उदयपुर। टीम संस्था द्वारा आयोजित 25 दिवसीय ग्रीष्मकालीन रंगमंच कार्यशाला “रंगनायक 2025” का समापन दो प्रभावशाली नाट्य प्रस्तुतियों के साथ बड़े उत्साह और आत्मीयता के माहौल में संपन्न हुआ। इस गहन प्रशिक्षण शिविर का निर्देशन जाने-माने रंगकर्मी और थिएटर निर्देशक सुनील टांक ने किया, जिसमें दो वर्गों—जूनियर (7 से 15 वर्ष) और सीनियर (18 वर्ष से ऊपर)—के कुल 37 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
पूरे 25 दिनों की इस कार्यशाला में बच्चों और युवाओं को अभिनय के विविध पक्षों—जैसे शारीरिक अभिव्यक्ति, संवाद कौशल, भाव-भंगिमा, रंगमंचीय अनुशासन, और नाट्यशास्त्र की मूल अवधारणाओं—से गहराई से परिचित कराया गया। व्यावहारिक गतिविधियों, थियेटर गेम्स, रोल-प्ले और भावाभिव्यक्ति संबंधी एक्सरसाइज़ के माध्यम से प्रतिभागियों में आत्मविश्वास और मंचीय क्षमता का विकास हुआ।
समापन अवसर पर मंचित हुए दोनों नाटकों ने दर्शकों को गहराई से छुआ:
• जूनियर वर्ग ने प्रस्तुत किया “आओ बड़ो तुम्हें सिखाएं”, जिसमें बालमन की मासूमियत और जीवन की सीधी सच्चाइयों को उजागर किया गया।
• वहीं सीनियर वर्ग ने अपनी प्रस्तुति “उड़ान” के माध्यम से सपनों, संघर्ष और आत्मविश्वास की कहानी को सशक्त रूप से मंचित किया।
इन दोनों नाटकों की लेखन एवं निर्देशन की ज़िम्मेदारी स्वयं सुनील टांक ने निभाई। मंच पर जीवंत हुए दृश्य इतने प्रभावशाली थे कि कहीं हंसी से हाल गूंज उठा, तो कहीं भावनाओं की गहराई ने आंखें नम कर दीं। दर्शकों ने प्रस्तुतियों को न केवल सराहा, बल्कि उनसे भावनात्मक रूप से जुड़ गए।
प्रकाश योजना, मंच सज्जा और पार्श्व संगीत ने नाटकों को और अधिक सशक्त बनाया, जिससे हर दृश्य एक दृश्य नहीं, बल्कि एक अनुभव बन गया।
समापन अवसर पर दर्शकों ने कहा कि इस तरह की रंगमंचीय कार्यशालाएं आज के समय में नवोदित पीढ़ी को मोबाइल और आभासी दुनिया से निकालकर जीवन के वास्तविक और मानवीय मूल्यों से जोड़ती हैं, जो समाज के लिए अत्यंत आवश्यक है।
कार्यक्रम के अंत में निर्देशक सुनील टांक ने प्रतिभागियों, उनके अभिभावकों, तकनीकी सहयोगियों और दर्शकों का आभार व्यक्त किया। साथ ही सभी प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र भी वितरित किए गए।
“रंगनायक 2025” एक कार्यशाला नहीं, बल्कि रंगमंच की आत्मा को महसूस करने का अवसर था—जो प्रतिभागियों के साथ-साथ दर्शकों के मन पर भी अमिट छाप छोड़ गया।