प्रभु महाकाल का हुआ भव्य स्वागतजगदीश मंदिर व अम्बामाता मंदिर पर भव्य आरती
उदयपुर। सार्वजनिक प्रन्यास मंदिर श्री महाकालेश्वर रानी रोड़ स्थित महाकालेश्वर मंदिर से अभिजित मुर्हूत 12.15 बजे मंदिर प्रांगण से शाही लवाजमें के साथ प्रभु महाकालेश्वर नगर भ्रमण के लिए निकले। प्रन्यास सचिव चन्द्रशेखर दाधीच ने बताया कि श्रावण के चैथे सोमवार को ब्रह्म मुर्हूत में प्रभु महाकालेश्वर की परम्परानुसार विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। प्रभु महाकालेश्वर को रूद्रपाठ, सहस्त्रधारा अभिषेक व विभिन्न नदियों से लाए जल का अभिषेक कर महाकाल को विशेष श्रृंगार धरा भोग धराया गया।शाही सवारी के लिए रजत पालकी को भव्य रूप से सजाया गया है जिसके उपर भव्य सवा 5 किलो चांदी का छत्र लगाया गया व प्रभु महाकालेश्वर का विग्रह स्वरूप का आकर्षक श्रृंगार कर पालकी में विराजित किया गया।
प्रभु महाकालेश्वर को मंदिर सभामण्डप में भव्य आरती कर अभिजित मुर्हूत मंे 12.15 बजे वैदिक मंत्रो के साथ सर्व समाजों के द्वारा रजत पालकी को प्रभु महाकालेश्वर का दर्शन करा मंदिर परिक्रमा करते हुए गुफा द्वारा से नगर भ्रमण के लिए निकलें।मीडिया प्रभारी ने बताया कि सोमवार दिनांक 8 अगस्त 2022 को आशुतोष भगवान श्री महाकालेश्वर निर्धारित रूट चार्ट से सवारी मंदिर प्रांगण से प्रस्थान कर भोलेनाथ गुफा से होती हुई मंदिर के पूर्वी द्वार से फतहसागर के रास्ते से होते हुए काला किवाड पहुंची जहां दाधिच समाज के द्वारा भगवान महाकाल का भव्य स्वागत-सत्कार किया गया। वहां से स्वरूप सागर से होते हुए शिक्षा भवन चैराहे पर पहुंची जहां पर भगवान शनिदेव व कालिका माता के पुजारी परिषद के द्वारा भगवान महाकाल की अगवानी की गई तथा मार्ग में नन्दवाना समाज, विप्र फाउण्डेशन द्वारा शाही सवारी के संग चल रहे विशाल नन्दी पर आरूढ भगवान भोले नाथ का स्वागत किया। चेतक सर्कल से होते हुए आशीष पैलेस होटल पर सिक्ख समुदाय द्वारा विशेष पूजा-अर्चना एवं भगवान महाकालेश्वर का स्वागत किया गया। तत्पश्चात 1.30 बजे हाथीपोल पर देवी महाकाली मंदिर पर पुजारी परिषद द्वारा भगवान श्री महाकालेश्वर-देवी महाकाली तथा भगवान शनिदेव का परस्पर पूजन स्तवन गया। इसके उपरान्त शाही सवारी मावा गणेशजी मार्ग से होते हुए हरवेन जी खुर्रा होते हुए मोती चोहट्टा पहुंची। जहां पर विभिन्न व्यापारिक संगठनों व समाजांे द्वारा मार्ग में भगवान श्री महाकालेश्वर का स्वागत कर विशेष पुष्प वर्षा की गई। घण्टाघर पर मालवीय लोहार समाज की और से प्रभु महाकालेश्वर का भव्य स्वागत किया गया। माझी की बावडी पर सेन समाज द्वारा भव्य स्वागत गया। शाही सवारी के जगदीश चैक पर भगवान हरि-हर का परस्पर मिलन हुआ वहां भगवान जगदीश की भव्य आरती कर परम्परागत भंेट प्रस्तुत की गई। सवारी गणगौर घाट मार्ग से होते हुए चांदपोल पुलिया से होते हुए जाडा गणेश जी पहुंची जहां पर आरती का आयोजन किया गया। यहां से सवारी नई पुलिया होते हुए अम्बामाता मंदिर पहुची जहां पर पुजारी परिषद द्वारा भगवान महाकालेश्वर व माॅ अम्बा का परस्पर पूजन स्तवन कर भेंट पूजा की गई।
