विद्यापीठ का 20वां भव्य दीक्षांत समारोह का हुआ आयोजन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत बने आज से डाक्टर

केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को डी-लिट की उपाधि से  नवाजा
-समारोह में 101 मेधावियों को स्वर्ण पदक और 97 को पीएचडी की उपाधि से नवाजा गया  
-स्वर्ण पदक और पीएचडी पाने वालों में बेटियां रही अव्वल
अमृत पीढ़ी से ‘सपनों का भारत’ गढ़ने का आह्वान- डाॅ. गजेन्द्र सिंह
भविष्य का खाना इंडस्ट्री से आएगा, घर से नहीं-डाॅ. गजेन्द्र सिंह
स्व-मूल्यांकन से आत्म-सुधार ही विकास की सही दिशा- डाॅ. गजेन्द्र सिंह
सीखने से ही पूर्ण होगा जीवन का उद्देश्य-प्रो. सारंगदेवोत
शिक्षा का उद्देश्य केवल व्यक्तिगत उन्नति नहीं, बल्कि सामाजिक उत्थान भी – प्रो. सारंगदेवोत
उदयपुर 11 अप्रेल। आज विश्व में शिक्षा का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। भारत असीम संभावनाओं के द्वार पर खड़ा है। अब हमें मात्र संख्यात्मक नहीं, बल्कि गुणात्मक प्रगति पर ध्यान केंद्रित करना होगा। किसी संस्थान या राष्ट्र के आत्म मूल्यांकन के दो तरीके हो सकते हैं  एक, जो हमने पाया उस पर गर्व करना, और दूसरा, यह सोचना कि हम क्या कर सकते थे जो अब तक नहीं किया। आत्मसंतुष्टि कहीं न कहीं ठहराव लेकर आती है। इसलिए हमें निरंतर आत्ममंथन करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। ये विचार केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत शुक्रवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित  20वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के पद से व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि  राष्ट्र की प्रगति पर बोलते हुए उन्होने अमृत पीढ़ी को विकसित भारत के निर्माण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, साइबर सिक्योरिटी, एआई-बेस्ड जीनोम सीक्वेंसिंग, रोबोटिक्स, इंफॉर्मेशन साइंसेज, डेटा साइंसेज, ऑटोमेशन और मेंटल हेल्थ जैसे क्षेत्रों में अपनी भूमिका सुनिश्चित करनी होगी। शेखावत ने कृषि के क्षेत्र भावी संभावनाओं और प्रयासों को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत में अब भोजन को मात्र मात्रा में नहीं, बल्कि उसकी न्यूट्रिशनल वैल्यू के आधार पर मापा जाना चाहिए। अब समय आ गया है कि हम अपने फूड प्रोडक्ट्स को न्यूट्रिशनल वैल्यू के आधार पर वर्गीकृत करें। आने वाले समय में भारत की शहरी आबादी का आधा हिस्सा अपना भोजन घर में नहीं, बल्कि इंडस्ट्री से प्राप्त करेगा फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में भारत अब भी पीछे है हम कुल उत्पादन का मात्र 2फिसदी ही प्रोसेस कर पा रहे हैं।

