अन्तःकरण की पावनता से फलित होती है सिद्धियाँ,  भगवान पार्श्वनाथ जन्मकल्याणक पर उपसर्गहर स्तोत्र अनुष्ठान 

उदयपुर।  जैन जगत के 23 वें तीर्थंकर  पुरूषादानीय प्रभु  पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक महोत्सव पर पंचरत्न स्थित कम्युनिटी हॉल में शासन श्री मुनि सुरेश कुमार के सानिध्य,तेरापंथ युवक परिषद  के बैनर तले पार्श्वनाथ  प्रणति कार्यक्रम  आयोजित हुआ।
‘प्रभु पार्श्वदेव चरणो  में शत शत प्रणाम है’ गीत के संगान से शुरू हुए कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए ध्यान साधक मुनि सुरेश कुमार जी ने कहा- भगवान पार्श्वनाथ करूणा  के शिखर पुरुष थे। तीर्थंकर पार्श्वनाथ का कण- कण करुणा का अजस्त्र स्रोत था, यह उनका  प्राणिमात्र के प्रति अनुकम्पा ही थी कि यज्ञ में जलती लकड़ीयों में जल रहे नाग के जोडो को अपने ज्ञान से बचाया, वे नाग का जोड़ा धरणेन्द्र – पद्मावती के रूप में प्रतिष्ठित हुए।
मुनि ने कहा -पार्श्वनाथ की अन्तःकरण की पावनता से किया गया अनुष्ठान जीवन के दरवाजे पर सिद्धियो की दस्तक  देता है।
मुनि सम्बोध कुमार ‘मेधांश’ ने उपसर्गहर स्तोत्र, पाश्र्वनाथ मंत्रो की साधना के प्रयोग करते हुए कहा- दुनिया में शक्ति की पुजा होती है, इस दौर में प्रगति के साथ नकारात्मक उर्जाओ का लगातार होते आक्रमण से खुद को सुरक्षित रखने के लिए मंत्र साधना के प्रयोग जरूरी है। साधना का पहला कदम है समर्पण। जहां समर्पण में नकारात्मक विचारों की सेंध लगे तो साधना परिणामहिन होता है। अपने मन से विकार की क्लीविंग करते रहे तभी साधना सिद्धि के प्रांगण पर उतर आती है।
कार्यक्रम में स्वागत तेःयुप “अध्यक्ष अक्षय बड़ाला, आभार अशोक चौरड़िया ने किया।
एक्साइज कमिश्नर ने लिया मुनि से आशीर्वाद
शहर में प्रवासित शासन श्री मुनि  सुरेश कुमार के सान्निध्म में मुनि सम्बोध कुमार ‘मेधांश ‘से एकसाइज कमिश्बर (आर॰ए॰एस) मुकेश कलाल ने दर्शन कर आशिर्वाद लिए) कलान्न ने मुनि को हार्टफुलनेस कार्यक्रम की जानकरी देते हुए साहित्य भेंट किया।
By Udaipurviews

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