संसद में मेवाड: व्यावसायिक और शैक्षणिक विषयों के बीच के भारी अंतर को दूर कर रही राष्ट्रीय शिक्षा नीति

-सांसद डॉ. मन्ना लाल रावत के प्रश्न पर शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ. सुकान्त मजूमदार ने दी जानकारी
-मुख्यधारा की शिक्षा के साथ कौशल विकास को एकीकृत करने पर जोर
-पाठ्यपुस्तकों और अध्ययन सामग्री के अनुवाद के लिए भारतीय भाषा पुस्तक परियोजना की घोषणा

उदयपुर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में व्यावसायिक और व्यावहारिक कौशल को स्कूल और उच्चतर शिक्षा में शामिल करके मुख्यधारा की शिक्षा के साथ कौशल विकास को एकीकृत करने पर जोर दिया गया है, ताकि व्यावसायिक और शैक्षणिक विषयों के बीच के भारी अंतर को दूर किया जा सके। पॉलिसी में मीडिल और माध्यमिक वि‌द्यालयों में प्रारंभिक स्तर पर व्यवसायपरक शिक्षा उपलब्ध कराने का भी आह्वान किया गया है।
लोकसभा में सांसद डॉ. मन्ना लाल रावत के प्रश्न पर शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ. सुकान्त मजूमदार ने यह जानकारी दी है।
डॉ रावत ने देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के कार्यान्वयन, इस नीति के अंतर्गत चलाए जा रहे कौशल विकास पाठ्यक्रम, इस नीति को लागू करने के लिए उठाए गए कदम तथा प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषा को माध्यम के रूप में अपनाने की पहल को किस प्रकार कार्यान्वित किया जा रहा है इसको लेकर प्रश्न पूछे थे।
शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री ने बताया कि एनईपी 2020 में व्यावसायिक और व्यावहारिक कौशल को स्कूल और उच्चतर शिक्षा में शामिल करके एक बडा कदम उठाया गया है।
एनईपी 2020 के अनुसरण में और केंद्र प्रायोजित योजना समग्र शिक्षा के कौशल शिक्षा घटक के तहत, कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों को राष्ट्रीय कौशल योग्यता रूपरेखा (एनएसक्यूएफ) के अनुरूप कौशल पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए राज्यों व संघ राज्य क्षेत्रों को वितीय सहायता प्रदान की जाती है। राज्य मंत्री ने बताया कि एनईपी 2020 की घोषणा के बाद स्कूल और उच्चतर शिक्षा दोनों में कई परिवर्तनकारी बदलाव हुए हैं। एनईपी कार्यान्वयन के लिए जागरूकता पैदा करने और नवीन विचारों पर चर्चा करने के लिए, समय-समय पर राज्यों व संघ राज्य क्षेत्रों, शैक्षणिक संस्थाओं, अन्य हितधारकों के साथ कार्यशालाओं व परामर्श-सह-समीक्षा बैठकों की एक श्रृंखला आयोजित की गई है।
उन्होंने जानकारी दी कि एनईपी 2020 बहुभाषावाद को बढ़ावा देने पर बल देती है और भारतीय भाषाओं को जीवत बनाए रखने के प्रयासों को प्रोत्साहित करती है। यह सभी भारतीय आषाओं के प्रोत्साहन पर केंद्रित है, तथा जहां तक संभव हो, कम से कम कक्षा 5 तक, तथा अधिक कक्षा 8 तक, शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा या स्थानीय भाषा के उपयोग की सिफारिश करती है।
उन्होंने बताया कि बजट 2025-26 में सरकार ने स्कूलों और उच्चतर शिक्षा के लिए प्रदान किए जा रहे विषयों के लिए पाठ्यपुस्तकों और अध्ययन सामग्री के अनुवाद के लिए भारतीय भाषा पुस्तक परियोजना की घोषणा की है, जिसे डिजिटल रूप में 22 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराया जाएगा।

By Udaipurviews

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