हर्षोल्लास के साथ मालदास स्ट्रीट में हुआ जैनाचार्य रत्नसेन सूरीश्वर महाराज का चातुर्मासिक प्रवेश

– पद्मनाथ स्वामी जैन चौगान मंदिर से गाजे-बाजे के साथ मालदास स्ट्रीट मंदिर में प्रवेश
उदयपुर, 4 जुलाई। श्री श्वेाम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ-मालदास स्ट्रीट में शुक्रवार को जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज आदि ठाणा-5 एवं साध्वी समर्पणलीना श्रीजी महााराज आदि ठाणा-4 का चातुर्मासिक वर्षावास बड़े हर्षोल्लास के साथ इस प्रवेश हुआ।

श्रीसंघ के कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि प्रात: 8.30 बजे सकल संघ के श्री पद्मनाथ स्वामी जैन मंदिर चौगान-शिक्षा सर्कल से गाजे-बाजे की रमझट के साथ, 1 हाथी, 4 घोडे, श्री हीर सूरि जैन पाठशाला के बालक, बालिकाएँ, बग्गियों में सुशोभित पुज्य आचार्य रामचन्द्र सूरीश्वरजी महाराज एवं पूज्य भद्रंकर विजयजी की  तस्वीरों, से युक्त सकल श्रीसंघ की प्रवेश यात्रा  चेतक सर्कल एवं हाथीपोल के मार्ग से मालदास स्ट्रीट में संपन्न हुई। चातुर्मास  प्रवेश के इस प्रसंग पर मुम्बई, पूना, चैन्नई, कोयम्बतूर,पोयनाड, अमदाबाद, रोहा, पोसालिया, भायंदर,चिंचवड, थाणा, कर्जत, आदि विभिन्न शहरो से बड़ी संस्था में गुरुभक्तों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की ।
नूतन आराधना भवन-मालदास स्ट्रीट में धर्मसभा का आयोजन हुआ। संगीत सम्राट-अनीलजी गेमावत ने भक्ति संगीत के साथ जैनाचार्य श्री का प्रवेश करवाया। ज्ञानदीप प्रकट करने के बाद गुरु पूजन का चढ़ावा रतनबाई धनराज रांका परिवार-सादडी हाल-चिचंवड ने एवं कामली अर्पण का चढ़ावा भरत भाई कोठारी – बाली एवं भरतभाई छाजेड-सेवाडी वालों ने  लिये । इस प्रसंग पर जैन हिन्दी साहित्य दिवाकर पूज्य आचार्य रत्नसेनसूरीश्वर महाराज द्वारा अलिखित 255वीं हिन्दी पुस्तक 10 श्रमण धर्म का भव्य विमोचन पधारे हुए गणमान्य लोगों के द्वारा किया गया। श्री महावीर साधना केन्द्र-अम्बामाता स्कीम के महासचिव फतेह सिंह मेहता आदि ने आचार्यश्री को पुन: आगामी वर्ष 2026 के चातुर्मास की विनती की। धर्मसभा में प्रवचन देते हुए जैनाचार्य रत्नसेन सूरीश्वर ने कहा कि जननीवन की जीवनशैली को बदलने के लिए विज्ञान ने कई सुख सुविधा के साधन दिये । पहले व्यक्ति पैदल चलते थे आज हवा में उडते है, पहले सभी काम हाथों से होता था, आज विद्युतीय साधनों से होते हैं। परंतु विज्ञान के साधनों ने सुख सुविधाओं के साथ मौत का खतरा भी दिया है। समय बचाने के साधन दिये तो समय भक्षी साधनों को देकर जनजीवन को धर्म स्थान, धर्मक्रियाएँ और धार्मिक ज्ञान से दूर कर दिया है। विज्ञान के साधन आत्मिक पतन कराने वाले है, जबकि धर्म की साधना आत्मिक उद्धार कराने वाली है। चारित्र जीवन के 49 वे वर्ष में हजारों किलोमीटर पैदल विचरण के बाद आज 34 वर्ष के बाद इसी उदयपुर के प्रांगण में पुन: चातुर्मास का आयोजन हुआ है। चातुर्मास के अवसर पर हमारे  जीवन में साधनों की दौड़ छोडक़र आत्मिक साधना में जुडने का प्रयत्न करना है । कार्यक्रम के बाद सामूहिक प्रभावना हुई। 6 जुलाई को  प्रात: 9.30 बजे गौतम स्वामी वंदना-संवेदना का संगीत मय कार्यक्रम होगा। अध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र हिरण, मंत्री कुलदीप नाहर, कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया, फतेहसिंह मेहता, जसवंत सिंह सुराणा, राकेश चेलावत, अभिषेक हिम्मत, हरिश सिंघवी आदि  उपस्थित रहे।
By Udaipurviews

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