उदयपुर, 11 अगस्त। श्री हुक्मगच्छीय साधुमार्गी स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान के तत्वावधान में केशवनगर स्थित नवकार भवन में चातुर्मास कर रही महासती विजयलक्ष्मी जी म.सा. ने सोमवार को धर्मसभा में कहा कि क्षमा गुणों का राजा है। अन्य अनेक गुण प्रजा की भांति क्षमा के आगे-पीछे स्वतः आ जाते हैं। अन्य गुणों का प्रतिनिधित्व करता है-क्षमा का गुण। क्षमा गुण के जीवन में अवतरित होते ही व्यवहार, वचन, विचार सबकुछ बदल जाता है। क्षमावान के व्यवहार में उच्चता सभ्यता होती है। व्यवहार में तुच्छता निम्नता नहीं होती। जरा सी कोई उंची-नीची बात हो जाए तो चिढ़ना, झुंझलाना, छोटी सी वस्तु के लिए लड़ पड़ना, अपना-पराया का भाव रखना ये सबकुछ तुच्छ और निम्न श्रेणी का व्यवहार होता है जो मानव के जीवन को निम्न स्तर का बना देता है। ये सारे कषाय जन्य परिणाम हैं, जिससे निम्न एवं तुच्छ मनोवृत्ति को बढ़ावा मिलता है। क्षमावान का व्यवहार उच्च कोटि का होता है। वचनों में सत्यता होती है और विचारों में सकारात्मकता आ जाती है। क्षमा एक ऐसा अलौकिक गुण है जो प्रकट हो जाए तो अन्य अनेक गुण उसकी परिक्रमा में आने लग जाते हैं। इससे पूर्व धर्मसभा को महासती श्री सिद्धिश्री जी म.सा. ने भी सम्बोधित किया।
मनुष्य अपने भाग्य और भविष्य का महान सृजक है : जिनेन्द्र मुनि
उदयपुर, 11 अगस्त। श्री वर्धमान गुरू पुष्कर ध्यान केन्द्र के तत्वावधान में दूधिया गणेश जी स्थित स्थानक में चातुर्मास कर रहे महाश्रमण काव्यतीर्थ श्री जिनेन्द्र मुनि जी म.सा. ने सोमवार को धर्मसभा में कहा कि मनुष्य अपने भाग्य और भविष्य का महान सृजक है। भाग्य और भविष्य की चिंता करके वर्तमन के आनंद को नष्ट करना व्यर्थ है। न भाग्य से हमें कुछ मिलने वाला है, न भविष्य से, हाथ ही मलते रह जाएंगे। जो कुछ भी जैसा भी मिलेगा वर्तमान से ही मिलेगा। भाग्य मनुष्य के भरोसे है या मनुष्य भाग्य के भरोसे? कई बार ऐसा होता है कि पुरूषार्थ करने पर भी सफलता नहीं मिलती है तो ये मान लें कि पुरूषार्थ विपरीत दिशा में हुआ है। सफलता नहीं मिलने पर निराशा घेर लेती है और इससे भय उत्पन्न होता है और कार्य को अधूरा छोड़ दिया जाता है। सही दिशा में पुरूषार्थ होगा तो निश्चित सफलता मिलेगी।