विद्यापीठ – डॉ. महाबीर गुड्डू द्वारा हरियाणा और राजस्थान की संस्कृति का हुआ आदान-प्रदान
भाषा, भूषा और भोजन संस्कृति की पहचान – डॉ. योगानन्द शास्त्री
आज के परिप्रेक्ष्य में विविध विमर्श विषयक दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का रंगारंग समापन
उदयपुर / 10/9/2023 / जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ और गुरु विद्यापीठ, रोहतक के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित आज के परिप्रेक्ष्य में विविध विमर्श विषयक दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में द्वितीय दिवस में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार पुरस्कार प्राप्त हरियाणा कला परिषद के अतिरिक्त निदेशक डॉ. महाबीर गुड्डू ने हरियाणवी संस्कृति के लोग गीतों और लोक नृत्य से शिव महिमा का रस घोल दिया। रियाणवी कलाकार महावीर गुड्डू की शानदार प्रस्तुति ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। महाबीर गुड्डू ने अपने सांस्कृतिक कार्यक्रम का आगाज शंख की ध्वनि से किया। इसके बाद उन्होंने हरियाणवी संस्कृति से जुड़े अनेक गीतों और नृत्य की प्रस्तुतियां देकर सभी का का मन मोह लिया। उन्होंने भगवान शिव की महिमा को प्रदर्शित करते बम लहरी गीत की प्रस्तुति रखी। इस गीत पर दर्शक झूमते नजर आए। इस प्रस्तुति में दर्शक भी उनके साथ बोल बम बम-बम करते दिखाई दिए।
समारोह का शुभारंभ कुलपति कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, दिल्ली विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. योगानन्द शास्त्री, लोक कलाकार महावीर गुड्डू ने माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलित कर किया।
डॉ. योगानन्द शास्त्री ने कहा कि भाषा, भूषा और भोजन संस्कृति की पहचान होती है। जिन देशों का कोई विशिष्ट परिधान नहीं होता, उनकी कोई सांस्कृतिक पहचान भी नहीं होती। हरियाणा का लोकपरिधान घाघरा अब विदेशों में भी रेमा जिप्सियों द्वारा पहना जा रहा है।
तत्पश्चात गुरु विद्यापीठ द्वारा कुलपति कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत को गुरु शिक्षक रत्न सम्मान 2023 से नवाजा गया। यह सम्मान उन्हें गुरु विद्यापीठ के संस्थापक डॉ. विकास शर्मा, डॉ. सोडा, डॉ. सुलक्षणा अहलावत, अमित सिंह व अनिल कुमार द्वारा प्रदान किया गया।
संगोष्ठी के समन्वयक डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी ने बताया कि डॉ. महाबीर गुड्डू और उनके साथियों ने कई लोकगीतों व लोक वाद्ययंत्रों द्वारा संगीत सुनाते हुए दर्शकों को मन्त्रमुग्ध कर दिया। ‘राजा नाहर सिंह की वीर गाथा’, ‘शिव स्तुति’, ‘बन्दे सतगुरु-सतगुरु बोल’, ‘नमो-नमो हे मातृभूमि’ सहित राजस्थानी लोकगीत ‘केसरिया बालम’, ‘म्हाने घणों सुहानो लागे जी प्यारो राजस्थान’ में राजस्थान की महिमा का उल्लेख भी किया गया। जिन्हें दर्शकों ने काफी पसंद किया व साथ गाया भी।
कुलपति प्रो. कर्नल एस.एस. सारंगदेवोत ने सभी कलाकारों का सम्मान करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम ने सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा दिया है साथ ही मूल्यवान भाषा कौशल और अंतर-सांस्कृतिक सहयोग के अवसर भी खोले हैं।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. नरेश सिहाग एडवोकेट ने किया, आभार डॉ. सुलक्षणा अहलावत ने जताया। तकनीकी संचालन डॉ. दिलीप चौधरी, विकास डांगी ने किया।
कार्यक्रम में विद्यापीठ के डीन-डायरेक्टर्स, कार्यकर्ताओं सहित प्रतिभागी, शोधकर्ता, विद्यार्थी व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।