साधु भगवंतों की सेवा निर्दाेष भाव से करेंः विपुलप्रभाश्री
उदयपुर। सूरजपोल स्थित दादाबाड़ी में साध्वी विपुलप्रभा श्रीजी ने कहा कि बुधवार से पर्युषण पर्व का आगाज़ होगा। सभी को परमात्मा को प्रसप्त कर पंचम गति को प्रसप्त करने का लक्ष्य है। अपने धर्म में सब कुछ कैल्क्युलेशन से चलता है। गुणाकार और डिवाइड, अनुमोदना और पश्चाताप, पाप और पुण्य ये छह चीजें आपस में जुड़ी हुई हैं। परमात्मा आज्ञा के विरुद्ध काम पाप है।
उन्होंने कहा कि परमात्मा ने जो बताया वैसा किया तो पुण्य। अनुमोदना यानी किसी अच्छे कार्य को बार याद करना। पश्चाताप यानी किसी गलत कार्य पर अफसोस करना। गुणा यानी अच्छे कार्य का कई गुना लाभ मिलेगा। वही भाग यानी 10 कार्यों का 1 के बराबर लाभ मिलना। अच्छा कार्य करने पर उसके गुणाकार होकर लाभ मिलेगा। पश्चाताप करेंगे तो लाभ डिवाइड होकर मिलेंगे। किसी ने तप किया, लाभ लिया, सामायिक किया अच्छे कामों की अनुमोदना करें। पुण्य करने पर उतने गुना लाभ मिलता है।
उन्होंने कहा कि साधु भगवंतों की सेवा निर्दाेष भाव से करनी चाहिए। निर्दाेष भाव से खीर बौराने के कारण पुण्यशाली शालीभद्र को जीव मिला। अनुमोदना करने में कभी कमी नही करनी चाहिए। इससे कई गुणा होकर लाभ मिलता है। शालीभद्र के पिताजी पर ऋण था इसलिए वो उन्हें ऊपर से नवानहु पेटी भेजते रहे। ऋण भी कितना भाग होकर चुकाना पड़ा। एक पुण्य की सुकृत की अनुमोदना करने के कारण शालीभद्र को इतना गुना होकर लाभ मिला। पाप की अनुमोदना करने से मम्मन सेठ को भोगना पड़ा। सह संयोजक दलपत दोशी ने बताया कि पर्वाधिराज पर्युषण के क्रम बुधवार से आरंभ होंगे।
जैन श्वेताम्बर समाज से आज पर्युषण पर्व प्रारम्भ
