उदयपुर। अशोका पैलेस स्थित मधुश्री ऑडिटोरियम में आज मधुर सुर लहरियां नहीं गूंजीं, बल्कि सुरों की मण्डली और लफ़्ज़ों की महफ़िल के सदस्यों ने अहमदाबाद में हुई कल की विमान विभीषिका में अकाल मृत्यु के शिकार दिवंगतों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके परिवारों के प्रति गहरी संवेदनाएं प्रकट कीं.
इस दु:खद अवसर पर संस्थापक और संरक्षक मुकेश माधवानी, मनोहर लाल मुखिया, ईश्वर जैन “कौस्तुभ”, मनमोहन भटनागर, विमल शर्मा, , भोपालसिंह हाड़ा मनोहर डेम्बला, कैलाश कैवल्या, दिलीप जैन, नूतन वेदी, मुकेश शर्मा , चेतना जैन, झुमूर चक्रवर्ती, नारायण लोहार, पूनम पालीवाल , एसडी कौशल , कमल जुनेजा, भूमि त्रिवेदी, हरीश भाटिया तथा अन्य कई सदस्यों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए तथा कार्यक्रम के अन्त में दिवंगत आत्माओं के लिए चिर शान्ति हेतु दो मिनट का मौन रहकर प्रार्थना की तथा सुरों की मण्डली तथा लफ़्ज़ों की महफ़िल के भारी तादाद में उपस्थित होकर परिवारों के इस असहनीय संताप में अपने साथ होने के भाव अभिव्यक्त किए. गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्रोच्चार, नमस्कार महामंत्र का जाप किया गया.
विमान दुखांतिका के समय ग्रहों की विषम स्थिति : कुछ वक्ताओं ने विधाता की क्रूर परिणिति, तकनीकी असफलता, ग्रह गोचर में मंगल-राहू- केतु का अंगारक योग तथा कुछ वक्ताओं ने मृतकों के पूर्वकर्मों का प्रतिफल बताया. वज़ह कुछ भी रही हो – इस दुर्घटना ने प्रकृति ने अपनी विराटता साबित करते हुए भौतिक विकास को बौना साबित किया है. इसमें कई युवा प्रतिभाएं, प्रोफेशनल्स, ममता प्रतिमूर्ति माँएं, भविष्य का सपना संजोते युवा हमेशा-हमेशा के लिए काल के गाल में समा गए. नवजात शिशु की किलकारियां और छोटे बच्चों का बचपन पलों में बिखर गया. बड़े डॉक्टर बनने के लिए दिन-रात पढ़ने वाले छात्र हमेशा-हमेशा के लिए अपने माता-पिता को दुःख के समन्दर में डूबता छोड़ कर चले गए. कुछ वक्ताओं के शब्द थम गए, शब्द अधूरे रह गए और सबकी आंखें नम हो गईं.
                        
 
     
                                 
                                 
                                 
                                 
                                