बांसवाड़ा : लालीवाव मठ में आठ दिवसीय विराट धार्मिक महोत्सव की धूम महायज्ञ में पूर्णाहुति के साथ सम्पन्न

संत-महात्माओं के सान्निध्य और हजारों श्रृद्धालुओं की मौजूदगी ने उमड़ाया आस्था का सागर, *जगद्गुरुओं सहित देश के विभिन्न अखाड़ोंमठोंआश्रमों और तीर्थ धामों ने आए संत-महात्माओंमहामण्डलेश्वरों ने ली विदा*

बाँसवाड़ा, 27 नवम्बर/सदियों से धर्म-अध्यात्म और सनातन परम्पराओं को शंखनाद करने वाले ऐतिहासिक एवं सिद्ध धाम लालीवाव मठ में पूर्व श्रीमहंत नारायणदासजी महाराज की स्मृति में आयोजित आठ दिवसीय विराट धार्मिक महोत्सव संत-महात्माओं और हजारों श्रृद्धालुओं की मौजूदगी में बुधवार दोपहर श्रीविद्या महायज्ञ एवं नौ कुण्डीय श्री लक्ष्मीनारायण यज्ञ में पूर्णाहुति के साथ धूमधाम से सम्पन्न हो गया।

इस अवसर पर श्रीमद् जगद्गुरु अग्रमलूकपीठाधीश्वर श्री राजेन्द्रदास देवाचार्यजी महाराज, लालीवाव पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर श्रीमहंत हरिओमदासजी महाराज, गुरु आश्रम छींछ के श्रीमहंत घनश्यामदासजी महाराज एवं गौ संत श्री रघुवीरदासजी महाराज तथा देश के विभिन्न हिस्सों से उपस्थित संत-महात्माओं के सान्निध्य में मुख्य यजमान एवं महोत्सव आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रसिद्ध एड्वोकेट लक्ष्मीकान्त त्रिवेदी ने सपत्नीक महायज्ञ में पूर्णाहुति दी।

यज्ञाचार्य पं. निकुंजमोहन पण्ड्या एवं ब्रह्मर्षि पं. दिव्यभारत पण्ड्या के आचार्यत्व में कर्मकाण्ड एवं साधना विशेषज्ञों के समूहों ने अन्य विधानों सहित पूर्णाहुति विधान सम्पन्न कराए।

यज्ञ मण्डप के अन्य कुण्डों में ईश्वरदास वैष्णव, पुष्पेन्द्रसिंह तंवर, ईश्वर जरादी, मुकेश जरादी, डॉ. दिनेश भट्ट, प्रवीण गुप्ता ‘मुन्ना’, नटवर तेली एवं नरेशचन्द्र भट्ट ने पूर्णाहुति दी।

इससे पूर्व महायज्ञ में श्रीयंत्रों की प्रतिष्ठा एवं त्रिशती, खड्गमाला एवं ललिता सहस्रनामावली से श्रीयंत्र पर लक्षार्चन, कुंकुमार्चन, शतचण्डी, रूद्रार्चन, श्रीसूक्त, लक्ष्मीनारायण अनुष्ठान एवं यज्ञ, दुर्गा यंत्र पूजन सहित विभिन्न विशिष्ट अनुष्ठान हुए।

महायज्ञ में बुधवार सवेरे से ही श्रृद्धालुओं द्वारा दर्शन एवं परिक्रमा का दौर बना रहा, जो कि पूर्णाहुति के बाद तक चरम यौवन पर रहा। हजारों भक्तों ने यज्ञ मण्डप की विषम संख्या में परिक्रमा की और यज्ञनारायण भगवान से जीवन में सुख-चैन एवं बहुविध समृद्धि की कामना की।

 

*तर्पण एवं पिण्डदान कर अहसास किया पितृ ऋण से मुक्ति का*

महोत्सव के अन्तर्गत सभी पितरों के मोक्ष की कामना से तर्पण और अन्य विधानों के साथ ही पिण्डदान का अनुष्ठान भी हुआ। इसमें सभी पितरों का आवाहन कर उन्हें पिण्डदान किया गया और भगवान विष्णु से मोक्ष की प्रार्थना की गई। निर्मोही अखाड़ा उज्जैन के धर्माचार्य पं. नारायण शास्त्री के आचार्यत्व में इन अनुष्ठानों के अन्तर्गत पितरों की प्रसन्नता के निमित्त विभिन्न पूजन-अर्चन, आवाहन, तर्पण, पिण्डदान, हवन, परिक्रमा, आरती आदि अनुष्ठान पण्डितों के समूह ने पूर्ण करवाए।

सभी यजमानों ने श्रृद्धा और गहन आस्था के साथ अपने दिवंगत परिजनों की गति-मुक्ति के लिए शास्त्रविहित समस्त क्रियाओं को पूर्ण करते हुए पितृ ऋण से उऋण होने का आत्मतोष प्राप्त किया।

 

*भागवत पारायण में पोथी पूजन व विद्वानों का सत्कार*

महोत्सव में सर्वपितृ मोक्ष की कामना से श्रीमद् भागवत मूल पारायण करने में दक्ष, देश के विभिन्न हिस्सों से आए 108 पण्डितों ने भागवत पारायण पूर्ण किया और विष्णु सहस्रनाम तथा विष्णु मंत्रों से पितरों के मोक्ष की कामना के साथ यजमानों से भागवतजी का पूजन करवाया। यजमानों ने भागवत पारायणी विद्वानों का पूजन करने के बाद उन्हें यथाशक्ति दान-दक्षिणा और उपहार भेंट किए। सैकड़ों श्रृद्धालुओं ने भागवत पारायण मण्डप में भागवत पोथियों की परिक्रमा की। पं. योगेन्द्र मिश्र के आचार्यत्व में हुए भागवत पारायण में अंतिम दिन श्रृद्धा और भक्ति चरम पर रही।

*विराट महोत्सव का विशाल भण्डारा*

यज्ञ पूर्णाहुति के उपरान्त मठ में विशाल भण्डारा हुआ, जिसमें हजारों की संख्या में उपस्थित भक्तों ने महाप्रसाद ग्रहण किया। इससे पूर्व मठ के आस्था स्थलों पर धर्मावलम्बियों एवं लालीवाव मठ के शिष्यों तथा अनुयायियों का ज्वार उमड़ आया।

महोत्सव में आए श्रीमद्जगद्गुरु टीलाद्वारागाद्याचार्य श्रीश्री 1008 श्री माधवाचार्यजी महाराज, जगद्गुरु अयोध्याचार्यजी महाराज सहित अन्य जगद्गुरुओं सहित देश के तीर्थ धामों, आश्रमों, मठों और अखाड़ों से आए संत-महात्माओं, श्रीमहंतों, महामण्डलेश्वरों एवं संत समाज के राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने विदा ली।

By Udaipurviews

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