-जो काम आउट सोर्स से हो सकता था वह कर रहे विद्युतकर्मी
-राजेश वर्मा
उदयपुर, 21 अप्रैल। कंगाली में आटा गिला वाली कहावत अजमेर विद्युत वितरण निगम लि (एवीवीएनएल) पर चरितार्थ हो रही है। पहले से ही मानव संसाधन की कमी को झेल रहे एवीवीएनएल ने अपने ही कर्मचारियों को वह काम दे दिया जो आउट सोर्स के जरिए बहुत ही कम खर्च पर हो सकता है। स्पॉट बिलिंग का काम पांच छह दिन करने के बाद विद्युत कर्मचारी अन्य काम न कर खाली घूम रहे हैं जो जनता पर बोझ समान है।
एवीवीएनएल में कुछ समय से नया प्रयोग करते हुए मीटर रीडिंग जैसे कार्य को स्पॉट बिलिंग से कराया जा रहा है जिसमें विभाग के सारे कर्मचारी लगा दिए। यह सारा कार्य मात्र पांच-सात दिन का होता है। इसके बाद सभी कर्मचारी खाली घूम रहे हैं। कार्यालयी कामों से हटाए जाने से अब वे अन्य काम भी नहीं कर रहे। ऐसे में बिना काम खाली घूमते विद्युतकर्मी कहीं न कहीं विभागीय बोझ के साथ जनता पर भी भारी पड़ रहे हैं। विभागीय अधिकारियों व स्पॉट बिलिंग में लगे विद्युतकर्मियों का कहना है कि यदि स्पॉट बिल का ठेका देना था तो स्मार्ट मीटर क्यों लगा रहे हैं। इन सभी का बोझ अंत में जनता पर ही पड़ना है क्योंकि इसमें जनता को राहत के प्रावधानों का कहीं कोई अता पता नहीं है।
आपसी समन्वय के अभाव में ब्रस्ट होती केबल : उदयपुर शहर का आधा सिस्टम अंडरग्राउंड केबल से विद्युत सप्लाई करता है। शहर के सरकारी महकमों में आपसी तालमेल और समन्वय नहीं होने के कारण आए दिन कोई न कोई विभाग किसी भी काम से सड़क को खोद रहा है। इसे वहां से गुजर रही अंडरग्राउंड विद्युत केबल की कोई जानकारी भी नहीं जिससे कि खुदाई के समय उससे बचा या बचाया जा सके। अन्य विभागों से समन्वय के अभाव में जेसीबी के पंजे से विद्युत केबल ब्रस्ट हो रही है। हाल ही बीते दिनों में ऐसी अनेक घटनाएं हो चुकी है। खुदाई में केबल ब्रस्ट होते ही संबंधित क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति बंद हो जाती है जिसे बहाल होने में घंटों लग जाते हैं। तेज भीषण गर्मी के दिनों में ऐसी घटनाओं के बाद आम जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।
फॉल्ट दूर कर रहे अनस्किल्ड युवा : शहर में बिजली फॉल्ट को दूर करने का कार्य ठेके प्रथा पर दे दिया गया है। प्रदेश से बाहर से ठेका लेने वाली कंपनी को यहां की भौगोलिक व वास्तविक परिस्थितियों का जानकार नहीं। ऐसी परिस्थितयों में ठेका सबलेट कर दिए जाते हैं। बिजली शिकायतों की सुनवाई व फाल्ट दूर करने का कार्य निजी हाथों में अनस्किल्ड युवाओं के हाथों में दे रखा है जिससे कभी भी किसी बड़े हादसे की आशंका रहती है।
विद्युत कटौती से निजात का नहीं पता : इन दिनों के तेज भीषण गर्मी के दौर में भी शहर के अनेक हिस्सों में विद्युत कटौती हो रही है। निगम के पास वर्तमान में कितनी विद्युत लोड उपलब्ध है और कितनी खपत होगी, इसका कहीं कोई खुलासा नहीं किया जा रहा। सवाल जवाब के समय अधिकारियो का एक ही जवाब होता है कि कहीं कोई समस्या नहीं है। सब सामान्य है। बावजूद इसके शहर में हर रोज कहीं न कहीं विद्युत कटौती हो रही है। निगम अधिकारियों से यह जवाब देते नहीं बन रहा कि जनता को विद्युत कटौती से निजात कब तक मिल जाएगी। यह भी अधिकारी नहीं बता पा रहे हैं कि उदयपुर में सप्लाई सिस्टम की पर्याप्त क्षमता है। निगम के कार्य प्रबंधन को देखते हुए सवाल उठ रहे हैं कि यदि निजीकरण व्यवस्था सुधारना ही है तो पूर्ण निजीकरण क्यों नहीं किया जा रहा। आधा अधूरा निजीकरण कर अधिकारियों को जनता व कर्मचारियों से परेशान क्यों कराया जा रहा है।
रेवेन्यू कलेक्शन विभाग की प्राथमिकता: एसई मीणा : इस संबंध में एवीवीएनएल के अधीक्षण अभियंता केआर मीणा का कहना है कि रेवेन्यू कलेक्शन विभाग की प्राथमिकता है। वहीं स्मार्ट मीटर अभी लगाए नहीं गए हैं और जब लगेंगे तो प्रणाली में आवश्यक बदलाव किए जाएंगे। फिलहाल उदयपुर में ज्यादा कटौती नहीं हो रही है। यदि कहीं इमरजेंसी स्थिति बनती है, जैसे हाल ही में पहाड़ी क्षेत्र में आग लगने की घटना हुई, तो ऐहतियातन बिजली बंद करनी पड़ती है। इस समय उपलब्ध क्षमता पर्याप्त है और किसी प्रकार की कमी नहीं है। आमजन की शिकायत निवारण पिछले आठ वर्षों से आउटसोस पर है। जरूरत पड़ने पर “संदा” नामक कंपनी से कर्मचारी लिए जाते हैं, ताकि आवश्यकतानुसार कार्य समय पर पूरा हो सके। उन्होंने बताया कि कोई भी अकुशल कर्मचारी बिजली सुधारने जैसे तकनीकी कार्य नहीं कर सकता, सभी कर्मचारी प्रशिक्षित हैं। आधे अधूरे निजीकरण के सवाल पर मीणा कहते हैं कि विभाग हर स्तर पर संतुलन बनाकर काम करता है। शहर की अंडरग्राउंड केबलिंग सिर्फ ओल्ड सिटी के दो डिवीजन ही स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में हैं, और जब कोई दिक्कत आती है तो आपसी संवाद से उसे तत्काल सुलझा लिया जाता है।