क्रोध करने से व्यक्ति की ज्ञान कोशिकाएं नष्ट होतीःआचार्य ज्ञानचंद्र महाराज

उदयपुर। श्री अरिहंतमार्गी जैन महासंघ शाखा उदयपुर के तत्वावधान में ओरबिट रिसोर्ट स्थित अरिहंत भवन में आयोजित धर्मसभा में आचार्य ज्ञानचंद्र महाराज ने कहा कि जिस प्रकार आग में हाथ डालने से हाथ जल जाता है। ऐसी स्थिति में कोई भी व्यक्ति आग में हाथ नहीं डालता। इसी तरह क्रोध भी आग की तरह है। क्रोध करने से व्यक्ति की ज्ञान कोशिकाएं नष्ट होती हैं। यह बात जब व्यक्ति को स्पष्ट रूप से दिखाई जाएगी, उसके अनुभव में आएगी, तब व्यक्ति क्रोध करना छोड़ देगा।
उन्होंने कहा कि एक बार तेज गुस्सा करने पर शरीर में इतना जहर फैलता है कि जिस जहर को बाहर निकाल कर प्रयोग किया जाए तो विज्ञान दृष्टि से भी 80 व्यक्ति खत्म हो सकते हैं। तेज क्रोध के समय एक व्यक्ति को सर्प ने काटा, आश्चर्य है कि आदमी नहीं,सर्प मारा गया,क्योंकि क्रोध से फैला जहर सर्प पर असर कर गया। तेज क्रोध करती हुई माता ने बच्चें को दूध पिलाया तो दूध में जहर फैल जाने से बच्चा मारा गया। इसलिए कैसे भी परिस्थिति हो, क्रोध से दूर रहा जाए। शांत रहने पर ज्ञान शक्ति एवं स्मरण शक्ति बढ़ने लगती है। क्षमा से चेहरे पर तेज टपकता है। क्षमा वीर का आभूषण है।
आज की सभा में दिल्ली से सतीश, विनोद, हैदराबाद से अशोक,प्रिया सहित सैकड़ों स्थानीय श्रावक मौजूद थे। संतरत्न अजीत मुनि महाराज के 108 आयंबिल का आज पारणा हुआ। संतरत्न सुदर्शन मुनि महाराज के आज आठ की तपस्या है।

By Udaipurviews

Related Posts

error: Content is protected !!