राज्य स्तरीय संस्कृत विद्धतजन सम्मान समारोह
स्वदेशी वस्तुओं को अपनाकर करें देश को मजबूत – शिक्षा मंत्री श्री दिलावर
संस्कृत की उत्कृष्ट सेवा के लिए 56 विद्वतजनों का सम्मान
उदयपुर, 7 अगस्त। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष प्रो वासुदेव देवनानी ने कहा कि संस्कृत सिर्फ भाषा नहीं, भारत की आत्मा, ज्ञान की गंगा और सनातनी चेतना की संवाहक भी है। संस्कृति और संस्कारों का संरक्षण केवल संस्कृत से ही हो सकता है।
श्री देवनानी गुरूवार को संस्कृत शिक्षा विभाग राजस्थान सरकार की ओर से नगर निगम उदयपुर के सुखाड़िया रंगमंच सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय विद्वतजन सम्मान समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। श्री देवनानी ने कहा कि संस्कृत विश्व की सभी भाषाओं की जननी है। यह मनुष्य के व्यक्तित्व को भीतर से निखारती और पल्लवित करती है। इसमें ऋषियों की अनुभूति और वेदों की वाणी निहित है। हमारी संस्कृति और संस्कारों को बचाना है तो संस्कृत को बचाना अति आवश्यक है। इस बात का संतोष है कि केंद्र और राज्य सरकारें संस्कृत के संरक्षण के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। संस्कृत निदेशालय स्थापित करने वाला राजस्थान प्रथम राज्य था। इससे संस्कृत के संरक्षण और संवर्द्धन को बल मिल रहा है।
विधानसभा अध्यक्ष श्री देवनानी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत पुनः विश्वगुरू बनाने का परिकल्पना के साथ आगे बढ़ रहा है। विश्वगुरू बनाने की क्षमता और सामर्थ्य संस्कृत में निहित है। संस्कृत सिर्फ वेदवाणी ही नहीं, विज्ञान वाणी भी है। यह केवल शास्त्रों की नहीं भाषा नहीं, एआई की भाषा भी है, अंतरिक्ष विज्ञान की भाषा भी है। यह सिद्ध हो चुका है कि संस्कृत कम्प्यूटर विज्ञान की श्रेष्ठ भाषा है। सभी विषयों का प्रारंभिक और मूल ज्ञान संस्कृत भाषा में ही उपलब्ध है। दुनिया में जितने भी आविष्कार हुए है, उनका मूल भारतीय वेदों में है, जो संस्कृत में लिखित हैं। केंद्र व राज्य सरकारें लगातार संस्कृत के संवर्धन के लिए कार्य कर रही हैं।
श्री देवनानी ने विश्वविद्यालयों का आह्वान करते हुए कहा कि समय के साथ संस्कृत समझने वालों की कमी हुई है। यहां तक की पूजा पाठ, कर्मकाण्ड करने वाले भी नहीं मिलते हैं। ऐसे में विश्वविद्यालयों को ज्योतिष, कर्मकाण्ड जैसे विषयों पर छह माह अथवा 9 माह के पाठ्यक्रम शुरू करने चाहिए, ताकि युवा अपनी संस्कृति और संस्कारों से जुड़ें। उन्होंने कहा कि संस्कृत में केरियर की भी अपार संभावनाएं हैं।
श्री देवनानी ने समारोह में सम्मानित होने वाले विद्वतजनों का अभिनंदन करते हुए कहा कि यह सम्मान उनकी संस्कृत के प्रति साधना और समर्पण का है। इनसे प्रेरित होकर अन्य लोग भी संस्कृत की सेवा में आगे आएंगे।
संस्कृत में छिपा है अथाह ज्ञान का भण्डार – शिक्षा मंत्री श्री दिलावर
समारोह को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री श्री मदन दिलावर ने कहा कि संस्कृत का गहन अध्ययन करें, संस्कृत में ज्ञान का अथाह भंडार छिपा हुआ है। महाभारत में संजय आंखों देखा हाल बताते थे यह सब संस्कृत के माध्यम से मंत्रों की तकनीक से संभव था। शिक्षा मंत्री ने स्वदेशी अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि दैनिक जीवन में उपयोग में आने वाली वस्तुएं प्रायः विदेशी ब्रांड की होती है, हमें इस आदत को छोड़कर स्वदेशी को अपनाना होगा। स्वदेशी अपनाने से ही देश मजबूत होगा। श्री दिलावर ने कहा कि आज भारत में हर वस्तु का निर्माण हो रहा है। ऑपरेशन सिंदूर में हमारे देश के हथियारों ने दुनिया के बड़े से बड़े हथियार मार गिराए। अमेरिका ने जब सुपर कंप्यूटर देना बंद कर दिया था तो हमने स्वयं का सुपर कंप्यूटर बना दिया। इसीलिए हमारी क्षमताओं को कम नहीं आंके, विदेशी कंपनियों का सामान खरीदकर हम जाने अनजाने दुश्मन देश को समृद्ध करते हैं, यदि हमें मातृभूमि के प्रति प्रेम है तो संकल्प लें कि विदेशी वस्तुओं का उपयोग नहीं करेंगे। श्री दिलावर ने कहा कि शिक्षा विभाग ने हरियालो राजस्थान अभियान के तहत अब तक 5 करोड़ पौधे लगाए हैं। इस अवसर पर उन्होंने पॉलिथीन का उपयोग न करने का भी आह्वान किया।
संस्कृत से आता जीवन में अनुशासन – संत गुलाबदास महाराज
समारोह में माकड़ादेव आश्रम झाड़ोल के संत गुलाबदास महाराज का भी सान्निध्य मिला। उन्होंने अपने आशीर्वचन में कहा कि भारत की गौरवशाली संस्कृति को समझाना है तो संस्कृत सहायक हो सकती है। वेद-पुराणों, उपनिषदों में न केवल जीवन का मर्म अपितु प्रकृति के गूढ़ रहस्य तक समाहित हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत से जीवन में अनुशासन आता है, संस्कृत को दैनिक जीवन में अपना कर स्वयं, समाज और देश के उत्थान का मार्ग प्रशस्त करें।
