उदयपुर। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमण संघ की ओर से सिंधी बाजार स्थित पंचायती नोहरे में श्रमण संघीय प्रवर्तक सुकन मुनि जी महाराज ने चातुर्मास के अवसर पर प्रातः कालीन धर्म सभा में कहा कि भगवान महावीर की वाणी जगत का कल्याण करने वाली है। जो व्यक्ति इसे सुनकर अपने जीवन में उतार लेता है उसका आत्म कल्याण के साथ ही मोक्ष मार्ग में प्रशस्त हो जाता है। हमेशा जीवन में यह सोच के चलें कि जैसे हम हैं वैसा ही सामने वाले को समझें। दूसरे के सहयोग और उनकी भलाई में ही अपने जीवन का कल्याण है।
अपने जीवन को सफल बनाने और अपना जीवन निर्माण करने के लिए हमेशा सोच में परिवर्तन करते रहें और निरंतर नया सोचें। जहां उत्तर प्रत्युत्तर ज्यादा होते हैं वहां विवाद की संभावना हमेशा बनी रहती है। अगर समता भाव हमारे जीवन में आता है तो हम वाद विवाद से बच सकते हैं। जिनके पास बहुत कुछ है दूसरों के जीवन कल्याण के लिए कार्य करने चाहिए। दुनिया में ऐसे अनाथ बच्चे भी है जिनके आगे पीछे कोई नहीं है। उनका जीवन निर्माण करना भी हमारा धर्म और कर्तव्य बनता है।
अमृतमुनिश्री ने कहा कि जीवन में समता भाव से बढ़कर कुछ भी नहीं है। जिसमें समता का भाव है उसका ही जीवन सफल है। समता भाव धारण करने के लिए सबसे पहले काम, क्रोध, लोभ मोह माया और विभिन्न कषायो को खत्म करना पड़ेगा। जब तक यह खत्म नहीं होंगे तब तक व्यक्ति के मन में समता भाव उत्पन्न नहीं हो पाएगा। जब भी मन में क्रोध का भाव आए अपने मन में समता भाव धारण करने का प्रयत्न करो। समता शब्द का उल्टा तामस होता है। हमें इससे दूर रहकर जीवन के हर क्षेत्र में समता धारण कर देश समाज परिवार को सुखमयी और उच्च कोटि का बनाने का प्रयास करना चाहिए। इस संसार में मनुष्य के कर्म ही ऐसे होते हैं जिनकी वजह से व्यक्ति की पहचान बनती है। जो व्यक्ति जैसा कर्म करेगा उसकी पहचान भी वैसी ही बनेगी। जीवन में भावनाओं का बहुत महत्व होता है। आप कहीं भी दान पुण्य कर रहे हैं या किसी को भोजन करा रहे हैं तो उसमें आपकी भावना शुद्ध होनी चाहिए, अगर दान देकर आप नाम के पीछे पड़ जाएंगे तो आपका दान व्यर्थ हो जाएगा। इसलिए दान पुण्य करो तो ऐसा करो कि एक हाथ से दो दूसरे हाथ को पता नहीं चले। जो कर्म आप करेंगे वही कर्म आपके साथ जायेंगे। आपका किया ही आपके साथ जाएगा।एक भव के कर्म दूसरे भव में नहीं चलते हैं।
धर्मसभा में अखिलेश मुनि ने सुंदर गीतिका प्रस्तुत की। महामंत्री एडवोकेट रोशनलाल जैन ने बताया कि चातुर्मास काल से ही णमोकार महामंत्र की धर्म आराधना निरंतर जारी है। गुरुवार को बाहर से आए अतिथियों का धर्म सभा में स्वागत अभिनंदन किया गया। धर्मसभा में मेवाड़ वागड़ क्षेत्र सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालुओं का आना लगातार जारी है।
जीवन को सफल बनाने और अपना जीवन निर्माण करने के लिए हमेशा सोच में परिवर्तन करते रहेंः सुकनमुनि
