स्वच्छ, शिक्षित, समृद्ध , स्वावलंबी उदयपुर के लिए आयोजित होगी जनजागृति रैली
उदयपुर, 19 जुलाई , वर्ष 1931 में स्थापित विद्या भवन शिक्षा के माध्यम से समाज परिवर्तन की अपनी गौरवमयी यात्रा के 94 वर्ष पूरे कर सोमवार 21 जुलाई को 95 वे वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इस अवसर पर स्वच्छ, शिक्षित, समृद्ध , स्वावलंबी उदयपुर के उद्देश्य को रेखांकित करते हुए स्थापना दिवस रैली का आयोजन होगा। जिला कलेक्टर नमित मेहता हरी झंडी दिखा रैली का शुभारंभ करेंगे।
विद्या भवन के अध्यक्ष डॉ जितेंद्र कुमार तायलिया तथा मुख्य संचालक पूर्व आई ए एस राजेंद्र भट्ट ने बताया कि रैली सोमवार प्रात: साढ़े सात बजे विद्या भवन स्कूल परिसर से प्रारंभ होकर फतेहसागर ओवरफ्लो तक जायेगी और पुनः लौटेगीं ।
स्कूल के मुक्ताकाशी मंच पर आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि आबकारी आयुक्त नकाते शिवप्रसाद मदन होंगे। विद्या भवन के 1970 बेच के विद्यार्थी , भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ( भेल) के महाप्रबंधक रहे जगदीश प्रसाद आचार्य कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे जबकि विशिष्ट अतिथि उद्योगपति नरेंद्र मारू होंगे।
तायलिया तथा भट्ट ने बताया कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू, प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद से लेकर श्री अटल बिहारी वाजपेयी , डॉ मनमोहन सिंह , श्रीमति प्रतिभा पाटिल के चरणों ने इस महान संस्था को अपनी ऊर्जा व प्रेरणा प्रदान की है । पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन, लोकनायक जय प्रकाश नारायण जैसी अनेक विभूतियों ने यंहा के शिक्षकों, विद्यार्थियों से संवाद कर प्रेरणा दी है। यंहा की शिक्षिका सरला बेन ( मूल नाम मेरी कैथरीन हाईलमन) राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रमुख सहयोगी थी।
विद्या भवन की संस्थाओं में पढ़े प्रेरणादायी विद्यार्थियों व यंहा के शिक्षकों ने समाज जगत, राजनीति, प्रशासन, उद्योग जगत, शिक्षा, विज्ञान, तकनीकी, न्यायपालिका , कला व साहित्य हर क्षेत्र में समाज को नई दिशा दी है।
विद्या भवन की विभिन्न संस्थाओं से निकले विद्यार्थी समाज के गौरव बने है। इनमें श्री गुलाब चंद कटारिया ( राज्यपाल), बीना काक ( पूर्व मंत्री ) , जगत मेहता, जे, एन दीक्षित ( विदेश सचिव), डी एस कोठारी, गोवेर्धन मेहता ( प्रसिद्ध वैज्ञानिक ) , सलिल सिंघल, अरविंद सिंघल ( प्रसिद्ध उद्योग पति) , गोविंद माथुर ( पूर्व मुख्य न्यायाधीश, हाइकोर्ट) हैं। यंहा के हेड मास्टर व अध्यक्ष कालू लाल श्रीमाली जंहा भारत के शिक्षा मंत्री रहे वंही पॉलिटेक्निक के प्राचार्य वासुदेव देवनानी ( वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष) राजस्थान के शिक्षा मंत्री रहे है।
तायलिया तथा भट्ट ने बताया कि एक स्कूल से शुरू हुए विद्या भवन में आज स्कूल, कॉलेज, शिक्षक प्रशिक्षण और तकनीकी शिक्षण संस्थान के अलावा कृषि विज्ञान केंद्र और शिक्षा सन्दर्भ केंद्र जैसी नवाचारी संस्थाएं शामिल हो इसे समग्र शिक्षण संस्थान का रूप देती हैं।अपने बहुआयामी कार्यों के द्वारा विद्या भवन ने समुदाय से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहुँच बनाई है।
विद्या भवन भविष्य के भारत का संकेत देता रहा है। विद्या भवन में वर्ष 1970 में दीवार पर उकेरी पंक्तियां” चंद्र विजेता भारत सूर्य विजेता कब बनेगा” आज आदित्य मिशन के साथ साकार हो गई है।विद्या भवन के शिक्षा दर्शन, अनुभूत प्रयोगों की अहमियत व प्रासंगिकता शाश्वत रही है, इसका प्रस्तबिम्ब भारत की नई शिक्षा नीति में स्पष्ट देखा जा सकता है। भूजल पुनर्भरण की मारवी योजना सहित जल संसाधन प्रबंधन, सेनिटेशन इत्यादि क्षेत्रों में विद्याभवन में हुए शोध भारत की नीतियों को बनने में सहयोगी सिद्ध हुए है।
यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स, कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी, सिडनी यूनिवर्सिटी , अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी जैसे विश्व स्तरीय संस्थान विद्या भवन के साथ मिलकर महत्वपूर्ण शोध कर रहे है। कई राज्यों ने अपनी पाठ्यपुस्तकों के निर्माण में विद्या भवन की सहायता ली है। अभिलाषा कार्यक्रम के माध्यम से वंचित वर्गों की ग्रामीण परिवेश की 80 लड़कियां कोडिंग का निशुल्क प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है। हिंदुस्तान जिंक के शिक्षा सम्बल कार्यक्रम के तहत राज्य के अनेक सरकारी स्कूलों में विज्ञान व गणित विषयों में विद्यार्थियों की मूलभूत समझ बढ़ाने के सफल प्रयास हो रहे है। अपना सपना, ऊंची उड़ान, स्कूल इंटीग्रेटेड प्रोग्राम कार्यक्रमों के माध्यम से यंहा के विद्यार्थी आई आई टी सहित देश के श्रेष्ठ तकनीकी व मेडिकल संस्थानों में चयनित हो रहे है। विद्या भवन तीरंदाजी व शतरंज में राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार कर रहा है। वैज्ञानिक खेती, पशु बांझपन उपचार जैसे क्षेत्रों में विद्या भवन द्वारा हो रहे प्रयास पूरे भारत मे सराहे गए है।
तायलिया तथा भट्ट ने कहा कि विद्या भवन शिक्षा के माध्यम से समाज परिवर्तन व विकास के अपने लक्ष्य के साथ छह वर्षों बाद 100 वर्ष का हो जाएगा। उदयपुर सहित राजस्थान व भारत के लिए यह एक महान उपलब्धि है।
स्थापना की पृष्ठ भूमि :
विद्या भवन की स्थापना का विचार
वर्ष 1926 में, यूरोप में एक ट्रेन का इंतजार कर रहे, वेटिंग रूम में बैठे, डॉ मोहन सिंह मेहता “ भाईसाहब “के मन में उपजा। उन्हें लगा कि एक ऐसे शिक्षण संस्थान को बनाना चाहिए जो प्रगतिशील हो एवं ऐसे जागरुक नागरिक तैयार कर सके जो चरित्रवान , स्वावलम्बी, शारीरिक , मानसिक एवं भावनात्मक रूप से मजबूत ,लोकतान्त्रिक, समावेशी एवं समाज व् पर्यावरण के प्रति संवेदन शील हो तथा आजादी के पश्चात देश के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हो । उनका यह विचार वर्ष 1931 में विद्या भवन के रूप में परिणित हुआ। डॉ मेहता व उनके साथियों डॉ के एल श्रीमाली , सादिक अली , फतेह्लाल वर्डिया ,केसरी लाल बोर्दिया ने इस संस्थान की स्थपाना की । महात्मा गाँधी , रविन्द्र नाथ टैगोर व स्काउट आन्दोलन से प्रभावित ये सभी महान व्यक्तित्व इस विश्वास से प्रेरित थे कि जब भी आज़ादी हासिल होगी, भारत को ऐसे शिक्षित और प्रेरित नागरिकों की आवश्यकता पड़ेगी जिनमें लोकतन्त्र को स्थापित करने और उसे बनाए रखने का दृढ़ निश्चय रखते हो व समाज में प्रत्यक्ष जाकर कार्य कर सकने वाले हो ।
अपने स्थापित लक्ष्यों और उद्देश्यों की पूर्ति के लिये विद्या भवन ने समय और आवश्यकता के अनुरूप समय-समय पर विभिन्न संस्थाओं की स्थापना की ।
विद्या भवन की संस्थाएं : वर्ष 1931 में स्थापित विद्या भवन सीनियर सेकैण्डरी स्कूल के पश्चात विद्या भवन ने 1940 के दशक में विद्या भवन ने हस्तकला शिक्षक-प्रशिक्षण केन्द्र की शुरुआत की – शिक्षकों को बढ़ई, चर्मकार, बुनाई और सिलाई तथा रद्दी काग़ज़ से लुगदी बनाने में प्रशिक्षित किया जाता था। सरकारी विद्यालयों में उन दिनों इन शिक्षकों की ख़ूब माँग रहा करती थी।
ग्रामीण किसानों और हस्त कलाकारों के बच्चों को शिक्षा और सहज तरीके से मिल पाए, इस हेतु ‘रामगिरि’ नामक एक छोटे से गांव में ‘विद्या भवन बुनियादी स्कूल’ की स्थापना 1941 में की गई।
अच्छे शिक्षक तैयार करने के लिए 1942 ने राजस्थान का पहला शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय स्थापित हुआ ।
ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा उन्नयन व विकास को बढ़ाने के लिए लिये1956 में विद्या भवन रुरल इंस्टीट्यूट अस्तित्व में आया। इसी वर्ष रूरल एंड सेनिटेशन इंजिनीयरिंग के केंद्र के रूप में पोलीटेक्निक प्रारंभ हुआ ।
1982 में आंगनवाड़ी आंगनवाडी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के लिए प्रशिक्षण कार्य प्रारंभ हुआ ।
वर्ष 1984 में कृषि विज्ञान केन्द्र बना, जिसने ग्रामीण अर्थव्यवस्था के प्रमुख आधार कृषि को समुन्नत और विकसित करने का कार्य प्रारम्भ किया।
वर्ष 1995 में विद्या भवन शिक्षा संदर्भ केन्द्र स्थापित हुआ । वर्ष 1997 में स्थानीय शासन और ज़िम्मेदार नागरिकता का संस्थान, वर्ष 2001 में विद्या भवन पब्लिक सकूल, वर्ष 2008 में विद्या भवन गांधीयन शैक्षिक अध्ययन संस्थान और वर्ष 2009 में प्रकृति साधना केंद्र ( 400 एकड़ का जंगल) प्रारंभ हुए। समय के साथ कुछ संस्थाओं को एक-दूसरे में समायोजित किया गया । वर्तमान में विद्या भवन सोसायटी के तत्वावधान में 10 संस्थाएं क्रियाशील है ।