सवारी पुनः राडाजी चैराहे होते हुए महाकालेश्वर मंदिर परिसर पहुंचेगी जहां पर महाआरती का आयोजन हुआ।शाही सवारी के दौरान पूजा अर्चना समिति के फतेहलाल चैबीसा, हरीश शर्मा, ललित जैन द्वारा पूजा मार्ग में आए समस्त देवी देवताओं की अर्चना कर नजराना भेंट चढ़ाया गया। मंदिर प्रांगण से शाही सवारी के निर्धारित पूरे मार्ग में गोमूत्र एवं गगाजल का छिडकाव श्रीमाली समाज के द्वारा किया गया तथा दीक्षा भार्गव व प्रेमलता लोहार के सानिध्य में महिलाएं का दस्ता सवारी के आगे झाडू बुहारते हुए चला रूद्रवाहिनी फागनियां वेष में मंगल गीत व शिव भजन गाती चली।शाही सवारी में सर्व प्रथम केसरिया खुली जीप, 11 घोडे खुली जीप में रहेगा राष्ट्रीय ध्वज, बुलेट मोटर साइकिल 21 तिरंगे झंडे के साथ लवाजमा, 5 बैण्ड, गंगाजल व गौ मूत्र छिड़काव तथा सवारी आने वाले सभी शिवभक्तों का मस्तक पर त्रिभुण्ड लगाया गया, गणपति जी एवं उनके परिवार आशुतोष भगवान की पालकी के आगे चले, महिलाएं कलश लिए नृत्य एवं मंगल गीत गाते चली साथ ही हनुमान जी, अन्नापूर्णा, मां दुर्गा, महर्षि दधीची, परशुराम, विश्वकर्मा जी, रामजी सहित विभिन्न देवी देवताओं की सुसज्जित झांकियां रही, महादेव की रहट पर जलाभिषेक करते हुई, गोल्फ कारें, तीन अलग अलग गावों की गवरी, गणगौर, इनोवा कारें पर विभिन्न समाजो से आई ठाकुर जी की रेवाडिया, महाकाल का पुष्पक विमान, ढोल पांच उंट गाडिया में ओगड़ी की धुणी सहित विभिन्न शिव स्वरूप झांकियां, बैल पर विराजित भोलेनाथ एवं उसके पीछे दोनों साईड में दो-दो गौ माता, थाली मादल, गरासिया समाज द्वारा पारम्परिक नृत्य, लवाजमा, मूल विग्रह चांदी की पालकी (मूल विग्रह के साथ जो भी भक्तगण चलें, मूल विग्रह के दोनों और 25-25 व्यक्ति रस्सा लेकर चलेंगे जिससे मूल विग्रह के सामने कोई भी भक्तगण का आसीन से दर्शन हो सके।शाही सवारी का संचालन प्रन्यास अध्यक्ष तेजसिंह सरूपरिया, सचिव चन्द्रशेखर दाधीच, महोत्सव समिति के अध्यक्ष सुनील भट्ट, संयोजक रमाकान्त अजारिया, सुन्दरलाल माण्डावत, प्रन्यास उपाध्यक्ष महिम दशोरा, नटवरलाल शर्मा, शंकर चंदेल, नागेन्द्र शर्मा ओम सोनी, हरीश लोहार, भंवरलाल सुथार, कमल चैहान, पुरूषोत्तम परिहार, शंकरलाल कुमावत, के.जी.पालीवाल, भंवरलाल पालीवाल, द्रुपद सिंह चैहान, तेजशंकर पालीवाल द्वारा किया गया।दोपहर 12.30 बजे स्वरूप सागर काला किवाड़ के यहां आशुतोष भगवान महाकालेश्वर का स्वागत उदयपुर देहात कांग्रेस कमेटी एव महिला संगिनी ग्रुप द्वारा किया जाएगा जिसकी मुख्य अगवानी लालसिंह झाला व टीटू सुथार के सानिध्य स्वागत किया गया।महोत्सव समिति के संरक्षक बी.एस.कानावत ने बताया कि सवारी के मंदिर के बाद गंगा घाट पर 108 दीपकों की महाआरती की गई। निज मंदिर साफ सफाई व्यवस्था के लिए प्रन्यास के शेषमल सोनी, लोकेश मेहता, दिनेश मेहता, यतेन्द्र दाधीच, राजू सोनी, सुनील शर्मा की देख रेख में हुई।शाही सवारी मार्ग में जगह जगह दाधीच समाज, सेन समाज, सिक्ख समाज, खटीक समाज, सुथार समाज, सर्वब्राह्मण समाज, मालवीय लोहार समाज, श्रीमाली समाज, सिंधी समाज, सोनी समाज, विभिन्न धार्मिक संगठनों, गडिया देवरा मित्र मण्डल व शिवभक्तों द्वारा जगह जगह शीतलपेय, नाश्ता, सेगारी नमकीन पकौडे की स्टाॅल लगाई गई।महोत्सव समिति के मीडिया प्रवक्ता विनोद कुमार शर्मा व महिपाल शर्मा ने बताया कि महाकाल मित्र मण्डल पदाधिकारियों द्वारा हाथीपोल पर प्रभु महाकालेश्वर की शाही सवारी की 501 दीपकों से भव्य आरती की जाएगी एवं प्रसाद वितरण किया जाएगा। जिसकी व्यवस्था मित्रमण्डल के मांगीलाल कटारिया, प्रहलाद कटारिया, ओम निमावत,राजेश निमावत दयाल लाल चैहान, दिनेश गुप्ता, सुरेश कटारिया सहित मण्डल के पदाधिकरियों द्वारा की गई।