हल्दीघाटी की मिट्टी ने सदैव आजादी के दीवानों को आकर्षित किया है – प्रो. शर्मा

प्रताप का व्यक्तित्व वैश्विक स्तर पर पांच सदियों बाद भी प्रेरणास्पद बना हुआ है –   प्रो शर्मा
कर्तव्यनिष्ठ मजदूर देश को  उन्नति के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचा सकता है – जगदीश राज श्रीमाली
उदयपुर। मुस्कान क्लब “यूथ रिविजिटेड” का महाराणा प्रताप को समर्पित विशेष कार्यक्रम के अंतर्गत  व्याख्यान व कविता पाठ का आयोजन हुआ। ओरिएंटल पैलेस रिसोर्ट मे आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व राज्य मंत्री राजस्थान सरकार व  इंटक के अध्यक्ष जगदीश राज श्रीमाली थे व मुख्य वक्ता डा चन्द्र शेखर शर्मा  थे। कार्यक्रम की शुरुआत मे ईश वंदना,  महाराणा प्रताप के चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात मुस्कान कल्ब कार्यकारिणी सदस्यों ने अतिथियों का उपर्णा पहना स्वागत सम्मान किया ।
प्रो. चंद्र शेखर शर्मा ने महाराणा  प्रताप पर अपने व्याख्यान मे कहा कि प्रताप का जीवन और प्रताप का संघर्ष, देश और काल को लांघकर आज वैश्विक स्तर पर प्रेरणास्पद बना हुआ है । अटवी युद्ध प्रणाली मूलतः छापामार युद्ध ही है जो हमारे यहां प्रचलित रहा इतिहासकारों  ने अपनी अज्ञानता  से उसे विदेशों की युद्ध नीति बताया । समूचे विश्व मे अश्व की स्वामिभक्ती को नमन करते हुए मानव रुप मे शाही अंत्येष्टि देने वाले केवल महाराणा प्रताप ही थे व उन्ही के पदचिह्नों पर चल चेतक स्मारक व चौराहों आज देखने को मिलते है
मीडिया प्रभारी प्रोफेसर विमल शर्मा के अनुसार उन्होंने कहा कि आज 5 सदियों बाद भी आधुनिक विश्व में अपने अस्तित्व का संघर्ष करने वाले देशों के लिए महाराणा प्रताप एक अमूर्त प्रेरणा बन उनके संघर्ष की ऊर्जा बने हुए है। साधनों और सैन्य की अल्पता में भी संघर्ष की जोत जगा कैसे भारत माता को पराधीनता की बेड़ियों से मुक्त कराया जा सकता है ये सब प्रताप ने ही हमें सिखाया है । विदेशी आततायी मुगल शक्ति के विरुद्ध प्रतिरोध को जन युद्ध बना कर मानव मात्र को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ा समाज के हर वर्ग के साथ साथ वनवासी बंधुजनों को भी इसका हिस्सा बना कर राष्ट्रीय एकता का सूत्रपात किया जो वर्तमान में राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए गाइड लाइन हो सकता है l
जगदीश राज श्रीमाली ने प्रो चन्द्र शेखर शर्मा को महाराणा प्रताप पर लिखे असत्य पुराने इतिहास को बदलने के लिये बधाई देते हुए  गिरिश विद्रोही द्वारा दिये गये “आजाद” उपनाम को सदन से स्वीकृति दिलाई । उन्होंने अपने बाल श्रमिक के रुप मे शुरू हुए जीवन सफर से मजदूर आंदोलन मे गट्टानी सा. की प्रेरणा से इंटक मे आकर संधर्ष करते हुए शीर्षस्थ पदों तक पहुंचने तक का सफर का वर्णन किया । वे महाराणा प्रताप को अपना आदर्श व माता हिंगलाज के आशीर्वाद को सफलता का श्रैय देते है । उनकी मान्यता है कि कर्तव्यनिष्ठ मजदूर देश को  उन्नति के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचा सकता है । महाराणा प्रताप के स्वाभिमान का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि अकबर के सभी चारों प्रलोभनों  को ठुकरा दिया क्योंकि मेवाड़ मे परमेष्ठी शासन के अन्तर्गत  मेवाड़ की गद्दी तो एकलिंग नाथ जी की थी जिनके वो दीवान थे । उन्होंने  हल्दीघाटी युद्ध के मार्मिक द्रश्य को इंगित करती अपनी  स्वरचित कविता “राणा लडतो रीजे रे आगे बढ़तो रीजे रे” सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
मुस्कान क्लब के ब्रृजलाल सोनी “वो मेवाड़ कि जिसकी शान मे पन्ना ने अपने सुत का बलिदान दिया” व नारायण साहू “मत के मां तू टाबर है रजपूती खून रगा मे है”  की स्वरचित कविताओं ने श्रोताओं से खूब वाह वाही लूटी । अन्य सदस्यों ने प्रताप पर लिखी प्रसिद्ध कविताओं का पाठ कर माहौल को प्रतापमय बना दिया । श्रीमती हरप्रीत मक्कड ने पांचवे सिख गुरु अर्जुन देव के शहीदी दिवस पर उनका जीवनवृत्त सुनाया ।
समारोह मे नीरज गट्टानी, के  के त्रिपाठी, सूरजमल पोरवाल, डा. नरेश शर्मा, एम पी माथुर , प्रो विमल शर्मा, श्रीमती कुसुम लता त्रिपाठी,  चंदन सिंह सागर, संतोष शर्मा , दलपत तोमर, श्रीमती शीला चौधरी ने भी अपने विचार व्यक्त किये ।
By Udaipurviews

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