प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए कुलपति कर्नल प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने विद्यापीठ की विकास यात्रा को बताते हुए कहा कि तीन रूपयें एवं पांच कार्यकर्ताओं से स्थापित इस  संस्थान ने आज वटवृक्ष का रूप ले लिया है जिसका सालाना 60 करोड़ का बजट है और 10 हजार से अधिक विद्यार्थी नियमित रूप से अध्ययनरत है। जनुभाई का सपना था कि वंचित वर्ग को शिक्षा से जोड़ा जाये, उसी उद्देश्य को लेकर संस्था आज भी कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि विद्यापीठ का ध्येय वाक्त सरस्वती देवयंतों हवन्ते, हम विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा दे जिससे उनमें देवत्व जागृत हो। शिक्षा का अंतिम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति है।  शिक्षा से सीखने की शुरूआत से रचनात्मका का जन्म होता है जिससे सोच विकसित होती है। सच्ची सोच के विकसित होने से ही सत्य ज्ञान का प्रार्दभाव होता है। यही से शिक्षा  और जीवन के उद्देश्य की पूर्ति होती है।  अपने संबोधन में सारंगदेवोत ने कहा कि संस्थान की विकास यात्रा जन्नूभाई के आदर्शों के प्रकाश में नितनई उंचाईयों पर जारी है। इस अवसर पर उन्होने नई शैक्षणिक योजनाएं एवं पाठ्यक्रमों की जानकारी साझा की। उन्होंने संस्थान के सफलता का श्रेय विश्वविद्यालय के समर्पित कार्यकर्ताओं को दिया। उन्होंने कहाकि अन्तर्राष्ट्रीय जर्नल में 67, राष्ट्रीय स्तर की जर्नल मेकं 173 शोध पत्र प्रकाशित हुए है। 40 से अधिक फेकल्टी सदस्यों  को राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हो चुके है। शोध को बढावा देने के उद्देश्य से इस वर्ष 50 लाख रूपये सीड मनी के रूप में शैक्षिक कार्यकर्ताओं को दिये जायेगे। उन्होनें कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल व्यक्तिगत उन्नति नहीं, बल्कि सामाजिक उत्थान भी है इसलिए दीक्षांत समारोह के दौरान विद्यार्थियों को यह संकल्प दिलाया जाता है कि वे सत्य और न्याय के मार्ग पर चलेगे, समाज और राष्ट्र की सेवा करेंगे, अपने ज्ञान का उपयोग सद्भाव और मानवीय मूल्यों के विकास के लिए करेंगे।
परीक्षा नियंत्रक डाॅ. पारस जैन ने बताया कि समारोह में अतिथियों द्वारा पीएचडी धारकों को उपाधियां एवं विभिन्न स्नातक-स्नातकोत्तर परीक्षाओं में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए। इस अवसर पर 97 पीएचडी धारकों को उपाधियां प्रदान की गई जिसमें 65 छात्राएं और 101 मेधावी विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल प्रदान किए गए, जिसमें 65 छात्राएं शामिल है। समारोह की शुरुआत में केंद्रीय मंत्री को एनसीसी कैडेट्स द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया।


उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत एवं एमपीयूएटी के कुलपति प्रो. अजित कुमार कर्नाटक ने भी समारोह को संबोधित किया। रावत ने बदलाव के साथ विरासत को जोड़ कर विकास का जानाबाना बुनने की आवश्यकता बताई।परम्परागत ज्ञान और संवाद के माध्यम से शिक्षा को व्यवहार में लाने की बात कही। प्रो. कर्नाटक ने बदलते वैश्विक परिदृश्य में कौशल विकास, नवाचार,उद्यमशीलता ,स्थानीय प्रासंगिकता और लचीलेपन को अपनाते हुए नवीन संभावनाओं और विचारों को मूर्त रूप देकर विकिसित भारत की संकल्पना को साकार किया जा सकेगा। इस प्रयास में युवाआंे का योगदान और स्थान दोनों को ही अति महत्वपूर्ण बताया।
कुलाधिपति प्रो. भंवरलाल गुर्जर  ने अध्यक्षीय उद्बोधन में  कहा कि समय के साथ शिक्षा के स्परूप में भी बदलाव करना होगा। रोजगार देने वाली शिक्षा पर ध्यान केन्द्रित करना होगा, साथ ही ज्ञान को सामित करने के स्थान पर अंतिम पंक्ति तक के व्यक्ति को इससे जोड़ने पर ही शिक्षा सही अर्थों में सार्थक बन पाएंगी। उन्होंने संस्था की स्थापना के समय तत्कालीन महाराणा भूपाल सिंह के योगदान का स्मरण करते हुए बताया कि उनके सहयोग और प्रेरणा के बिना विद्यापीठ का स्वरूप बन पाना संभव नहीं था।
डी.लिट उपाधि से सम्मानित हुए केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत
रजिस्ट्रार डाॅ. तरूण श्रीमाली ने बताया कि समारोह के विशेष आकर्षण के रूप में केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को सार्वजनिक क्षेत्रों में उनके नवाचारों और योगदान के लिए डी.लिट की मानद उपाधि से नवाजा गया। उपाधि प्रदान करते समय सभागार तालियों से गूंज उठा। शेखावत ने इस मौके पर संस्था के सामाजिक सरोकरों और सामुदायिक कार्यों को प्रेरणादायी बताया।
लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ को स्वर्ण पदक से नवाजा
इस अवसर पर मेवाड़ राजपरिवार के डाॅ. लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ को एमबीए की डिग्री में स्वर्णपदक प्रदान किया गया।  गौरतलब है कि डाॅ सिंह के पड़दादा तत्कालीन महाराणा भूपाल सिंह जी का संस्था स्थापना में महत्वपूर्ण सहयोग रहा था।
डाॅ. मेवाड़ ने सहजता का दिखाया परिचय
समारो के दौरान डाॅ. मेवाड सहज भाव में दिखे और एक विद्यार्थी की तरह उन्हीं की लाईन की सीट पर बैठे।

