मनुष्य वही सुखी है जो स्वहित के साथ परहित का भी ध्यान रखे : जिनेन्द्र मुनि
उदयपुर, 13 जुलाई। श्री वर्धमान गुरू पुष्कर ध्यान केन्द्र के तत्वावधान में दूधिया गणेश जी स्थानक में चातुर्मास कर रहे जिनेन्द्र मुनि ने रविवार को धर्मसभा में कहा कि मनुष्य वही सुखी है जो स्वहित का ध्यान रखते हुए परहित का भी ध्यान रखे। मन में परोपकार की भावना रखते हुए सभी को मान-सम्मान देवें। किसी के प्रति द्वेष की भावना मन में न हो और सभी के प्रति अपनत्व का भाव रखना चाहिए, इस मैत्री गुण से ही कल्याण सम्भव है। धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए प्रवीण मुनि ने फरमाया कि आत्मा को शुद्ध करना है तो आत्म चिंतन का बोध करना बहुत जरूरी है और हमारी आत्मा का कल्याण करना ही हमारा सबसे बड़ा धन है। रविन्द्र मुनि नीरज ने फरमाया कि जीवन में आपके द्वारा अच्छी सोच रखने पर अच्छा ही होगा परंतु किसी का बुरा सोचने पर बुरा। हमारी सोच को पॉजिटिव रखनी चाहिए। सुख-दुःख का निर्माण भी उसी से होता है। सुख दिया सुख होत है दुःख दिया दुःख होत। मीडिया प्रभारी संदीप बोल्या ने बताया कि रविवार को वर्षीपत आराधिका श्रीमती तारा देवी भंडारी व अन्य तपस्वियों का बहुमान श्रीमती लीला देवी मेहता द्वारा किया गया। वहीं कई श्रावक-श्राविकाओं ने तेला व पंचोले के पच्चक्खाण भी ग्रहण किए। बालक प्रथम ने गीतिका प्रस्तुत की। धर्मसभा में पांच से छह वर्ष के बच्चों ने भी सामायिक व्रत की आराधना की जिनका भी बहुमान किया गया। सभा का संचालन मंत्री प्रवीण पोरवाल ने किया।
इच्छाओं के त्याग सेे ही मोक्ष मार्ग पर बढ़ा जा सकता है : महासती विजयलक्ष्मी

उदयपुर, 13 जुलाई। श्री हुक्मगच्छीय साधुमार्गी स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान के तत्वावधान में केशवनगर स्थित नवकार भवन में चातुर्मास कर रही महासती श्री विजयलक्ष्मी जी म.सा. ने रविवार को धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि इच्छाओं के त्याग सेे ही मोक्ष मार्ग पर बढ़ा जा सकता है। इच्छाएं असीमित हैं, ये कभी समाप्त होने वाली नहीं हैं और यही हमारे लिए सबसे बड़ी बाधा है। मनुष्य को इच्छा से विपरीत कोई भी कार्य बंधन लगता है। परंतु इच्छाओं के अनुसार चलना स्वच्छंदता है। मोक्ष मार्ग की प्राप्ति स्वच्छंदता से नहीं हो सकती है। जो अपनी इच्छाओं का निरोध करता है वही मोक्ष मार्ग प्राप्त कर सकता है। विषय-कषायों से मुक्ति का साधन है प्रत्याख्यान, लेकिन ये हमें बंधन रूप लगते हैं, जबकि हकीकत में ये प्रत्याख्यान आत्मा के उत्थान के लिए होता है। धर्मसभा को महासती श्री सिद्धिश्री जी म.सा. ने भी सम्बोधित किया। श्रीसंघ अध्यक्ष इंदर सिंह मेहता ने बताया कि महासती जी की निश्रा में नवकार भवन में रविवार से नवकार पाठशाला का शुभारम्भ किया गया, जिसमें 5 से 25 वर्ष तक के बालक-बालिकाओं ने भाग लेकर ज्ञानार्जन किया। वहीं प्रश्नोत्तर प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा है जिसे लेकर श्राविकाओं में उत्साह का माहौल है।