उदयपुर 5 सितंबर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद चित्तौड़ प्रांत की ओर से भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती गुरु पर्व के रूप में मनाई गई। मुख्य वक्ता शिक्षाविद् डॉ. शिवदान सिंह जोलावास ने कहा कि गुरु शिष्य परंपरा सनातन संस्कृति का अभिन्न अंग रही है। सदियों से समाज किसी व्यक्ति या एक स्वरूप को गुरु के रूप में स्वीकृत कर अनुगमन करता रहा और एकलव्य उसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए शिक्षक पर अधिक जिम्मेदारी आ जाती है कि युवा अधिक संस्कारवान एवं चरित्रवान बनें। आज भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए ऐसे युवाओं की आवश्यकता है, जो अधिक समर्थवान एवं मातृभूमि के प्रति संस्कारों की जड़ों से बंधे रहे।
वक्ता डॉ. खुशबू जोशी ने कहा कि हमें समाज से ह्यस होते जीवन मूल्यों को बचाना है। प्रो.आशीष जैन ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि गुरु सदैव संकट मोचन के रूप में उपस्थित रहे उससे समाज की अपेक्षाएं बहुत है। आज भी गुरु का पद आदरणीय है। कार्यक्रम में हीना सालवी, जम्मू जैन, डॉ. नवल किशोर शर्मा, दिव्याश्री आदि ने भी विचार रखें। इस अवसर पर अध्यापक एवं शिक्षाविद् प्रतिनिधि उपस्थित थे।
एकलव्य, गुरु के प्रति समर्पण का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है- जोलावास
