उदयपुर।सुरों की मंडली – महिला विंग द्वारा आयोजित ‘पसंद अपनी–अपनी’ कार्यक्रम में 90 के दशक के सदाबहार गीतों ने ऐसा समा बांधा कि पूरे वातावरण में संगीत की मधुर लहरें गूंज उठीं। महिला विंग की सभी प्रतिभावान सदस्यों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां देकर दर्शकों का दिल जीत लिया।
संस्थापक मुकेश जी माधवानी ने बताया कि सभी सुर-साधिकाओं ने अपनी पसंद के मनमोहक गीत प्रस्तुत किए और कार्यक्रम को यादगार बनाया।
कार्यक्रम की संयोजक मधु केवल्या एवं चेतना जैन ने बताया कि महिलाओं ने उत्साह और आत्मविश्वास के साथ शानदार प्रस्तुतियां दीं, जिनमें 90 के दशक की अनेक हिट रचनाएं शामिल रहीं।
कार्यक्रम में दिव्या सारस्वत ने ‘गौरी है क्लैय्या’, अमृता ने ‘ले गई ले गई’, मधु शर्मा ने ‘जब से मिले’, तथा नूतन वेदी ने ‘तू मेरी ज़िंदगी है’ जैसे गीत गाकर समा बांध दिया। वहीं झूमूर चक्रवर्ती ने ‘कुछ न कहो’, मधुबाला ने ‘तुम मिले दिल खिले’ और भगवती मेनारिया ने ‘मुसाफिर हूँ यारों’ गीत प्रस्तुत कर खूब सराहना पाई।
इसके साथ ही विश्वा पंड्या ने ‘मैं एक राजा हूँ’, वृंदा शर्मा ने ‘ढूंढो-ढूंढो रे’, और नन्हीं गायिका आराध्य वैष्णव ने ‘ये इश्क़ हाय’ गाकर दर्शकों का मन मोह लिया। रजलेश ने ‘तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है’, नीलम कौशल ने ‘माई माई नी’, तथा वीनू वैष्णव ने ‘साथिया, ये तूने क्या किया’ गीत से तालियां बटोरीं।
इसी क्रम में गीता सिंह ने ‘दिल है कि मानता नहीं’, हर्षा शर्मा ने ‘मेरे ख़्वाबों में जो आए’, पुष्पा शर्मा ने ‘बहुत प्यार करते हैं’ तथा सीमा मेहता ने ‘जब कोई बात बिगड़ जाए’ गीतों की सुरीली प्रस्तुति देकर कार्यक्रम को बेहद खास बना दिया।
अंत में, सभी गायिकाओं की बेहतरीन प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को सफल और यादगार बनाया। दर्शकों की उत्साहभरी तालियों के बीच कार्यक्रम का समापन हुआ।
