– सम्मेद शिखर तीर्थ को बचाने के लिए जैन समाज ने निकाला कैण्डल मार्च
– सम्मेद शिखर तीर्थ को पर्यटन स्थल घोषित करने पर जैन समाज में आक्रोश
उदयपुर, 5 जनवरी। जैन धर्म की आस्था का केन्द्र तीर्थराज सम्मेद शिखर को पर्यटन क्षेत्र घोषित किए जाने पर जैन समाज ने गुरुवार को सूरजपोल चौराहे पर सकल जैन समाज के सैकड़ों की संख्या में श्रावक समाज ने कैण्डल जला कर विरोध-प्रदर्शन किया। महावीर जैन परिषद के मुख्य संयोजक राजकुमार फत्तावत ने बताया कि 26 फरवरी 2019 के गजट में श्री सम्मेद शिखर तीर्थ को पर्यटन के रूप में चिन्हित करने तथा 2 अगस्त 2019 को भारत सरकार द्वारा इको ट्यूरिज्म क्षेत्र बनाने के विरोध उदयपुर के जैन समाज आंदोलन के प्रथम चरण में सूरज चौराहे पर सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं ने कैण्डल जला कर अपना विरोध-प्रदर्शन दर्ज किया तथा संकल्प लिया कि बीस तीर्थंकरों की निर्वाण स्थली सम्मेद शिखर को जब तक तीर्थ स्थल के रूप में पुन: परिभाषित नहीं किया जाता तब तक सम्पूर्ण जैन समाज का यह आंदोलन जारी रहेगा ।
सभी ने नमस्कार महामंत्र का 11 बार स्मरण करते हुए संकल्प लिया कि अंहिंसक जैन समाज की ज्यादा परीक्षा न ली जाए, तथा देश के समस्त जैन तीर्थ स्थलों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन उठाए। कैण्डल जुलूस में तीर्थंकर भगवानों के जयकारें लगाते हुए सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं हाथों में मोमबत्ती लिए सूरपोल चौराहे का चक्कर लगाते हुए सम्मेद शिखर तीर्थ को पुन: तीर्थ का घोषित करने के लिए नारे लगाए। वहीं, सभी ने श्रमण भगवान महावीर के सिद्धांतों पर चलते हुए केन्द्र सरकार एवं झारखण्ड सरकार को इस कैण्डल मार्च के माध्यम से इस फैसले को पुन: लेने का आव्हान किया। प्रदर्शन में राजकुमार फत्तावत, कुलदीप नाहर, शांतिलाल वेलावत, यशवंत आंचलिया, अर्जुन खोखावत, सुरेश चित्तौड़ा, पारस सिंघवी, प्रमोद सामार, ताराचंद जैन, जिनेन्द्र शास्त्री, आलोक पगारिया, सुधीर चित्तौड़ा, दीपक सिंघवी सहित सैकड़ों समाज प्रमुख उपस्थित थे।