रामसर वेटलैंड सिटी के साइन बोर्ड एयरपोर्ट ,रेलवे स्टेशन, बस अड्डे तथा सभी प्रमुख पर्यटक स्थलों पर लगाए जाए
उदयपुर, 20 जुलाई , संयुक्त राष्ट्र रामसर कन्वेंशन द्वारा पहली बार विश्व के 31 शहरों को वेटलैंड सिटी घोषित किया गया है जिनमें उदयपुर भी सम्मिलित है। लेकिन इस अंतरराष्ट्रीय मान्यता का पूरे शहर में कोई सूचना पट्ट नहीं है। प्रशासन को एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस अड्डे सहित शहर के प्रवेश मार्गों तथा प्रत्येक झील, पर्यटन स्थल पर हिंदी तथा अंग्रेजी में ” उदयपुर: रामसर वेटलैंड सिटी” के साइन बोर्ड लगाने चाहिए। यह मांग रविवार को आयोजित झील संवाद में की गई।
पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार की एनवायरमेंटल अप्रेजल कमिटी के एक्सपर्ट मेंबर तथा जल स्रोत विशेषज्ञ डॉ अनिल मेहता ने कहा कि रामसर वेटलैंड सिटी बनने पर प्रधानमंत्री मोदी तथा केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने उदयपुर को बधाई दी थी। लेकिन स्थानीय स्तर पर इस उपलब्धि को उपयुक्त सम्मान नहीं मिला है।
मेहता ने कहा कि रामसर वेटलैंड सिटी घोषित होने के पश्चात सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम उदयपुर की परस्पर जुड़ी झीलों का संरक्षण कर पारिस्थितिकी तंत्र का संवर्धन करें।
झील प्रेमी तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि वर्ष 2018 के सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश है कि जितनी भी झीलें इसरो के वेटलैंड एटलस में सम्मिलित है, उन पर वेटलैंड संरक्षण एवं प्रबंधन अधिनियम की धारा 4 लागू होगी। उदयपुर की झीलें वेटलैंड एटलस में सम्मिलित है अतः गंभीरता व कठोरता से उदयपुर की झीलों का वेटलैंड नियमों के तहत संरक्षण होना चाहिए।
पर्यावरणविद नंदकिशोर शर्मा ने कहा कि मेहता ने कहा कि उदयपुर भारत सरकार द्वारा गठित नेशनल रिवर सिटी अलायंस का भी हिस्सा है। ऐसे में उपयुक्त स्थलों पर “उदयपुर: रिवर सिटी” के बोर्ड भी लगने चाहिए।
शिक्षाविद कुशल रावल ने प्रशासन से आग्रह किया कि एन जी टी व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों तथा पर्यावरण मंत्रालय की गाइडलाइंस के अनुसार के अनुसार झीलों के आस-पास के जोन ऑफ इन्फ्लूएंस का निर्धारण कर उसे संरक्षित किया जाए ।
वरिष्ठ नागरिक द्रुपदसिंह ने कहा कि केवल सरकार व प्रशासन नहीं वरन हम सभी नागरिकों को भिन्न रामसर वेटलैंड सिटी और रिवर सिटी की मान्यता को प्रचारित, प्रसारित कर संरक्षण में जुड़ना चाहिए।
संवाद से पूर्व श्रमदान कर झील सतह व किनारे से कचरे तथा खरपतवार को हटाया गया।