उदयपुर, 10 अगस्त। श्री हुक्मगच्छीय साधुमार्गी स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान के तत्वावधान में केशवनगर स्थित नवकार भवन में चातुर्मास कर रही महासती श्री विजयलक्ष्मी जी म.सा. ने रविवार को धर्मसभा में कहा कि अहिंसा का एक नाम रक्षा भी है। सबसे पहले तीर्थंकर भगवान सभी जीवों को भाव से रक्षा सूत्र बांधते हैं। वह कहते हैं कि व्यापार, भाषा, बोलचाल, रहन-सहन सभी में अहिंसा को स्थान दें। ज्ञानी कहते हैं कि हमारे बुरे भाव ही हमें संकट में डालते हैं। जैसे हमारे मन के भाव होते हैं वैसी ही सामने वाले की प्रतिक्रिया होती है। दुष्प्रवृत्ति का दुष्फल व शुभ प्रवृत्ति का सुफल मिलता है। हम सभी को सदैव हित-मित, परिमित शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। मन का मीटर तो कोई नहीं पढ़ सकता पर वचनों को सुनकर सामने वाला यह जान लेता है कि हम कैसे हैं? वास्तव में वचनों को बंदूक की गोली कहा गया है अतः वचन सोच समझ कर बोलना चाहिए। यदि हम दया करेंगे तो बदले में दया ही मिलेगी। हमें सद्बुद्धि के साथ सद्प्रवृत्ति करनी चाहिए तभी हमारी रक्षा होगी। इससे पूर्व महासती श्री सिद्धिश्री जी म.सा. ने कहा कि जीवन में सहयोग के अनेक अवसर आते हैं पर सहयोग अस्थाई होता है। सहयोग कभी अक्षय नहीं होता। अक्षय तो सिद्धि का सुख है।
बच्चों को बचपन से ही धार्मिक पाठशालाओं में भेजें : जिनेन्द्र मुनि
उदयपुर, 10 अगस्त। श्री वर्धमान पुष्कर गुरु ध्यान केंद्र के तत्वावधान में दूधिया गणेश जी, सज्जनगढ़ रोड़ में चातुर्मास कर रहे काव्य तीर्थ महाश्रमण जिनेंद्र मुनि जी म.सा. ने रविवार को धर्मसभा में कहा कि बच्चों को बचपन से जैसे संस्कार देंगे, बड़े होकर वही अपनाएंगे। बच्चों को बचपन से ही धार्मिक पाठशालाओं में भेजना चाहिए, अत्यधिक लाड़-प्यार भी आगे चलकर चिंता का कारण बन सकता है। आज के आधुनिक युग में बड़े घरों के लोग भी संस्कृति और सभ्यता से दूर होते जा रहे हैं। बचपन से ही शॉर्ट कपड़ों की आदत आगे चलकर नम्रता में कमी का कारण बनती है, जिससे लज्जा और शर्म का भाव समाप्त हो जाता है। यही कारण है कि समाज में असभ्यता का माहौल और पोशाकीय प्रदूषण बढ़ रहा है। ब्रांडेड कपड़ों के नाम पर पाश्चात्य नकल हमारी संस्कृति को नुकसान पहुँचा रही है। इस दिशा में परिवारों को सजग रहकर बच्चों को सही मार्गदर्शन देना चाहिए। रविन्द्र मुनि नीरज ने सामाजिक परिप्रेक्ष्य पर वक्तव्य देते हुए आनंद शाक्वक का उल्लेख किया और उनके गुण बताए। उन्होंने कहा कि बाजार में छवनी भले ही सामान्य मूल्य की हो, लेकिन अगर उसमें एक रुपये का मूल्य जोड़ दिया जाए तो वह सवाया हो जाती है, उसी तरह गुणों से युक्त जीवन का मूल्य भी बढ़ जाता है। केंद्र अध्यक्ष निर्मल पोखरना ने जानकारी दी कि 17 अगस्त को पूज्य मोहनलाल जी म.सा. की जन्म जयंती पर एक बड़े आयोजन का आयोजन होने जा रहा है, जिसकी तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही हैं। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में धर्मालुजन उपस्थित रहे और प्रवचन का लाभ लिया।