स्वागत गीत पधारों म्हारों देश से गुंजायमान हुआ विरासत 2024
संगीत, संस्कृति, विरासत राष्ट्र की आत्मा – प्रो. सारंगदेवोत
दमा दम मस्त कलंदर सुफी कव्वाली पर श्रोता हुए मंत्रमुग्ध
उदयपुर 02 अगस्त / जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विवि के आईक्यूएसी सेल व स्पीक मेके के संयुक्त तत्वाधान में विरासत 2024 का आगाज शुक्रवार को प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार में धूमधाम से राजस्थान के प्रसिद्ध स्वागत लोक गीत पधारो म्हारे देश से हुआ। प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय राजस्थानी लोक गीत कलाकार भुट्टे खान ने अपनी समृद्ध लोक गायन की श्रृंखला में विभिन्न लोकगीतों से सभा में उपस्थित जनों का मनमोहा। मांगनियार ने राजस्थानी लोक गीत जिसमें गोरबंद, छाप तिलक सब छीनी, लड़ली लुमा झुमा, घूमर ,लाल कचहरी जुगलबंदी एवं अंत में राजस्थानी प्रसिद्ध लोकगीत निंबुडा एवं दमादममस्त कलंदर की प्रस्तुति दे सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। समारोह में डीके गुप्ता, डाॅ. देेवेन्द्र सिंह चैहान का सम्मान किया गया।
इससे पूर्व सभी लोक गीतकारों का स्वागत परिचय कराते हुए कुलपति प्रो. कर्नल शिव सिंह सारंगदेवोत, कुल प्रमुख भंवर लाल गुर्जर ने सभी लोक गीत कलाकारों का उपरणा, स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया। प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि स्पीक मेके और राजस्थान विद्यापीठ के संयुक्त रूप से आयोजित इस सांस्कृतिक संध्या विरासत 2024 में प्रमुख अंतरराष्ट्रीय लोक कलाकार बुटट्े खान मंगनियार की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि ये उच्च कोटि के कलाकार है और लोक कथाओं के एक समर्पित प्रवर्तक भी हैं आप देश-विदेश में लगभग 45 देश में अपने गायन की प्रतिभा से सभाजनों का मन मोह चुके हैं। उन्होंने कहा कि संगीत संस्कृति और विरासत किसी भी राष्ट्र की आत्मा होती है तथा जिस प्रकार व्यक्ति बिना नाक कान और वाणी के गूंगा बहरा प्रभावहीन होता है उसी प्रकार कोई भी देश अपनी संस्कृति के बिना अधूरा होता है उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम भारतीय शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देने के क्रम में यूजीसी और एनईपी 2020 के दिशा निर्देशों के क्रम में आयोजित किया गया है।
प्रारंभ में आईक्यूएसी डायरेक्टर डाॅ. युवराज सिंह ने स्वागत की श्रंखला में स्पीक मेके की जानकारी देते हुए बताया कि यह एक गैर-राजनीतिक, राष्ट्रीय, स्वैच्छिक आंदोलन है जिसकी स्थापना 1977 में डॉ. किरण सेठ द्वारा की गई थी। डॉ. किरण सेठ, जो आईआईटी-दिल्ली के प्रोफेसर – एमेरिटस हैं, को 2009 में कला के क्षेत्र में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
इस अवसर पर रजिस्ट्रार डाॅ. तरूण श्रीमाली, परीक्षा नियंत्रक डाॅ. पारस जैन, डाॅ. युवराज सिंह राठौड़, प्रो. मलय पानेरी, प्रो. सरोज गर्ग, प्रो. मंजु मांडोत, डाॅ. भवानी पाल सिंह राठौड़, डाॅ. धमेन्द्र राजौरा, डाॅ. अवनीश नागर, डाॅ. हीना खान, डाॅ. नीरू राठौड़, डाॅ. मनीष श्रीमाली, डाॅ. हेमेन्द्र चैधरी, डाॅ. अमिया गोस्वामी, डाॅ. बलिदान जैन, डाॅ. सुनीता मुर्डिया, डाॅ. अमी राठौड़ सहित विद्यापीठ के डीन डायरेक्टर उपस्थित थे।