अतिथियों की ओर से कर्नल विनोद कुमार बांगरवा को भी पीएचडी प्रदान की गई। दैनिक भास्कर के उदयपुर हैड प्रशान्त कुकरेती को एमए अंग्रेजी साहित्य में स्वर्णपदक प्रदान किया गया।
समारोह में पूर्व एकेडमिक प्रोसेशन हुआ जिसमें ं विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल, एग्जीक्यूटिव काउंसिल (बॉम) के सदस्य, डीन, डायरेक्टर्स सहित सभी संबंधित अधिकारीगण शामिल हुए। पूर्व निर्धारित ड्रेस कोड के अनुसार उपाधिधारकों ने सफेद कुर्ता-पायजामा व छात्राओं ने सफेद सलवार-कुर्ता या साड़ी में भाग लिया।
समारेाह में राजसमंद विधायक दिप्ति माहेश्वरी, निवृति कुमारी मेवाड़, अशोक मेतवाला, डाॅ. रशिम बोहरा, भाजपा के जिला अध्यक्ष गजपाल सिंह राठौड़, पूर्व विधयक बी. एल. चैधरी, रजिस्ट्रार डॉ. तरुण श्रीमाली, परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन, डाॅ. युवराज सिंह राठौड, वरिष्ट भाजपा कार्यकर्ता प्रमोद सामर, पारस सिंघवी, कुलदीप सिंह, एकलिंग सिंह झाला, अशोक सिंह, तुषार मेहता, स्पोर्ट्स बोर्ड सचिव डॉ. भवानीपाल सिंह , प्रो. गजेन्द्र माथुर,  डाॅ. धमेन्द्र राजौरा, डाॅ दिलिप सिंह , प्रो जीवन सिंह खरकवाल, प्रो मंजु मांडोत ,प्रो. कला मुणेत, प्रो. सरोज गर्ग , पीजी डीन प्रो. जी. एम. मेहता, डाॅ. शैलेन्द्र मेहता, डा.ॅ बबीता रशीद, डाॅ. सपना श्रीमाली, सोम जारोली, प्रतीक वर्मा, अनिल हरकावत, अजय डांगी सहित विद्यापीठ के डीन, डायरेक्टर  सहित शहर कि गणमान्य नागरिक और विद्यार्थी मौजूद थे।
समारोह का संचालन डाॅ हीना खान ने किया।
उक्त जानकारी निजी सचिव केके कुमावत ने दी।

By Udaipurviews

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