चेतक को पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया स्मरण

उदयपुर, 30 मई। प्रताप जयंती के अवसर पर महाराणा प्रताप सिंह के शक्तिशाली चतुर, स्वाभिमान और बहादुर घोड़ा चेतक को पशुपालन डिप्लोमा के विद्यार्थियों ने पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्ज्वलित कर स्मरण किया। इस अवसर पर संस्थान के उपनिदेशक डॉ. सुरेन्द्र छंगाणी ने कहा कि हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के चेतक घोड़े ने जो चमत्कार दिखाये वे देश के इतिहास में अमर है, शक्ति का प्रतीक घोड़ा, बहुत ही चतुर, स्वाभिमानी और बहादूर पशु है। इसकी युद्ध में बहादूरी की गाथाएं देश के बच्चे-बच्चे की जुबान पर हैं। डॉ. छंगाणी ने बताया कि भारत में पशु गणना 2019 के अनुसार अनुमानित 3 लाख 40 हजार घोड़ें व पॉनीज हैं। भारत का 10 प्रतिशत अर्थात् लगभग 33 हजार 679 घोडे व पॉनीज राजस्थान में है। उदयपुर जिले में पशुगणना 2019 के अनुसार अनुमानित 690 घोड़े व पॉनीज हैं।
विलायती घोड़ों में बड़ी जाति के शायर, हाकनी और क्लाइडस डील सर्वश्रेष्ठ घोड़े समझे जाते हैं। भारतीय घोड़ों में काठियावाड़ी, मालानी/मारवाड़ी, स्पिती, भोटिया व मणिपुरी इत्यादि प्रमुख नस्लें पाई जाती हैं। वैसे राजस्थान में मालानी / मारवाड़ी नस्ल बहुतायत में है। इसके अलावा काठियावाड़ी नस्ल भी यहाँ पर देखी जा सकती है। संस्थान की वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. पदमा मील ने बताया कि बड़े घोडे परिश्रमी होने के साथ ही जरा सी लापरवाही और भेदभाव को सहन नहीं कर सकते और बहुत शीघ्र किसी न किसी रोग का शिकार हो जाते है। ये प्रायः पेट के रोगों से अधिक पीड़ित होते हैं और इनको अधिकतर पेट का दर्द होता है जो भोजन में लापरवाही और अधिक भोजन खा लेने से उत्पन्न हो जाता है। संस्थान के वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. ओमप्रकाश साहू ने पशु प्रबंधन की जानकारी देते हुए का कि इनके पालन पोषण का विशेष प्रबन्ध करना चाहिये। इस अवसर पर पशुपालन डिप्लोमा के विद्यार्थियों ने भी चेतक चौराहे पर अपने विचार रखें।

By Udaipurviews

Related Posts

error: Content is protected !!