शिक्षक समाज के सहयोग से ही परिवर्तन संभव – वाय एस रमेश
समारोह के सारस्वत अतिथि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर के निदेशक वाय एस रमेश ने कहा कि नई शिक्षा नीति से परिवर्तन का शुभारंभ हुआ है। शिक्षक समाज के सहयोग के बिना इसमें सफलता संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि नई नीति के तहत संस्कृत शिक्षा में पैटर्न लागू करने वाला राजस्थान पहला राज्य है। संस्कृत शिक्षा में बाल वाटिका की पुस्तिकाएं तैयार करने वाला भी राजस्थान पहला राज्य है। उन्होंने सभी शिक्षकों का आह्वान करते हुए कहा कि आप संस्कृत सम्भाषण को अपनाएं, ताकि युवाओं को भी प्रेरणा मिलें।
मुख्यमंत्री के संदेश का वाचन
राज्य स्तरीय सम्मान समारोह के लिए मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने भी शुभकामना संदेश प्रेषित किया। संस्कृत शिक्षा संभागीय कार्यालय के उपनिरीक्षक राममोहन शर्मा ने मुख्यमंत्री के संदेश का वाचन किया। समारोह में उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन, उदयपुर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा, संभागीय आयुक्त सुश्री प्रज्ञा केवलरमानी भी बतौर विशिष्ट अतिथि मंचासीन रही। प्रारंभ में अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्जवलित किया। बालिकाओं ने स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया। कल्लाजी वेदपीठ शोध संस्थान निम्बाहेड़ा के बाल विप्रों ने समवेत स्वर में मंत्रोच्चार कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। संस्कृत शिक्षा आयुक्त प्रियंका जोधावत, संस्कृत शिक्षा विभाग के विशेषाधिकारी अभयसिंह राठौड़, संभागीय संस्कृत शिक्षाधिकारी नत्थूराम शर्मा, उपनिरीक्षक राममोहन शर्मा आदि ने अतिथियों का स्वागत किया। संस्कृत शिक्षा आयुक्त प्रियंका जोधावत ने विभागीय गतिविधियों एवं उपलब्धियों की जानकारी दी।
वेद विद्यालय के लोगो व विभागीय पत्रिका का विमोचन
समारोह में विधानसभा अध्यक्ष श्री देवनानी, शिक्षा मंत्री श्री दिलावर सहित अन्य अतिथियों ने उदयपुर में प्रस्तावित राजकीय आदर्श वेद विद्यालय के लोगो का अनावरण किया। साथ ही संस्कृत शिक्षा विभाग की वार्षिक पुस्तिका श्रावणी का भी विमोचन किया गया। कार्यक्रम में बाल वाटिका पुस्तकों तथा संस्कृत शिक्षा विभाग की एसएससीआईटी के पंचांग का भी विमोचन किया गया।
विद्वतजनों का किया सम्मान
समारोह में कुल चार वर्गों में 56 सम्मान एवं पुरस्कार प्रदान किए गए। इस वर्ष संस्कृत साधना शिखर सम्मान चित्तौड़गढ़ के श्री कैलाश चंद्र मूंदड़ा को प्रदान किया गया। इसमें एक लाख रूपए की सम्मान राशि प्रदान की गई। प्रो वाई एस रमेश व प्रो मूलचंद को संस्कृत साधना सम्मान, डॉ भगवतीलाल सुखवाल उदयपुर, डॉ नाथूलाल सुमन जयपुर, डॉ लता श्रीमाली जयपुर, चंदशेखर शर्मा टोंक, मनीषी लालस जयपुर, डॉ कौशल तिवारी बारां तथा डॉ फिरोज जयपुर को संस्कृत विद्वत्सम्मान पुरस्कार प्रदान किए गए। डॉ प्रियंका खण्डेलवाल बारां, नाथूसिंह मीना रांची, मूलचंद महावर सवाईमाधोपुर, डॉ कानाराम जाट जयपुर, डॉ पंकज कुमार शर्मा सीकर, डॉ पंकज मरमट उदयपुर, डॉ श्यामसुंदर पारीक चित्तौड़गढ, डॉ रतनसिंह शेखावत झुंझुनूं, डॉ आराधना व्यास दिल्ली, अग्निमित्र शास्त्री कोटा तथा स्वामी राजेंद्रपुरी जोधपुर को संस्कृत युवा प्रतिभा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा इस सत्र की विभिन्न परीक्षाओं में सर्वाच्च अंक प्राप्त करने वाले मेधावी विद्यार्थियों का भी सम्मान किया गया। सर्वाधिक नवीन प्रवेश के लिए राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय मनोहरपुरा जयपुर तथा राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय तलावगांव दौसा, राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय सेक्टर 6 प्रतापनगर जयपुर एवं राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय भट्टा बस्ती जयपुर, राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय गनोड़ा बांसवाड़ा एवं राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय गोविन्दपुरा जयपुर को भी पुरस्कृत किया गया। परिणामगत सर्वोच्च सूचकांक के लिए श्री दिगम्बर जैन आचार्य संस्कृत कॉलेज जयपुर, राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय सरेड़ी बड़ी बांसवाड़ा एवं सेठ सूरजमल तापडिया वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय जसवंतगढ़ नागौर का भी अभिनंदन किया गया।