स्वरांजलि म्यूजिक ग्रुप ने वृद्ध आश्रम में बिखेरी स्वर लहरियां

उदयपुर। स्वरांजलि म्यूजिक ग्रुप के सुर साधकों ने रविवार शाम को सेक्टर 14 स्थित तारा संस्थान के वृद्धाआश्रम में अपनी स्वर लहरियां बिखेर कर 3 घंटे तक लगभग 90 वृद्धजनों का भरपूर मनोरंजन किया
स्वरांजलि के संस्थापक विकास स्वर्णकार और सह संस्थापक योगेश उपाध्याय ने बताया कि सेक्टर 14 में वृद्ध आश्रम की जानकारी होने पर उनके द्वारा आश्रम के प्रबंधक श्री सतीश कलाल से संपर्क किया गया और उन्होंने वृद्ध जनों के मनोरंजन हेतु संगीत मय कार्यक्रम प्रस्तुत करने का आग्रह किया, जिसे खुशी-खुशी स्वीकार किया जाकर रविवार को ग्रुप के गायको को आमंत्रित किया गया
ग्रुप के कलाकारों ने लगभग 3 घंटे की प्रस्तुतियों में समस्त वृद्ध जनों को मंत्रमुग्ध कर दिया, यहां तक की उम्र दराज लोगों को नाचने पर मजबूर कर दिया
शुरुआती सरस्वती वंदना के पश्चात विकास  स्वर्णकार ने- गीत गाता चल ओ साथी…., गजेंद्र सोनी ने- एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल…. और क्षितिज चूलेट ने- जिंदगी एक सफर है सुहाना…  गीत प्रस्तुत कर न केवल जिंदगी का फलसफ़ा प्रस्तुत किया अपितु वरिष्ठजनों के जीवन में एक उत्साह और उमंग का संचार कर दिया
इसके पश्चात योगेश उपाध्याय ने- दर्दे दिल दर्दे जिगर…. मोहन सोनी ने- लिखे जो खत तुझे….नेहा वैष्णव ने- ये गलियां ये चौबारा…. मनीषा दवे ने- हमें और जीने की चाहत ना होती…. और प्रीति माथुर ने- गापुची गापुची गम गम…. जैसे गाने प्रस्तुत कर वृद्धजनों को उनके जमाने की यादें ताजा करवा दी
आश्रम के प्रबंधक श्री सतीश कलाल ने बताया कि वृद्ध जनों के लिए संगीत म्यूजिक थेरेपी का काम करती है और इससे उनके जीवन में एक नए उत्साह और उमंग का संचार होता है, इस आश्रम में लगभग 125 लोग आश्रय लिए हुए हैं जिनके जीवन में ऊर्जा लाने के लिए इस प्रकार का आयोजन किया गया
इसके पश्चात युगल गानों के दूसरे दौर में मोहन सोनी और नेहा वैष्णव ने- ना कजरे की धार…. योगेश उपाध्याय और मनीषा दवे ने- मैं दुनिया भुला दूंगा …  विकास सोनी और नेहा वैष्णव ने शोखियों में घोला जाए…. प्रीति माथुर और क्षितिज चुलेट ने- जब कोई बात बिगड़ जाए….जैसे युगल गाने गाकर उपस्थित लोगों को को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया, क्षितिज चूलेट के गाने- हम बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है…. गाने पर कई वृद्धजन गाना समाप्त होने तक थिरकते रहे
इस अवसर पर सेवानिवृत्त तहसीलदार मोहन सोनी ने बताया कि बुजुर्गगण न केवल नींव के पत्थर होते है बल्कि अपने अनुभव, ज्ञान और मार्गदर्शन से परिवार को सही राह दिखाते हैं, वे परंपराओं और पारिवारिक मूल्यों को आगे बढ़ाते हैं, बुजुर्गों के पास जीवन का व्यापक अनुभव होता है जिससे नई पीढ़ी को सही मार्गदर्शन मिलता है, बहुत बदकिस्मती होते हैं वो लोग जो अपने ही मातापिता की छत्रछाया से वंचित हो जाते हैं
अंतिम दौर में विकास सोनी ने- मैं जट यमला पगला दीवाना…. गजेंद्र सोनी ने- रोते हुए आते हैं सब…. योगेश उपाध्याय ने- राम तेरी गंगा मैली हो गई….नेहा वैष्णव ने- कजरा मोहब्बत वाला…. गाकर दर्शकों को रोमांच से भर दिया, वहीं मोहन सोनी ने- कीर्तन की है रात बाबा…  और मनीषा दवे ने- इतनी शक्ति हमें देना दाता….जैसे भजन प्रस्तुत कर लोगों को आत्मिक शांति का आत्मबोध करवाया
कार्यक्रम के अंत में स्वरांजलि ग्रुप के गायको ने और समस्त वृद्ध जनों ने मिलकर- चलते-चलते मेरे यह गीत याद रखना…. गाकर माहौल को हमेशा हमेशा के लिए यादगार बना दिया, आश्रम के बुजुर्ग इस कार्यक्रम से बहुत ही उत्साहित और प्रफुल्लित दिखे, उन्होंने हर महीने इस तरह का आयोजन किये जाने की इच्छा जाहिर की
इस अवसर पर स्वरांजलि ग्रुप की और से समस्त वृद्ध जनों के लिए अल्पाहार की व्यवस्था भी की गई
By Udaipurviews

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