयोग द्वारा गठित तीन सदस्यीय दल ने मानगढ़ धाम की ऐतिहासिकता, महत्व एवं बलिदानों का विस्तृत अध्ययन कर एक शोध-आधारित रिपोर्ट भी प्रस्तुत की है। रिपोर्ट में यह रेखांकित किया गया है कि अविलम्ब मानगढ़ पहाड़ी के उस क्षेत्र, जहां हजारों जनजातीय लोगों ने स्वाधीनता तथा अस्मिता की रक्षा के लिए बलिदान दिया, को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करे। केंद्रीय मंत्री ने सांसद डॉ रावत द्वारा दी गई इस जानकारी के बाद विभिन्न विभागों की बैठक बुलाने का आदेश दिया है।
सांसद डॉ रावत की पहल पर महत्वपूर्ण निर्णय: मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने को लेकर विभिन्न विभागों की समन्वय बैठक होगी
