उदयपुर। सुरजपोल बाहर स्थित दादाबाड़ी में आयोजित चातुर्मास में प्रवचन के दौरान समता मूर्ति साध्वी जयप्रभा की सुशिष्या साध्वी संयम साक्षी ने कहा कि रसना की प्राप्ति दुर्लभ है। बहुत पुण्य खर्च होने पर व्यक्ति को रसना की प्राप्ति होती है। सभी इन्द्रियों के एक-2 काम है परंतु रसनेन्द्रिय के दो काम है बोलना और खाना।
साध्वी ने कहा कि दोनों कानों में संयम आवश्यक है। असंयमित शब्द और असंयमित भोजन व्यक्ति की जिन्दगी बर्बाद करते हैं। अमर्यादित शब्द व्यक्ति को कोर्ट में ले जाता है तो अमर्यादित भोजन हास्पीटल ले जाता है। साध्वी ने कहा कि जब तक शब्द मुंह के भीतर रहता है उस पर व्यक्ति का अधिकार रहता है परंतु शब्द बाहर निकलते ही पराया हो जाता है। उन्होंने कहा कि कोई भी शब्द बोलने से पहले सोच लेना चाहिए उसका क्या परिणाम आयेगा। यदि वह शब्द मुझे कोई कहे तो उसका मुझ पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
साध्वी ने कहा कि जो शब्द हम सुनना पसंद नही करते, वह शब्द हमे नहीं बोलना चाहिए। ऐसा हित मित प्रिय इष्ट मिष्ट और शिष्ट बोलिये जिससे सुनने वाला व्यक्ति बार बार मिलने की झंखना करंे।
बहुत पुण्य खर्च होने पर व्यक्ति को रसना की होती है प्राप्तिःसंयमज्योति
