उदयपुर 21 दिसम्बर / पूरे विश्व में सूखे व बाढ की वैश्विक समस्या को लेकर ढाका विश्वविद्यालय , बाग्लादेश में आयोजित दो दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के कुलपति एवं विश्व जन आयोग के आयुक्त प्रो.़ एस.एस. सारंगदेवोत ने ग्लोबल वॅार्मिंग पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन व ग्लोबल वॉर्मिंग के लिए हम ही जिम्मेदार हैं इसके लिए हमें पुनः पारम्परिक मूल्यों को अपना कर प्रकृति की रक्षा करनी होगी तथा युवा वर्ग को जागरूक करना होगा। आज पूरे विश्व में जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ व सूखे की समस्या बढ रही है, इससे मुक्ति की युक्ति अब दुनिया के विश्वविद्यालयों में मिलकर सिखानी चाहिए। यह एक रिसर्च का विषय है। अब इसमें भारत की जिम्मेदारी बढ़ गयी है क्योकि बाढ़, सुखाड विश्व जन आयोग का आयुक्त भारतीय को सबसे पहले चुना गया है इसलिए युक्ति ढुढने हेतु प्रत्यक्ष कार्य में सभी को लगाने की शुरूआत विद्यापीठ में आयोजित प्रथम विश्व जल सम्मेलन में हुई है। इसी में बाढ़, सुखाड की मुक्ति की युक्ति सिखाने वाला वैश्विक विद्या का केन्द्र शुरू करेगे। भारत में इसका आरंभ होगा। प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि इससे बाग्लादेश व अन्य देश प्रेरित हो कर इस समस्या के निजात पर कार्य करे।
सम्मेलन में जल पुरूष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि यदि बांग्लादेश केा पानीदार बनाना है तो अपने शोध के विषय को प्रकृति के साथ जोड कर आगे बढाना होगा। यदि हम चाहते कि यह देश सदैव पानीदार बना रहे तो इसके लिए हम प्रकृति से जितना लेते है उतना प्रकृति को देना जरूरी हैं। उन्हांेने घटते जल संसाधनों से विश्व शांति को खतरा बताते हुए विकेंद्रीकृत जल संरक्षण व्यवस्था को अपनाने का आह्वान किया। जल संरक्षण एवं संवर्धन करने के लिए नागरिक एवं सरकारी समितियों में समेकन की आवश्यकता पर बल देते हुए इसे भूमंडलीकृत विश्व पर्यावरण के लिए आवश्यक बताया।
सम्मेलन में जल पुरूष डॉ. राजेन्द्र सिंह द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘‘जल पुरूष की जल यात्रा’’ का विमोचन ढाका विवि के कुलपति प्रो. मोहम्मद अख्तरूज्जमान, प्रो. एस.एस. सारंगदेवेात, इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस मटेरियल स्वीडन के निदेशक प्रो. आशुतोष तिवारी , जोईल माइकल, प्रो-वाईस चांसलर मकशुद कमल ने किया।
विद्यापीठ विश्वविद्यालय बना बाढ़, सूखे की मुक्ति की युक्ति सिखाने वाला वैश्विक विद्या का केन्द्र – प्रो. सारंगदेवोत
