समापन नहीं यह आरम्भ हैं – डॉ. पण्ड्या
उदयपुर, 20 जून। बालश्रम मुक्त उदयपुर अभियान के तहत जिला प्रशासन, पुलिस विभाग, बाल कल्याण समिति, चाइल्ड लाइन, कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउण्डेशन सहित स्थानिय स्वयं सेवी सस्थाओ की सराहनीय भूमिका रही है। अभियान के तहत रेस्क्यु सप्ताह का यह समापन हो सकता है परन्तु उदयपुर को बाल मित्र जिला बानने की यह अच्छी शुरूआत है। यह बात राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य डॉ. शैलेन्द्र पण्ड्या ने भारत सरकार के निर्देशन में जिला प्रशासन द्वारा संचालित ‘‘बालश्रम मुक्त उदयपुर‘‘ अभियान के समापन के अवसर पर कही।
उन्होंने बताया कि 13 जून से शुरू हुए रेस्क्यू अभियान में कुल 91 बच्चों को रेस्क्यू किया गया जिसमें 81 बच्चे बालश्रम एवं 10 बच्चे भिक्षावृत्ति के कार्यों में संलग्न पाए गए साथ ही नियोक्ताओं के खिलाफ कार्यवाही से पूरे उदयपुर में वातावरण निर्माण हुआ है।
संभागीय श्रम आयुक्त पी.पी.शर्मा ने बताया कि पुलिस, बाल कल्याण समिति एवं श्रम विभाग तीनों ही स्तर पर बच्चों के बयान लिए जा रहे है। यदि बच्चों के साथ और भी किसी प्रकार के शोषण की बात सामने आई तो संबंधित पर सख्त कार्यवाही की जाएगी। अभियान की नोडल अधिकारी एवं बाल अधिकारिता विभाग की सहायक निदेशक मीना शर्मा ने बताया कि सोमवार को रेस्क्यू सप्ताह के अंतिम दिवस पर हाथीपोल एवं भूपालपुरा थाना क्षेत्र में कुल 14 बाल श्रमिकों को मुक्त करवाया गया जिसमें कुल 10 नियोक्ताओं के खिलाफ कार्यवाही होगी। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष ध्रुव कुमार कविया ने अभियान में भागीदारी निभाने वालों का आभार जताया।
अभियान में सक्रिय रूप से बाल अधिकारिता विभाग, मानव तस्करी विरोधी यूनिट, बाल कल्याण समिति, बाल कल्याण पुलिस अधिकारी, श्रम विभाग, चाइल्ड लाइन, कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन, गायत्री सेवा संस्थान, बाल सुरक्षा नेटवर्क, स्वतंत्रता सेनानी वी.पी.सिंह संस्था, नारायण सेवा संस्थान, मनु सेवा संस्थान, श्री आसरा विकास संस्थान, समाजसेवी अमित राव, नितिन आर्य सहित स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं की अहम भूमिका रही। जल्द ही आयोग एवं जिला प्रशासन द्वारा सराहनीय कार्य के लिए 10 चयनित लोगों का सम्मान किया जाएगा।
बालश्रम मुक्त उदयपुर अभियान: एक सप्ताह में कुल 91 बच्चे हुए मुक्त
