हींता मेें कृषक संवाद व गोष्ठी

-’’मैं किसान हूं, इस देश की जान हूं’’
– अच्छा बीज और प्राकृतिक खेती पर जोर
उदयपुर, 4 जून। एमपीयूएटी के कुलपति डाॅ. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि आजादी के समय हमारे देश की स्थिति ठीक नहीं थी। लाल गेहूँ आयात कर बमुश्किल अपना पेट भर पाते थे, लेकिन आज स्थिति उलट है। गेहूँ और चावल का भण्डारण करने को स्थानाभाव की स्थिति है। फल और दुग्ध उत्पादन में भी भारत अद्वितीय है। अब समय आ गया है कि किसान समृद्धि की ओर बढ़े।
डाॅ. कर्नाटक पंचायत समिति भीण्डर के हींता गांव में विकसित कृषि संकल्प अभियान (प्री खरीफ अभियान) के अन्तर्गत कृषक संवाद एवं गोष्ठी में जुटे किसानों को सम्बोधित कर रहे थे। गोष्ठी में लगभग तीन सौ किसानों ने भागीदारी की। उन्होंने किसानों को नसीहत दी कि कृषि का मूल आधार अच्छा बीज का मिलना है। अच्छा बीज-अच्छी फसल से ही किसान समृद्ध हो सकता है। खेत में हर तीसरे वर्ष बीज बदलना आवश्यक है। अब समय है कि रासायनिक उर्वरकों से दूरी बनाएं तथा गौमाता को तवज्जो दे। गोबर की खाद और वर्मीकम्पोस्ट का अधिकाधिक प्रयोग कर धरती माता की सेहत सुधारंे। जल, जंगल, जमीन, जंतु का संरक्षण के साथ ही किसानों के लिए ऐसा माहौल तैयार करें कि धरती पुत्र भी कह उठे- ’मैं किसान हूँ, इस देश की जान हूँ’।
उन्होंने कहा कि किसानों को अब प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना होगा तभी हम आने वाली पीढ़ियों की सही मायने में सेवा कर सकेंगे।
निदेशक अनुसंधान डाॅ. अरविन्द वर्मा ने कहा कि वर्तमान में जल संचयन और जल उपयोग की दक्षता अत्यंत जरूरी है। कृषि संकल्प अभियान का प्रमुख ध्येय है कि कृषि प्रयोगशालाओं में होने वाले शोध को किसानों तक पहुंचाया जाए। पोषण सुरक्षा के साथ जल संसाधन, हवा-पानी, जीव-जंतु की रक्षा के लिए प्राकृतिक खेती की ओर जाना होगा। मृदा स्वास्थ्य कार्ड की उपादेयता बताते हुए डाॅ. वर्मा ने कहा कि सिफारिश के अनुसार ही उर्वरक का प्रयोग करें। खेतों में अधिकाधिक कार्बनिक पदार्थ का इस्तेमाल करें। अच्छा बीज काम में लंे और रासायनिक उर्वरकों का कम से कम प्रयोग करे। इससे जमीन की सेहत भी सुधरेगी और किसानों को भी गुणवत्तापूर्ण खाद्यान मिल सकेगा। उन्होंने एमपीयूएटी द्वारा विकसित प्रताप संकर मक्का-6 को खेतों में बोने को कहा। इसकी उपज 60-65 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। बीजोपचार व खरीफ में किसानों को अधिक उपज लेने के गुर बताए।
ग्राम पंचायत हींता के सरपंच माधव लाल अहीर ने कहा कि हींता का समग्र विकास पहला उनका लक्ष्य है। उन्होंने एमपीयूएटी द्वारा हींता को गोद लिए जाने पर प्रसन्न्ाता व्यक्त कि और कहा कि हींता में कृषि की गतिविधियां बढ़ी है।
कृषि अधिकारी सत्यनारायण मेनारिया ने कृषि विभाग द्वारा कृषकोपयोगी योजनाएं यथा तारबंदी, खेत तलाई, स्प्रिंकलर, प्रदर्शन आदि की जानकारी दी। सीटीएई के डाॅ. मनजीत सिंह व डाॅ. मालव ने भी मृदा परीक्षण एवं खरीफ में बोई जाने वाली प्रमुख फसलों मक्का, सोयाबीन, उड़द की उन्न्ात किस्मों, बुवाई के समय बरती जाने वाली सावधानियां, कीड़ा-बीमारी व नियंत्रण के बारे में जानकारीयां दी। केवीके वल्लभनगर के प्रभारी डाॅ. मनीराम ने केवीके पर किसानों के लिए उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी दी।
आरंभ मेें प्रसार शिक्षा निदेशक डाॅ. आर.एल. सोनी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कृषि के साथ- साथ पशुपालन भी जरूरी है। कृषि व पशुपालन एक दूसरे के पूरक है। उन्होंने देसी गिर, कांकरेज साहीवाल नस्लों के गौपालन करने को कहा। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर डाॅ. लतिका व्यास ने किया।
By Udaipurviews

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