उदयपुर, 23 अप्रैल। जैन अकादमी ऑफ स्कॉलर्स (जेएएस), अहमदाबाद और जैनोलॉजी एवं प्राकृत विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर द्वारा संयुक्त रूप से 25 से 26 अप्रैल तक यहां आधुनिक, वैज्ञानिक और सामाजिक संदर्भ में जैन दर्शन को चुनौतियां और उनका समाधान विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयाजित की जाएगी।
राष्ट्रीय समन्वयक डॉ नारायणलाल कच्छारा, जैन अकादमी ऑफ स्कॉलर्स के अध्यक्ष डॉ नरेंद्र भंडारी, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के जैन विद्या एवं प्राकृत विभागाध्यक्ष डॉ ज्योति बाबू जैन ने पत्रकार वार्ता में बताया कि अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ सुनीता मिश्रा करेंगी जबकि मुख्य वार्ताकार इसरो के भूतपूर्व वैज्ञानिक और डॉ दौलत सिंह कोठारी शोध और शिक्षण संस्थान उदयपुर के अध्यक्ष डॉ सुरेंद्र सिंह पोखरणा होंगे। संगोष्ठी में देशभर से एक सौ से ज्यादा प्रतिभागी शामिल होकर विषय वस्तु पर मंथन करेंगे। उन्होंने समय के साथ जैन फालोअर्स की संख्या में आ रही कमी पर चिंता जताते हुए कहा कि एक समय महावीर बुद्ध और जैन धर्म बहुत ज्यादा प्रचारित था। भारत में जैन धर्म का अध्ययन धीरे धीरे कम होता जा रहा है। फालोअर्स कम होने की स्थिति में कालांतर में जैन धर्म में वल एक लाख लोग ही बच पाएंगे जबकि हिंदुस्तान की संस्कृति में जैन धर्म का बहुत बड़ा योगदान रहा है। जैन धर्म में वे सभी तत्व है जो सभी समस्याओं का समाधान निकालते हैं। उन्होंने कहा कि एक समय आया जब बौद्ध और जैन धर्म एक हुए। दोनों अहिंसा प्रधान है। आज जैनियों का किसी से झगड़ा नहीं है। सिर्फ धर्म से टकराव अवश्य हुआ है। आज भी जैन धर्म बहुत छोटा होने के बावजूद राष्ट्रीय आय में 24 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। देश में कुल करीब 8000 गौशालाओं में 5000 गौशालाओं का संचालन अकेले जैन समाज कर रहा है। जैन धर्म जियो और जीने दो की भावना से चल रहा है। त्याग के बिना शांति नहीं है। प्रेसवार्ता में सह संयोजन डॉ सुमन कुमार जैन, पूर्वी दवे, उदय मकवाना भी उपस्थित रहे।