भारतीय संस्कृति सनातन मूल्यों की परम्परा भावी पीढ़ी में रूपांतरण होना अनिवार्य  – प्रो. सारंगदेवोत

तीन दिवसीय आवासीय वनशाला शिविर  
‘ ज्वाला ‘ में देर रात तक चली सांस्कृतिक संध्या में विद्यार्थियों ने भारतीय संस्कृति, सनातन मूल्यों से ओतप्रोत प्रस्तुतियॉ दी।
सांस्कृतिक संध्या में झलकी भारतीय संस्कृति की झलक।
भगवान श्रीराम की झांकी, हारे का सहारा खाटु श्याम सहित नृत्य नाटिकाओें ने किया भाव विभोर।

उदयपुर 20 दिसम्बर/ जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की ओर से आयोजित तीन दिवसीय आवासीय वनशाला शिविर ‘ ज्वाला’  के  तहत विद्यार्थियों की ओर से आयोजित  सांस्कृतिक समारोह का शुभारंभ राजस्थान विद्यापीठ के मुख्य अतिथि कुलपति कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, कुल प्रमुख भंवर लाल  गुर्जर, प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग, डॉ. रचना राठौड़, डॉ. अमी राठौड़, डॉ. बलिदान जैन, डॉ. सुनिता मुर्डिया, डॉ. भूरालाल श्रीमाली ने मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्जवलित कर किया। सांस्कृतिक समारोह में भारतीय सनातन मूल्यों की झलक देखने को मिली।
प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग ने तीन दिवसीय शिविर का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि विद्यार्थियों ने भित्ती पत्रिका, जागरूकता रेली व नुक्कड़ नाटक से समाज में व्याप्त कुरूतियों को समाप्त करने प्रति जागरूक कर संकल्प पत्र भरवाया ।
शिविर प्रभारी डॉ. रचना राठौड़ ने बताया कि देर रात तक चली सांस्कृतिक संध्यॉ में भारतीय संस्कृति की परम्परा से ओतप्रोत प्रस्तुतियॉ प्रभु श्रीराम की झांकी से लेकर हारे का सहारा  – खाटु श्याम, श्रीकृष्ण एवं सुदामा, शिव – पार्वती विवाह, झांसी की रानी, एकलव्य , तानाजी की जीवनी पर आधारित नृत्य नाटिका, देश भक्ति  एवं ग्रूप डांस व क्लासिकल गान ने उपस्थित अतिथियों एवं विद्यार्थियों का भाव विभोर कर दिया। इसके  अतिरिक्त राजस्थानी, पंजाबी, बंगाली गानों पर नृत्य कर सभी को नांचने पर मजबूर कर दिया।
कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने अपने हाथों में मोमबत्ती जला देश प्रेम, हर व्यक्ति की मदद करने एवं आपसी भाई चारे को बनाये रखने का संकल्प लिया।
कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि तीन दिवसीय शिविर में 550 विद्यार्थियों ने भाग लिया जिसमें से 50 प्रतिशत विद्यार्थियों की सांस्कृतिक कार्यक्रम में भागीदारी रही, जो सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा कि भारतीय, संस्कृति एवं परम्परा को आने वाली पीढ़ी में हस्तांतरित करने का जिम्मा युवाओं का है।  संस्थापक मनीषी पंडित जनार्दनराय नागर कहते थे कि जब समाज के अंतिम  व्यक्ति तक शिक्षा की अलख नहीं पहुंचेगी तब तक हमारी शिक्षा अधूरी हैं। उन्होने कहा कि संस्कृति को मानव बनाता है लेकिन आगे जाकर संस्कृति मानव को मानवता सिखाती है। संयुक्त परिवार ही जीवन का गुरूकुल हैं। हमारा देश दुनिया का सबसे युवा देश है।
संचालन डॉ. इंदू आचार्य, डॉ. रेणु हिंगड, चेतन सोलंकी ने किया जबकि आभार डॉ. रचना राठौड़ ने जताया।
इस दौरान  डॉ. अमित बाहेती, निजी सचिव केके कुमावत, डॉ. सरिता मेनारिया, डॉ. अमित दवे, डॉ. रोहित कुमावत, डॉ. हिम्मत सिंह, डॉ. हरीश चौबीसा, डॉ. नीतू दाधीच, डॉ. निलम तिवारी  डॉ. इंदू आचार्य, डा. सुभाष पुरोहित, डा. ममता कुमावत, डॉ. हरीश मेनारिया, डॉ. रेणू हिंगड, डॉ. हेमलता जैन, महेन्द्र वर्मा, डॉ. तिलकेश आमेटा सहित छात्र छात्राओं सहित महाविद्यालय के अकादमिक एवं गैर अकादमिक कार्यकर्ताओं ने सांस्कृतिक समारेाह में अपनी भागीदारी निभाई।
By Udaipurviews

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