उदयपुर। श्वेताम्बर वासुपूज्य मंदिर ट्रस्ट की ओर से सूरजपोल स्थित दादाबाड़ी में साध्वी विपुलप्रभा श्रीजी ने श्रावक के नियम बताते हुए कहा कि किसी भी काम करने में हिंसा न हो, ये ध्यान रखना चाहिए, अगर जरूरी है ही तो कम से कम हिंसा हो। यानी हरी वनस्पति खाते हैं तो कम से कम नुकसान पहुंचे। जहां हिंसा हो, उन चीजों का त्याग करें। स्विच ऑफ और ऑन करना भी एक हिंसा है। मन, वचन और काया तीनों से ध्यान रखना है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ विचार मात्र भी एक हिंसा है। सत्य वचन लेकिन अप्रिय नहीं बोलने चाहिए। वचन वैसे ही है जैसे तीर कमान से निकल जाए। इन जगह ध्यान रखना चाहिए। क्रोध, लोभ, भय और हास्य के कारण झूठ नहीं बोलना चाहिए। जब तक हो सके, चुप रहें। किसी की जान बचाने के लिए मजबूरन झूठ बोलना पड़े तो चल सकता है। किसी को बुरा लगे, ऐसा सत्य नहीं बोलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ऐसे पापों से बचना चाहिए। मोबाइल के कारण अधिक झूठ बोलने लगे गए हैं। कर्मों के बंधन कर रहे हैं। गलत सलाह किसी को नहीं देना है। दहेज नही लेने का प्रण करना है। सोना चांदी पाने के लिए कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए। झूठा आरोप, लेखन नहीं करना चाहिए। झूठी गवाही नहीं देना चाहिए। किसी की गुप्त बात को कहीं पर बताना नहीं है। अपशब्द किसी को नहीं बोलने चाहिए। मौन रखने का संकल्प करें ताकि कम से कम बोलने का प्रयास हो। बार बार झूठ बोलने से आदत पड़ जाती है और वही सत्य लगने लगता है।
साध्वीश्रीजी ने कहा कि अचौर्य का पालन करना चाहिए। चोरी नहीं करूंगा। बिना पूछे किसी की चीज उठा ली वह भी चोरी है। श्रावक धर्म के नियम लेने चाहिए। भले ही हम ऐसे काम करें या न करें लेकिन नियम लेना चाहिए।
किसी भी काम करने में हिंसा न हो,इसका ध्यान रखेंःविपुलप्रभाश्री
