– बडग़ांव में भागवत कथा में वृक्षम अमृतम सेवा संस्थान द्वारा भक्तों को बांटे तुलसी के पौधे
उदयपुर, 25 नवम्बर। झीलों की नगरी में बडग़ांव स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर, होली चौक में मंदिर प्रतिमा पुनस्र्थापना समारोह के तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा में कथावाचक पुष्कर दास महाराज के मुख से अमृतवाणी बरस रही है।
संगीतमय भागवत कथा में छठे दिन पुष्कर दास महाराज ने कहा भीड़ में सत्य नहीं होता, भजन एकांत में ही हो सकता । जितनी उंगलियां मोबाइल पर चलती उतनी माला पर चलती तो कल्याण हो जाता। जीवन में रामरस आ जाए तो जीवन हो बदल जाता है, कथा सत्संग सुनने से व्यक्ति पाप करने से बचता है। कथा अच्छे मार्ग पर ले जाती है, कथा बुराइयां छुड़ाती है, आगे कहा कई लोग कथा में बैठते है परन्तु मन कही और होता है। विचारों की भीड़ सभी जगह है, विचार अपने लोगों के होते है। मां को बेटे का, पत्नी को पति का, माता पिता को बच्चों का विचार रहता है। सत्संग में बैठने से हमारे विचारों का शमन होता है, सत्संग से हमे जीवन जीने का ज्ञान होता है । भगवान शंकर कैलाश पर्वत पर पार्वती के साथ राम के नाम का जप करते है। जिसने सत्य को पकड़ा उसने ईश्वर को पकड़ा, सूरदास जी में इतनी भक्ति करने के बाद भी अहंकार नहीं था। हरी कहते है जो मुझे मन से भजता है में उसका चाकर बन जाता हु । ये हमारा सौभाग्य है जो हमे सत्संग और भगवान के दर्शन का लाभ मिल रहा है । सूरदास जी में इतनी भक्ति करने के बाद भी अहंकार नहीं था । कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा यशोदा मैया ने महंगे हार, हीरे मोती लुटाए क्यों कि ईश्वर के सामने ये इनकी कोई कीमत नहीं है। आगे पूतना के वध का वर्णन किया, शकटासुर को बालक कृष्ण ने मारा । कृष्ण ने गोपियों के कोमल मन रूपी मक्खन को चुराया है दूध के मक्खन को नहीं । कृष्ण ने मटकियां फोड़ी थी जिस जीवात्मा के सिर पर अहंकार रूपी पाप की मटकी फोड़ी थी । चीरहरण लीला में साड़ी, कपड़े का चीर नहीं बल्कि वासना का चीर हरण किया। कृष्ण ने दावा नल अग्नि का पान किया। जिसकी आत्मा हर दम हरी चित्त में लगी रहे वही गोपी है । कथा में रास लीला का विस्तार से वर्णन किया द्य आगे महाराज ने कहा हर सनातनी के घर में तुलसी का पौधा होना चाहिए । विठ्ठल वैष्णव ने बताया कि कथा के अंत में वृक्षम अमृतम सेवा संस्थान द्वारा 200 तुलसी के पौधे भक्तों को प्रसाद स्वरूप बांटे गए ।
सत्संग में बैठने से विचारों का शमन होता है: पुष्कर दास महाराज
