महावीर साधना एवं स्वाध्याय समिति में निरंतर चल रहे धार्मिक प्रवचन
उदयपुर, 28 जून। श्री वासुपूज्य स्वामी जैन संघ महावीर साधना एवं स्वाध्याय समिति अंबामाता में शनिवार को जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज ने धर्मसभा को प्रवचन देते हुए कहा कि – शरीर रुपी गाड़ी में इन्द्रिया मुसाफिर के समान है और आत्मा ड्राइवर के समान है। यदि आत्मा रूपी ड्राइवर मौजूद है तो शरीर और इंद्रिय रूपी गाड़ी चल सकती है और यदि आत्मा रुपी ड्रायवर इस शरीर रूपी गाड़ी से जाए तो शरीर और इन्द्रिया शक्तिहीन है।
सामान्य से हम कहते है कि हम आंखों से देखते है और कानों से सुनते है, पैरों से चलते है और मुख से बोलते हैं। परंतु इन सभी की कीमत कब तक जब तक शरीर में आत्मा है। जैसे ही शरीर में से आत्मा निकल जाती है, इस शरीर को जलाकर नष्ट कर दिया जाता है। जिस घर को सजाने में व्यक्ति अपने पूरे जीवन की कमाई लगा देता है और जिस परिवार के पालन-पोषण में व्यक्ति दिन-रात अथक परिश्रम करता है, व्यक्ति के मरने के बाद वे ही परिवार वाले उसके मूर्दे को बांधकर उस घर से बाहर निकाल देते है। श्मशान में जाकर जला देते है। शरीर की कीमत आत्मा के आधार पर है। आत्मा रहित शरीर की कोई कीमत नहीं है। फिर भी मोह की नींद में सोये हुए अधिकांश लोगों की हालत ऐसी है कि वे दिन रात मात्र शरीर, पुत्र-पत्नी-परिवार और पैसों के पीछे मेहनत करते है, आत्मा के सुख की याद तक नहीं आती है। चारगति रूप संसार में देवगति में अपार भौतिक सुख होने के कारण आत्म जागृति होना कठिन है। नरक गति में अपार दु:ख होने के कारण आत्म जागृति होना कठिन है और तिर्यंच गति में अपार भूख, अज्ञानता, अविवेक और अनक्षरता होने के कारण आत्म जागृति होना मुश्किल है। आत्म जागृति का अवसर मात्र मनुष्य गति में ही मिल सकता है। परंतु मोह की निद्रा के कारण प्राय: अधिकांश लोग इस मनुष्य जन्म की कीमत नहीं समझते है।. इस मोह की निद्रा से आत्म जागृति का उपाय मात्र धर्मोपदेश श्रवण से ही शक्य है। विनयपूर्वक धर्मोपदेश श्रवण करने से आत्म जागृति आएगी। इस अवसर पर कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया, महावीर साधना एवं स्वाध्याय समिति अंबामाता के अध्यक्ष प्रकाश चंद्र कोठारी, फतेह सिंह मेहता, ललित धूपिया, जसवंत सिंह सुराणा, रणजीत सिंह आदि समस्त कार्यकारिणी सदस्य भी उपस्थित रहे ।
दुनिया के अधिकांश जीव मोह की नींद में सो रही है : जैनाचार्य रत्नसेन सूरीश्वर महाराज
