उदयपुर, 17 मई। ‘किसी भी कार्य को सफलता के मुकाम तक पहुंचाने वाली श्रम शक्ति काम को करने के प्रति मनुष्य के मन में उपजे उत्साह से ही संचालित होती है।’ यह बात नारायण सेवा संस्थान में त्रिदिवसीय अपनों से अपनी बात कार्यक्रम के समापन पर संस्थान अध्यक्ष प्रशान्त अग्रवाल ने कही। इन तीन दिनों के दौरान देश के विभिन्न राज्यों से यहां निःशुल्क उपचार के लिए आए दिव्यांग एवं उनके परिजनों से निरन्तर संवाद किया गया। सेवा धर्म का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अपने लिए जीना तो एक सामान्य बात है किन्तु औरों के लिए जीना तपस्या से कम नहीं है। दूसरों के लिए जीना ही मनुष्य जीवन का उद्देश्य होना चाहिए। अर्जित धन की बजाय अन्त समय में सेवा का बही खाता ही काम आता है।
कार्यक्रम के दौरान दिव्यांगजन की रूचियों और उनके सपनों पर चर्चा हुई। दिव्यांगों ने अपनी समस्या और पीड़ाओं को भी साझा किया। संस्थान यहां ईलाज के साथ रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बना रहा है। इस दौरान राकेश शर्मा, मनीष परिहार, अनिल पालीवाल व मनीष राव मौजूद रहे।
सेवा का बही खाता ही आयेगा काम – प्रशान्त अग्रवाल
